खुशहाल कोइली-खुटहा में फ‍िर खूरेंजी जंग ने दी दस्तक, खौफजदा हुए लोग Bhagalpur News

खुटाहा गांव में गुरुवार की रात हुई गोलीबारी के दौरान गणेशी यादव की हत्या के बाद तनाव का माहौल है। गांव में खौफ के कारण चारों ओर सन्नाटा पसरा हुआ है।

By Dilip ShuklaEdited By: Publish:Fri, 12 Jul 2019 03:52 PM (IST) Updated:Fri, 12 Jul 2019 05:39 PM (IST)
खुशहाल कोइली-खुटहा में फ‍िर खूरेंजी जंग ने दी दस्तक, खौफजदा हुए लोग Bhagalpur News
खुशहाल कोइली-खुटहा में फ‍िर खूरेंजी जंग ने दी दस्तक, खौफजदा हुए लोग Bhagalpur News

भागलपुर [कौशल किशोर मिश्र]। खेती-बारी और सेना-पुलिस की नौकरी से एक अड्डी के फासले में बंटे कोइली और खुटहा गांव की खुशहाली को 19 वर्ष बाद फिर किसी की नजर लग गई। गणेशी यादव की हत्या से दोनों खुशहाल गांवों के हथियारबंद शातिर के जेहन में बदले की आग फिर धधक उठी है। इस बार 21 अप्रैल 1991 में बिजली पोल अपने पसंदीदा क्षेत्र में लगाने की जिच में रंजीत यादव की हत्या से चिंगारी नहीं भड़की है। ना ही तब निरंजन यादव नीरो या धनंजय यादव गुट में बंटे दोनों गांवों के हथियारबंद समर्थक में प्रत्यक्ष तनातनी है। बल्कि इस बार धनंजय यादव गुट से ताल्लुक रखने वाले गणेशी यादव की हत्या का तानाबाना पर्दे के पीछे उसी के खेमे से बुने जाने की बात फिजां में तैरने लगी है।

गणेशी की हत्या में सामने सोहिता यादव जरूर है लेकिन पर्दे के पीछे कोई और खेल होने की भी बात सामने आने लगी है। क्योंकि गणेशी, रविन्द्र, सत्येंद्र की तिकड़ी का इलाके में जो खौफ का आलम यह था कि गणेशी को ताकने तक की हिम्मत किसी में नहीं थी, लेकिन हालिया घटनाक्रम जिसमें गणेशी के साथ बेरहमी से मारपीट। पंचायत चुनाव पूर्व और बाद चाचा-भतीजे की आपसी कलह से वो खौफ पानी बनकर बहने लगा था। जिसका एहसास गणेशी को भी हो चला था। तिकड़ी टूटने के बाद बेटे की राइफल को साथी बना लिया था। बुधवार को गणेशी और सोहिता के बीच बरात पार्टी और दोनों के घर के बीच रास्ते के विवाद को लेकर गोली चली जिसमें गणेशी की मौत हो गई। ऐसी मौत पर कई सवाल उठ रहे हैं।

इलाकाई हलकों से यह बात धीरे-धीरे फैल रही है कि सोहिता गणेशी का रिश्तेदार है। कुछ दिन पूर्व रास्ता विवाद में सोहिता और उसकी पत्नी को गणेशी ने पीट दिया था। लेकिन बरात पार्टी और डीजे के दौरान ही गणेशी को क्यूं निशाना बनाया गया? जबकि सोहिता और सुबुक दोनों भाई काफी खूंखार हैं। तत्काल अकेले चलने वाले गणेशी को निशाना बना सकते थे। लेकिन बरात पार्टी का ही इंतजार क्यूं किया? सोहिता को पर्दे के पीछे किसी न किसी का साथ जरूर मिला। यह साथ किसका मिला फिलहाल दबी जुबान से भी कोई नाम लेने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है। गणेशी यादव का फौजी बेटा जिसका शुक्रवार को भागलपुर आगमन होगा। उसके आने के बाद शुक्रवार को दाह संस्कार होना है। तब पर्दे के पीछे होने वाले खेल का पटाक्षेप होने की बात दबी जुबान से लोग जरूर बोलते मिले। यानी इस बार की लड़ाई एक ही गुट से बिखर चुके कुछ नए-पुराने शातिर के बीच का है। इस नए घात-प्रतिघात के दौर में आने वाले चंद दिनों में दोनों गांवों के लोगों की दिन-रात खौफ में बीतने की बात कही जाने लगी है। बुधवार को खुफिया महकमे ने वहां अशांति की संभावना को लेकर एक रिपोर्ट भी मुख्यालय भेजी है।

पिस्टल से हमेशा यारी रखने वाले सोहिता को किसने थमा दी राइफल

8 सितंबर 2001 को गांव के कमलादह बहियार में उस्तू निवासी कासिम की हत्या में शामिल सोहिता यादव के बारे में यह कहा जाता है कि हमेशा अपने साथ माउजर पिस्टल रखता था। लेकिन बुधवार की रात बारात पार्टी में उसके हाथ में किसने राइफल थमा दी। किसने उसे गणेशी के सामने किया। गाली-गलौज होने पर गणेशी अपने फौजी बेटे की लाइसेंसी राइफल लेने घर के अंदर गया और राइफल लेकर निकला ही था कि पहले से तैयार सोहिता ने उसे निशाना बना दिया। अब सोहिता को गोली कैसे लगी जबकि गणेशी को संभलने का मौका भी सोहिता की गोली ने नहीं दिया? क्या गणेशी को गोली लगने के बाद सोहिता को किसी और ने तो निशाना बनाने के लिए गोली नहीं चला दी? पुलिस इन तमाम बिंदुओं को अपनी तफ्तीश में शामिल कर इलाके की गतिविधियों पर नजर रख रही है।

निरंजन-धनंजय गुट में 1991 से 2000 तक हुए संघर्ष में गिरी कई लाशें

- 21 अप्रैल 1991 में रंजीत यादव की चिचौरी पोखर पर गोली मार हत्या।

- 2 जुलाई 1992 में निरंजन यादव पर बम से ट्रेन में जानलेवा हमला।

- 18 जनवरी 1993 में नरसिंह यादव की गोली मारकर हत्या।

- 30 जून 1994 में ब्रह्मदेव, कुंजबिहारी और कपिलदेव यादव की हत्या

- 8 दिसंबर 1995 को सूर्यनारायण यादव की गोली मारकर हत्या।

- 17 फरवरी 1996 को दुर्योधन यादव की गोली मारकर हत्या।

- 7 नवंबर 1997 में दौनी यादव की गोली मारकर हत्या।

- 14 अक्टूबर 2000 को अनेस यादव की हत्या।

- 4 जुलाई 2000 को कारबाइन से संधीर यादव पर कातिलाना हमला।

वर्षों से फरार है खुटाहा का कुख्यात रविंद्र यादव

यूं तो जगदीशपुर के खुटाहा गांव निवासी कुख्यात रविंद्र यादव पुलिस रिकार्ड में 10 साल से ज्याद समय से फरार है। लेकिन रविंद्र के गांव में मौजूदगी का एक वीडियो हाल कुछ माह पहले वारयरल हुआ था। वीडियो में स्पष्ट दिख रहा है कि वह गांव में मुंह ढक कर आसानी से घूम रहा है। वायरल वीडियो कुछ ही सेकेंड का है, जो किसी ने छिपकर बनाया है। रविंद्र यादव पर हत्या, रंगदारी, मारपीट, गोलीबारी समेत कई मामले हैं। जिसमें वह पुलिस से बचने के लिए भागा फिर रहा है। उसके भाई विरेंद्र कुमार यादव खुटाहा पंचायत के मुखिया हैं। रविंद्र की दहशत पूरे जगदीशपुर में है। बालू के अवैध कारोबार में भी उसके गुर्गे सक्रिय हैं। उसके डर से कोई भी कुछ बोलने में परहेज करता है। स्थानीय पुलिस भी रविंद्र के गतिविधि पर लगातार नजर रखती है। लेकिन सूचना मिलने पर गांव जाकर अकेले छापेमारी करने की हिम्मत नहीं कर पाती है।

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