मधुबनी के किसानों ने बीएयू में सीखा बाजारीकरण का गुण, कुलपति बोले- खेती में करें इस ज्ञान का उपयोग

बिहार कृषि विवि सबौर में मधुबनी के किसानों को खेती में नई तकनीक के उपयोग और बाजारीकरण की जानकारी दी गई। इस दौरान कुलपति ने किसानों से इस ज्ञान का उपयोग खेती बारे में करने की अपील की।

By Abhishek KumarEdited By: Publish:Sat, 27 Feb 2021 11:04 AM (IST) Updated:Sat, 27 Feb 2021 11:04 AM (IST)
मधुबनी के किसानों ने बीएयू में सीखा बाजारीकरण का गुण, कुलपति बोले- खेती में करें इस ज्ञान का उपयोग
बिहार कृषि विवि में किसानों को संबोधित करते कुलपति डॉ आरके सोहने व अन्‍य।

 भागलपुर [ललन तिवारी]। सीखा हुआ ज्ञान यदि शरीर के अंदर के किताबों में दबा रहे तो ऐसे ज्ञान की कोई सार्थकता नहीं है ।आप यहां जो ज्ञान अर्जित किया उसे अपने खेतों पर उतारें तभी सीखे ज्ञान की सार्थकता होगी और विश्वविद्यालय का भी उद्देश्य पूरा होगा। उक्त बातें बिहार कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. आर के सोहाने ने मधुबनी के 30 सब्जी उत्पादक किसानों के प्रशिक्षण समापन समारोह के संबोधन के दौरान कही। उन्होंने इस अवसर पर प्रमाण पत्र देते हुए ए के किसानों से फीडबैक लेते कई सवाल पूछे। प्रशिक्षित किसानों ने भी सहजता से बोल्डली जवाब दिया। कुलपति ने प्रशिक्षणार्थियों को दूसरे को भी अपने ज्ञान बांटने की सलाह दी और नई तकनीक से सब्जी उत्पादन करने की सलाह दी।

रोजगार के अवसर बढ़ेंगे

प्रशिक्षक प्रोफेसर देब ज्योति ने उद्यमिता पर फोकस करते हुए कहा कि कृषि उद्यमिता किसान के रोजगार को दोगुनी करने मे सबसे महत्व्पूर्ण भूमिका अदा करेगी । किसान को अपने उपज का उचित दाम मिले और उपजाया हुआ अनाज या सब्जी, फल बर्बाद ना हो , तो इसी से किसान कि हालात बदल जाएगी । सीमांत किसानों को समूह बनाकर उद्यमिता को अपनाना पड़ेगा, जिसका सबसे अच्छा उदाहरण कृषक उत्पादक संघ ( एफपीओ ) है । प्रशिक्षण के सह निदेशक डॉ अभयमानकर ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए प्रशिक्षणार्थियों को कहा की वैज्ञानिक तरीके से सब्जी की जैविक खेती सबसे ज्यादा लाभकारी है। बाजार में जय उत्पादक सब्जी का सबसे ज्यादा मांग है। इसलिए किटनासी और रसायनों को अपनी खेती से दूर करें और जैविक खेती अपनाएं। इससे स्वास्थ्य और समृद्धि दोनों मिलेगी।

ज्ञात हो कि बीएयू अब किसानों को खेती बारी में नई तकनीक के उपयोग के साथ-साथ बाजारीकरण पर भी ध्यान दे रहा है। इसके लिए किसानों को कृषक उत्पादक संगठन से जोडऩे के लिए भी पहल की जा रही है। इससे किसानों की आय को बढाया जा सके।  

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