अतीत के आईने से : कर्पूरी ठाकुर ने बैलगाड़ी को बनाया था मंच, 1977 में दिया था भाषण

वर्ष 1979 में बांका के पंजवारा कर्पूरी ठाकुर आए थे। जहां उन्‍होंने बेलगाड़ी से सभा को संबोधित किया था। उन्‍होंने यहां सिद्धेश्वर प्रसाद सिंह के लिए लोगों से वोट मांगा। इस चुनाव में उनके प्रत्‍याशी विजयी रहे। इसके बाद वे मुख्‍यमंत्री भी बने।

By Dilip ShuklaEdited By: Publish:Tue, 06 Oct 2020 11:17 AM (IST) Updated:Tue, 06 Oct 2020 11:17 AM (IST)
अतीत के आईने से : कर्पूरी ठाकुर ने बैलगाड़ी को बनाया था मंच, 1977 में दिया था भाषण
सत्ता संग्राम में बदलाव का जनआंदोलन था।

बांका [जीवन मिश्रा]। एक बार कर्पूरी ठाकुर ने पंजवारा में बैलगाड़ी को ही मंच बना दिया था। पूर्व से घोषित सभा स्थल गांधी मैदान में स्थानीय प्रशासन ने सभा की अनुमति देने से इन्कार कर दिया था। इसके बाद पास के हाट परिसर में जुटी भीड़ को देखकर उन्होंने वहीं भाषण देने का मन बना लिया।

कर्पूरी ठाकुर बिना किसी तामझाम के वहां पहुंचे और बैलगाड़ी पर दरी बिछाकर भाषण दिया। उस चुनाव में उन्हीं के दल के प्रत्याशी सिद्धेश्वर प्रसाद सिंह विजयी रहे थे। तब कर्पूरी ठाकुर मुख्यमंत्री बने थे। यह बात आपातकाल के बाद 1977 की है। सत्ता संग्राम में बदलाव का जनआंदोलन था। इस चुनाव के बाद बिहार में जनता पार्टी की सरकार बनी थी। मुख्यमंत्री बनने से पहले चुनाव के दौर में वे जगह-जगह चुनावी सभा में खूब गरजे थे। तब के चुनाव में यह तामझाम नहीं था। उस प्रसंग को याद करते हुए स्थानीय निवासी रत्नेश्वर भगत, सुधीर सिंह, भूदेव मंडल व जयप्रकाश मिश्र ने बताया कि 1977 में पंजवारा में कर्पूरी ठाकुर का चुनावी कार्यक्रम तय हुआ था। गांधी मैदान में उन्हें अपना भाषण देना था। भीड़ जुटने लगी थी।

नेताजी की कार जब गांधी मैदान के पास आकर रुकी, तो पंजवारा पुलिस चौकी के तत्कालीन इंचार्ज ने मैदान पर सभा को अनुमति देने से इन्कार कर दिया। इस बात से कर्पूरी ठाकुर को अवगत कराया गया। इसके बाद कर्पूरी ठाकुर ने वहीं सभा करने का निर्णय ले लिया। वहां एक बैलगाड़ी खड़ी थी। उसपर पुआल व दरी बिछाई गई। जाजिम-मसनद मंगवाए गए। माइक व लॉउडस्पीकर आसपास लगवाए गए। कर्पूरी ठाकुर ने बैलगाड़ी पर ही चढ़कर भाषण दिया था। तब के चुनाव में जनता पार्टी के उम्मीदवार यहां से जीते थे। कर्पूरी ठाकुर की सादगी, विनम्रता और उनके सरलता भरे संबोधन को याद करते हुए लोग कहते हैं कि अब वह बात आज की राजनीति में नहीं रही। आज मामूली नेता के साथ चलने वाली गाडिय़ों के काफिले में राजनीति और धनबल का प्रभाव दिखता है।

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