बिहार: मछली मारने के लिए नद‍ियों में मछुआरा डाल रहे जहर, देसी प्रजाति की इन मछलियों के अस्तित्‍व पर मंडरा रहा खतरा

बिहार में मछुआरे मछली मारने के लिए नद‍ियों में जहर डाल रहे हैं। इससे देसी प्रजाति की मछलियों के अस्‍त‍ित्‍व पर खतरा मंडराने लगा है। पूर्णिया के एक नदी में 15 दिनों के अंदर पांचवी बार जहर डाली गई है।

By Abhishek KumarEdited By: Publish:Sat, 15 Jan 2022 06:34 AM (IST) Updated:Sat, 15 Jan 2022 06:34 AM (IST)
बिहार: मछली मारने के लिए नद‍ियों में मछुआरा डाल रहे जहर, देसी प्रजाति की इन मछलियों के अस्तित्‍व पर मंडरा रहा खतरा
बिहार में मछुआरे मछली मारने के लिए नद‍ियों में जहर डाल रहे हैं।

संस,सरसी(पूर्णिया)। जिले के सीमा अंतर्गत बहने वाली कोसी नदी में रहने वाली जलीय जीव मछुआरों की अमानवीय अत्याचार से विलुप्ति के कगार पर पर है। उनके द्वारा वार-वार विभिन्न घाटों पर कीटनाशक दवा का प्रयोग कर मछलियों को मारा जा रहा है। जिसमें कई दुर्लभ प्रजातियों की मछलियां भी शामिल है। विगत 15 दिनों में सरसी थाना अंतर्गत बहने वाली कोसी नदी में मछुआरों द्वारा पांच बार कीटनाशक दवाई का प्रयोग कर इस तरह की घटना को अंजाम दिया गया।

अत्यधिक लाभ की चाहत में मछुआरों द्वारा बरसात के मौसम में उफनती धाराओं के साथ कई प्रजातियों की मछलियां आती है जिसे पूर्ण यौवन प्राप्त करने के पूर्व ही मछुआरोंं द्वारा एक झटके में नष्ट कर दिया जाता है। जबकि यह क्षेत्र देसी मछली के मामले में समृद्ध माना जाता था तथा सालों भर मछुआरों की टोलियां नदी में गोता लगाकर देशी प्रजातियों की मछलियां पकड़ा करती थी।

जिनमें अरिया,रेहू,कतला,दरही,रेवा,वुआरी,टैगरा, वोचवा,लट्टा, बामी के अतिरिक्त अन्य प्रजातियों की मछलियां शामिल थी तथा इनका साइज के अनुसार भाव लगाकर खरीदारों के बीच बेचा जाता था। इसके अतिरिक्त इस क्षेत्र में मौसम के अनुसार मछलियों के स्वाद की परख एवं व्यक्तियों की मांग के आधार पर बाजार मूल्य निर्धारित था। जिसमें माघ महीने की बुआरी मछली की स्वाद उत्तम एवं फायदेमंद मानी जाती थी। लेकिन अमानवीय अत्याचार के कारण बाजार में इसकी उपलब्धता नहीं के बराबर है।

अत्यधिक लाभ की चाहत में मछुआरों द्वारा विभिन्न प्रकार के कीटनाशकों का प्रयोग कर मार दिया जाता है। विगत दो सप्ताह पूर्व से ही बनमनखी एवं धमदाहा प्रखंड होकर बहने वाली कारी कोसी नदी में कई स्थानों पर मछुआरों द्वारा चोरी छुपे कीटनाशक दवाई का प्रयोग कर मछलियों को मारा गया तथा बड़ी संख्या में इन्हें निकाल कर बाजार में बेचा गया।

कैसे की जाती है नदियों में कीटनाशक दवाई का प्रयोग:

कई मछुआरों की मिलीभगत से मकई फसल में प्रयोग की जाने वाली कीटनाशक को मछली मारने वाले स्थान से लगभग दो तीन किलोमीटर की दूरी पर गिराया जाता है तथा निर्धारित स्थानों पर जाल लगाकर इन दवाइयों के प्रभाव से बेहोश मछलियों को पकड़ा जाता है। 

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