जिला स्कूल : कभी छात्रों का हुआ करता है पहली पसंद, अब तो यहां मातृभाषा की भी नहीं होती पढ़ाई Bhagalpur News
कभी उत्कृष्ट शैक्षणिक व्यवस्था के लिए जिला स्कूल को मॉडल स्कूल माना जाता है। लेकिन बीते पांच वर्षो से इस स्कूल में संस्कृत जो मैट्रिक में अनिवार्य विषय है उसके शिक्षक नहीं हैं।
भागलपुर [जेएनएन]। 1823 में स्थापित जिला स्कूल कभी छात्रों की पहली पसंद हुआ करता था, लेकिन आज संसाधनों व शिक्षकों के अभाव में बदहाल है। स्कूल में छात्रों के लिए मूलभूत सुविधाएं तक नहीं हैं। संस्कृत और उर्दू जैसी विषयों की पढ़ाई पिछले पांच साल से बाधित है। इन दोनों विषयों के एक भी शिक्षक अभी विद्यालय में नहीं हैं। गणित और विज्ञान विषय के कुछ शिक्षकों का भी पद खाली है। छात्रों को प्रायोगिक ज्ञान देने के नाम पर केवल खानापूर्ति की जा रही है। प्रयोगशाला का भवन पूरी तरह से जर्जर हो चुका है। इससे छात्र व शिक्षक वहां जाते ही नहीं है। प्रयोगशाला में उपकरण भी नहीं हैं। हिन्दी की पढ़ाई की स्थिति भी ठीक नहीं है।
जिला स्कूल में दूर-दराज के छात्रों के लिए हॉस्टल की सुविधा है। लेकिन, छात्र हॉस्टल की जगह किराए के कमरे में रहते हैं। साठ सीटों वाले हॉस्टल के भवन की नियमित साफ-सफाई तक नहीं कराई जाती है। फर्श पर कूड़े-कचरे पसरे रहते हैं।
छात्रों को पढ़ाई के लिए जाना पड़ता है कोचिंग
कभी उत्कृष्ट शैक्षणिक व्यवस्था के लिए जिला स्कूल को मॉडल स्कूल माना जाता है। लेकिन, बीते पांच वर्षो से इस स्कूल में संस्कृत जो मैट्रिक में अनिवार्य विषय है उसके शिक्षक नहीं हैं। यही हाल उर्दू विषय का भी है। छात्र विषयों की पढ़ाई के लिए कोचिंग का सहारा लिया जाता है।
डर से लैब नहीं जाते छात्र
प्रयोगाशला भवन पूरी तरह जर्जर है। छात्र वहां जाने तक से कतराते हैं। दो माह पूर्व छात्रों को लैब में पढ़ाते वक्त छत का मलबा गिरने से एक शिक्षक बाल बाल बच गए थे। इसके बाद से तो वहां छात्रों ने भी जाना बंद कर दिया। लैब में उपकरणों का भी अभाव है। हर माध्यमिक स्कूलों के लैब को मॉडर्न बनाने के लिए सरकार द्वारा पांच-पांच लाख राशि का आवंटन किया गया था, लेकिन जिला स्कूल को यह राशि मुहैया नहीं कराई गई थी।
भूत बंगला बना हुआ है छात्रावास
स्कूल का छात्रावास बदहाल है। छात्रावास के अंदर जहां-तहां बिजली का तार झूल रहा है। बरामदे पर भूसा और कूड़ा-कचरा पसरा हुआ है। 60 बेड वाले इस छात्रावास में माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक के केवल 25 छात्र रह रहे हैं। नवम के छात्र यश राज और 12वीं के छात्र प्रिंस कुमार ने कहा यहां मेस की व्यवस्था नहीं है। छात्रों को खाना खुद पकाना पड़ता है। बिजली वायङ्क्षरग तक नहीं की गई है। पीने के लिए पानी की व्यवस्था नहीं है। समरसेबल बोङ्क्षरग भी फेल हो गया है। सप्लाई वाटर से हमलोग अपनी प्यास बुझाते हैं। सप्लाई पानी नहीं आने पर बाहर से जुगाड़ करना पड़ता है।
सुरक्षा बलों को ठहराने से पढ़ाई होती है बाधित
शहर में स्कूल होने की वजह से पर्व त्योहार सहित विभिन्न कार्यक्रमों में विधि व्यवस्था के लिए यहां सुरक्षा बलों को ठहराया जाता है। जिससे स्कूल की न सिर्फ शैक्षणिक व्यवस्था प्रभावित होती है बल्कि गंदगी का भी आलम बना होता है। वर्ग कक्ष के फर्नीचर को इधर से उधर करने से उसकी भी बर्बादी होती है।
समस्याओं का नए सिरे से रिव्यू किया जाएगा। उसके समाधान की दिशा में सकारात्मक प्रयास किए जाएंगे। शिक्षा को गुणोत्तर बनाया जाएगा। - प्रवण कुमार, डीएम भागलपुर सह अध्यक्ष प्रबंध समिति, जिला स्कूल
उपलब्ध संसाधनों के आधार पर बच्चों को बेहतर शिक्षा दी जा रहा है। स्मार्ट क्लास में बच्चों की पढ़ाई शुरू कर दी गई है। जो समस्याएं हैं उसे प्रबंध समिति के समक्ष रखा गया है। - रेणु पंडित, प्रधानाचार्य, जिला स्कूल भागलपुर।