आठ करोड़ की वित्तीय अनियमितता मामले में डीएम ने जांच कमेटी से पूछा स्पष्टीकरण

DM ने जांच दल के तीनों सदस्यों को एक सप्ताह में स्पष्टीकरण सहित जांच प्रतिवेदन उपलब्ध कराने का आदेश दिया है।131 माध्यमिक व उच्च माध्यमिक विद्यालयों में वित्तीय अनियमितता पाई गई है।

By Dilip ShuklaEdited By: Publish:Sun, 30 Aug 2020 10:54 PM (IST) Updated:Sun, 30 Aug 2020 10:54 PM (IST)
आठ करोड़ की वित्तीय अनियमितता मामले में डीएम ने जांच कमेटी से पूछा स्पष्टीकरण
आठ करोड़ की वित्तीय अनियमितता मामले में डीएम ने जांच कमेटी से पूछा स्पष्टीकरण

सुपौल, जेएनएन। जिले के 131 माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक विद्यालयों में वित्तीय वर्ष 2017-18 में राज्य सरकार द्वारा प्रयोगशाला उपकरण एवं उपस्कर क्रय हेतु आवंटित 7 करोड़ 69 लाख रुपये का बड़े पैमाने पर हुए वित्तीय अनियमितता को लेकर गठित जांच दल ने जांच कार्य को ठंडे बस्ते में डाल दिया है।

अपर मुख्य सचिव शिक्षा विभाग के आदेश पर जिलाधिकारी सुपौल द्वारा वरीय उप समाहर्ता की अध्यक्षता में गठित तीन सदस्यीय जांच दल के द्वारा 18 माह बीत जाने के बावजूद जांच प्रतिवेदन समर्पित नहीं किया गया है। जिला पदाधिकारी ने जांच दल के तीनों सदस्यों को एक सप्ताह में स्पष्टीकरण सहित जांच प्रतिवेदन उपलब्ध कराने का आदेश दिया है। जांच प्रतिवेदन प्राप्त नहीं होने की स्थिति में जांच दल के विरुद्ध आवश्यक अनुशासनिक कार्रवाई प्रारंभ कर दी जाएगी। वहीं दूसरी ओर मामले से संबंधित परिवाद दाखिल करने वाले भ्रष्टाचार मुक्त जागरूकता अभियान ने जांच दल पर गंभीर आरोप लगाते हुए जांच से मुक्त करने का अनुरोध किया है।

क्या है अपर मुख्य सचिव का आदेश

बिहार सरकार शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव आरके महाजन ने अपने कार्यालय पत्रांक 594 दिनांक 14 मार्च 2019 के द्वारा परिवाद के आलोक में जिला पदाधिकारी को पत्र लिखकर कहा है कि राज्य सरकार द्वारा माध्यमिक व उच्च माध्यमिक विद्यालयों में प्रयोगशाला उपकरण एवं उपस्कर क्रय करने के लिए उपलब्ध कराए गए राशि के अपव्यय शिकायत विभिन्न स्तरों से पूर्व में प्राप्त हुए हैं। अपर मुख्य सचिव जिला पदाधिकारी को वरीय उप समाहर्ता के नेतृत्व में तीन सदस्यीय जांच टीम का गठन कर जांच दो माह में पूर्ण करा कर जांच प्रतिवेदन विभाग को समर्पित करने का आदेश दिया।

डीएम ने जांच दल से पूछा स्पष्टीकरण

जिला पदाधिकारी के आदेश पर उप विकास आयुक्त ने वरीय उप समाहर्ता वीरेंद्र कुमार, जिला योजना पदाधिकारी सुपौल एवं वरीय कोषागार पदाधिकारी सुपौल को पत्र लिखकर कहा है कि अपर मुख्य सचिव शिक्षा विभाग के आदेश के आलोक में 7 करोड़ 69 लाख रुपए के अपव्यय की ससमय जांच सुनिश्चित करने हेतु एक पक्ष में जांच प्रतिवेदन समर्पित करने का आदेश दिया गया था। जांच प्रतिवेदन समर्पित करने हेतु कई बार स्मार पत्र भी दिया गया। 5 मार्च 2020 एवं 24 जून 2020 द्वारा स्पष्टीकरण भी पूछा गया। लेकिन जांच पदाधिकारी के द्वारा स्पष्टीकरण का जवाब नहीं दिया गया। जांच दल के गठन होने के एक वर्ष बाद भी किसी प्रकार का अंतरिम प्रतिवेदन भी उपलब्ध नहीं कराया गया। एक सप्ताह के अंदर स्पष्टीकरण सहित जांच प्रतिवेदन उपलब्ध कराने का आदेश दिया गया। प्रतिवेदन प्राप्त होने पर अनुशासनिक कार्रवाई की जाएगी।

सरकार के आदेश का हुआ उल्लंघन

वित्तीय वर्ष 2017-18 में जिले के 131 माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक विद्यालयों में प्रयोगशाला उपकरण एवं उपस्कर क्रय हेतु सुपौल जिला को 7 करोड़ 69 लाख लाख आवंटित किया गया। डीपीओ के द्वारा 31 मार्च 2018 को कोषागार से राशि की निकासी कर विद्यालय के प्रधान के खाता में न भेज कर अपने निजी बैंक के खाता में जमा कर दिया। कई महीनों के बाद राशि विद्यालय को भेजा गया। राशि के खर्च हेतु विद्यालय के प्रधानध्यापक की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया। विभागीय पदाधिकारी, आपूर्तिकर्ता एवं कई विद्यालय के प्रधानाध्यापक ने बिहार नियमावली का उल्लंघन कर बिना निविदा का उपस्कर क्रय किया गया।

chat bot
आपका साथी