जब मशीन थी खराब तो नवजात बच्ची को क्यों रखा गया वार्मर में

भागलपुर। जवाहर लाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल के इमरजेंसी स्थित वार्मर में हुई नवजात की मौत

By JagranEdited By: Publish:Wed, 09 May 2018 10:00 AM (IST) Updated:Wed, 09 May 2018 10:00 AM (IST)
जब मशीन थी खराब तो नवजात बच्ची को क्यों रखा गया वार्मर में
जब मशीन थी खराब तो नवजात बच्ची को क्यों रखा गया वार्मर में

भागलपुर। जवाहर लाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल के इमरजेंसी स्थित वार्मर में हुई नवजात की मौत के बाद अस्पताल प्रशासन और वार्ड प्रबंधन की लापरवाही की कलई खुलने लगी है। न हेल्थ मैनेजर व नर्स ने अपने दायित्व का निर्वहन किया और न ही अस्पताल प्रबंधन ने।

बड़ा सवाल यह कि जब वार्मर खराब थी तो बांका की नवजात को उसमें क्यों रखा गया। जबकि इसकी जानकारी मैनेजर को पहले से थी। सबकुछ जानते हुए भी बच्ची को मरने के लिए क्यों छोड़ दिया गया। इतनी बड़ी लापरवाही के बाद भी अस्पताल प्रबंधन मामले की लीपापोती में लगा हुआ है। नर्स के खिलाफ कार्रवाई करने तक की जहमत नहीं उठाई।

दरअसल, अस्पताल में हेल्थ मैनेजर को पदस्थापित करने के पीछे मंशा यह थी कि संबंधित वार्ड या विभाग में किसी तरह की दिक्कत न हो। अगर हो तो उसे दुरुस्त कराने के लिए तत्काल अस्पताल अधीक्षक जानकारी दे। लेकिन ऐसा नहीं हो सका। वार्मर करीब एक महीने से खराब थी। फिर भी मैनेजर ने उसे दुरुस्त कराने के प्रति दिलचस्पी नहीं दिखाई।

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मशीन की क्यों नहीं हुई रिपोर्टिग?

मार्च में चालू हुई मशीन का एएमसी (एनुअल मेंटेनेंस सर्विस) किया गया था या नहीं, यह बड़ा सवाल है। अगर हुआ भी था तो मशीन खराब होने की

रिपोर्टिग हेल्थ मैनेजर ने की थी या नहीं? इसकी जांच होनी चाहिए। दूसरी ओर जब वार्मर ठीक तरीके से काम नहीं कर रहा था उसमें नवजात को क्यों रखा गया। जबकि खराबी की जानकारी विभागाध्यक्ष से लेकर मेट्रन और हेल्थ मैनेजर तक को थी।

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ट्रेनिंग पर 12 लाख खर्च फिर भी तैनाती नहीं

वार्मर वार्ड की देखरेख मामले में कई पेंच हैं। वार्मर चलाने के लिए अस्पताल की 12 नर्सो को दिल्ली में ट्रेनिंग दी गई थी। प्रशिक्षण पर 12 लाख रुपये खर्च हुए थे। उन्हें वार्मर ऑपरेट करने की पूरी जानकारी थी, फिर भी उनकी तैनाती वार्मर रूम में न करके दूसरे वार्ड में कर दी गई थी।

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ट्रेंड नर्सो की लगाई गई ड्यूटी

नवजात की मौत का मामला तूल पकड़ने के बाद मंगलवार को 12 ट्रेंड नर्सो की ड्यूटी मौखिक तौर पर वार्मर कक्ष में लगा दी गई। इमरजेंसी की सिस्टर इंचार्ज ने इन्हें सर्जरी, मेडिसीन आदि वाडरें में ट्रासफर कर दिया था। इसकी शिकायत शिशु विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. डॉ. आरके सिन्हा ने सोमवार को अधीक्षक डॉ. आरसी मंडल से की थी। जिसके बाद मंगलवार को मेट्रन चाइना मुखर्जी ने इमरजेंसी स्थित वार्मर कक्ष जाकर चेक किया। सिस्टर इंचार्ज से लिखित जवाब भी मांगा। अब मॉर्निंग शिफ्ट में शालिनी भारती, अर्चना कुमारी, साधना कुमारी वन, मंजू कुमारी। दोपहर दो से रात आठ बजे के लिए भगीरथी कुमारी, राखी कुमारी टू, संगीता कुमारी टू, अमृता भारती की ड्यूटी लगाई गई है। इसी तरह रात आठ से सुबह सात बजे के लिए सरिता कुमारी थर्ड, दिपी कुमारी और सोनी कुमारी को जिम्मेदारी सौंपी गई है।

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ड्यूटी से नर्स गायब, वेतन कटा

मंगलवार को ओपीडी में ड्यूटी से नर्स प्रिया कुमारी गायब थी। मेट्रन के निरीक्षण में मामला पकड़ में आया। जिसके बाद प्रिया का वेतन काटने का निर्देश दिया गया। हालांकि बाद में नर्स ने माफी मांगी जिसके बाद उसे चेतावनी देकर छोड़ दिया गया।

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क्यों होती है रेडिएंट वार्मर की जरूरत

समय से पूर्व जन्मे बच्चे (प्री मेच्योर इन्फैंट) का शरीर बाहर के तापमान से सामंजस्य नहीं बिठा पाता है। ऐसे में उन्हें रेडिएंट वार्मर में रखा जाता है। हाइपोथर्मिया के शिकार बच्चों का मस्तिष्क, फेफड़ा आदि काम करना बंद करने लगता है। ऐसे बच्चों को भी रेडिएंट वार्मर में रखा जाता है।

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42 दिन पहले हुआ था उद्घाटन, चंद दिनों में ही हो गया खराब

42 दिन पहले यानी 27 मार्च को अधीक्षक डॉ. आरसी मंडल ने करीब ढ़ाई लाख की लागत से लाए गए छह रेडिएंट वार्मर को इमरजेंसी के पीडियाट्रिक वार्ड में शुरू कराया था। लेकिन एक महीने से रेडिएंट वार्मर तापमान को मेंटेन नहीं कर पा रहा है। इस बात की जानकारी सिस्टर इंचार्ज, इमरजेंसी के डॉक्टरों और मैनेजर के थी। पर उन्होंने अधीक्षक, शिशु रोग विभाग के अध्यक्ष और इमरजेंसी के प्रभारी को इससे अनजान रखा।

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