Dangerous: कोरोना मरीजों में बढ़ रहा फेफड़े का संक्रमण, निमोनिया, मोटापा, शुगर और बीपी वाले मरीजों को ज्यादा खतरा

12 से 14 दिन में कोरोना के मरीजों की स्थिति ठीक होने पर डिस्चार्ज कर दिया जाता है लेकिन इसमें 13 फीसद ही मरीज पूरी तरह स्वस्थ हो पाते हैं। डॉ. आलोक कुमार बताते हैं शोध में पुष्टि हुई है कि 87 फीसद मरीजों में कोरोना के लक्षण रहते हैं।

By Dilip ShuklaEdited By: Publish:Tue, 22 Sep 2020 11:22 PM (IST) Updated:Tue, 22 Sep 2020 11:22 PM (IST)
Dangerous: कोरोना मरीजों में बढ़ रहा फेफड़े का संक्रमण, निमोनिया, मोटापा, शुगर और बीपी वाले मरीजों को ज्यादा खतरा
जेएलएनएमसीएच के नोडल पदाधिकारी डॉ. हेमशंकर शर्मा

भागलपुर, जेएनएन। कोरोना को मात देने वाले मरीजों में तीन-चार सप्ताह बाद फेफड़ा संक्रमण (फाइब्रोसिस) पोस्ट कोविड का खतरा बढ़ गया है। अब तक भागलपुर में एक दर्जन से ज्यादा केस आ चुके हैं। फेफड़ा संक्रमण की वजह से एक मरीज की जान भी जा चुकी है। वहीं, कई आइसीयू और वेंटिलेटर पर हैं। पोस्ट कोविड की समस्या ने चिकित्सकों को भी हैरत में डाल दिया है।

13 फीसद ही मरीज पूरी तरह स्वस्थ

12 से 14 दिन में कोरोना के मरीजों की स्थिति ठीक होने पर डिस्चार्ज कर दिया जाता है, लेकिन इसमें 13 फीसद ही मरीज पूरी तरह स्वस्थ हो पाते हैं। हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. आलोक कुमार बताते हैं शोध में पुष्टि हुई है कि 87 फीसद मरीजों में कोरोना के लक्षण रहते हैं। पोस्ट कोविड किसी भी उम्र के लोगों में होने की संभावना रहती है। चिकित्सक के अनुसार इस बीमारी में वैसे लोग चपेट में आ रहे हैं, जो मोटापा, धूमपान, बीपी, शुगर और निमोनिया से ग्रस्त हैं।

सांस लेने में होती है परेशानी

पोस्ट कोविड के मरीजों को सांस लेने में परेशानी होती है। चिकित्सकों के मुताबिक सीने में दर्द हो रहा है। इसके अलावा थकान व कमजोरी की समस्या भी हो रही है। संक्रमित निमोनिया से पीडि़त हो जाता है या उसमें ऑक्सीजन की कमी होने लगती है। इसके बाद मरीज को वेंटिलेटर पर रखा जाता है।

फेफड़ा सिकुडऩ के लक्षण

-कोरोना मरीजों में कमजोरी

-सांस और दम फूलना

-शरीर में ऑक्सीजन की कमी

-घबराहट, चक्कर आना, पसीने आना।

इलाज

-फेफड़े का प्रत्यारोपण

-नियमित जांच

-फाइब्रोसिस दवा का सेवन

-टीवी और अन्य संक्रमित मरीजों से दूरी बनाएं रखें

कोरोना से ठीक हो चुके कई लोगों में पोस्ट कोविड की समस्या होने लगी है। इसका असर तीन-चार सप्ताह में होता है। फेफड़े की कोशिकाएं सिकुड़ जाती हंै। ऐसे में मरीज को वेंटिलेटर पर रखा जाता है।

-डॉ. हेमशंकर शर्मा, नोडल पदाधिकारी, कोरोना।

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