बिहार: 10 साल में ही ध्वस्त हो गया था 1.2 करोड़ से बना धौरी पुल, बनेगा श्रावणी मेले में जाने वाले कांवरियों की राह का बाधक

कोरोना के चलते श्रावणी मेला दो साल तक स्थगित रहा। इधर अब इस बार मेला फिर से आयोजित होने जा रहा है लेकिन एक साल पहले ध्वस्त हुआ धौरी पुल कांवरियों की राह में रोड़ा बनने को तैयार है। सालभर बाद भी ध्वस्त पुल पर काम नहीं हुआ और जांच...

By Shivam BajpaiEdited By: Publish:Tue, 17 May 2022 02:10 PM (IST) Updated:Tue, 17 May 2022 02:10 PM (IST)
बिहार: 10 साल में ही ध्वस्त हो गया था 1.2 करोड़ से बना धौरी पुल, बनेगा श्रावणी मेले में जाने वाले कांवरियों की राह का बाधक
बांका-मुंगेर जिले के चार दर्जन से अधिक गांवों का लाइफलाइन है पुल।

संवाद सूत्र, बेलहर (बांका): कांवरिया पथ पर बांका-मुंगेर जिला सीमा के बदुआ नदी का ध्वस्त धौरी पुल श्रावणी मेले में श्रद्धालुओं, दुकानदारों एवं स्थानीय लोगों के लिए बड़ी परेशानी बनकर उभरेगी। नदी में बना डायवर्जन भी उतना मजबूत व कारगर साबित नहीं हो रहा है। डायवर्जन के दोनों तरफ काफी चढ़ाव है। बरसात के समय में बाढ़ आने की स्थिति में डायवर्जन टूटने का खतरा रहेगा। पिछले साल भी इससे आवागमन पूर्णतया बाधित हो गया था।

इस पुल का निर्माण 10 साल पूर्व पथ निर्माण विभाग ने जीआरडी कंपनी से कराया था। संवेदक के घटिया निर्माण कार्य एवं विभागीय लापरवाही कारण एक वर्ष पूर्व पुल के दो पाये धंस गए। इससे आवागमन पूर्णतया बंद हो गया। इसकी सूचना से पथ निर्माण विभाग में हड़कंप मच गया। स्थल निरीक्षण कर पुल के दोनों तरफ दीवार खड़ी कर पुल से आवागमन बाधित कर दिया गया।

यह भी पढ़ें: मुखिया ने बेटी के शादी के कार्ड पर छपवाई सन आफ मल्लाह मुकेश सहनी की तस्वीर, चारों ओर बंट गया इन्विटेशन

एक करोड़ दो लाख की लागत से डायवर्जन का निर्माण कार्य कराया गया। लेकिन यह कारगर साबित नहीं हुआ। डायवर्जन से भारी वाहनें नहीं गुजर सकती है। पुल धंसने की जांच के लिए राज्य स्तर से टीम गठित किया गया। घटना के डेढ़ साल बाद भी मामले की जांच पूरी नहीं हो सकी। पुल की स्थिति यथावत है। अब सरकार ने श्रावणी मेला लगाने का भी निर्देश जारी कर दिया है। लेकिन पथ निर्माण विभाग ध्वस्त पुल निर्माण को लेकर अबतक सक्रिय नहीं है। जबकि पुल बांका-मुंगेर जिले के चार दर्जन से अधिक गांवों का लाइफलाइन है।

यह भी पढ़ें: भागलपुर में ससुर ने करवाई विधवा बहू की शादी, बोला- मेरी नहीं थी कोई बेटी, अपने पापा से बढ़कर मुझे माना

कांवरिया की सुविधा के लिए इसका निर्माण हुआ था। ताकि श्रद्धालुओं को बदुआ नदी की तेज धारा से मुक्ति मिल सके। बड़ी संख्या में कांवरिया वाहनें भी पुल के रास्ते गुजरती थी। अगर मेला पूर्व पुल निर्माण को लेकर विभाग कोई निर्णय नहीं लेती है, तो मेले में कांवरियों को नदी की तेज बहाव का सामना करना पड़ेगा। स्थानीय प्रशासन ने बताया कि मामले से डीएम अंशुल कुमार को अवगत कराया जाएगा। ताकि पुल निर्माण कार्य को लेकर ठोस पहल की जा सके।

chat bot
आपका साथी