'बिहार के लाल कैप्टन आनंद कुमार अमर रहें', जनवरी में होना था विवाह, चाचा बोले- सौ बार सलाम

बिहार के लाल कैप्टन आनंद कुमार अमर रहे... भारत माता की जय- करुण स्वरों के साथ ये आवाज बुलंद हो रही है। गांव में मातमी सन्नाटा पसरा हुआ है। शहीद आनंद कुमार के स्वजन जो उनकी शादी की तैयारी में लगे थे। अब सबकुछ याद कर सिसक उठते हैं।

By Shivam BajpaiEdited By: Publish:Tue, 19 Jul 2022 03:59 PM (IST) Updated:Tue, 19 Jul 2022 04:13 PM (IST)
'बिहार के लाल कैप्टन आनंद कुमार अमर रहें', जनवरी में होना था विवाह, चाचा बोले- सौ बार सलाम
कैप्टन आनंद कुमार के गांव-घर में पसरा मातम।

उपेंद्र, खगड़िया : नयागांव शिरोमणि टोला में सन्नाटा पसरा हुआ है। मंगलवार को दिन भर जम्मू-कश्मीर के पुंछ में पेट्रोलिंग के दौरान दुर्घटनावश ग्रेनेड ब्लास्ट में बलिदान हुए कैप्टन आनंद कुमार की चर्चा होती रही। बलिदानी कैप्टन आनंद के गांव स्थित विशाल भवन में चहुं ओर उदासी पसरी हुई है। यहां से रह-रहकर सिसकियां उठती हैं। करुण कुंदन सुनाई पड़ता है। स्वजनों के चेहरे पर उदासी की लकीरें हैं। लेकिन देश की खातिर आनंद के बलिदान से उनके माथे ऊंचे हैं। वे गर्व से भी भरे हुए हैं।

बलिदानी कैप्टन आनंद कुमार 20 दिनों पहले अपने गांव नयागांव शिरोमणि टोला आए थे। 10 जुलाई को वे यहां से ड्यूटी पर गए थे। 17 जुलाई को उनके बलिदान की खबर आई। वे बीते 21 जून को छुट्टी पर घर आए थे। एक जुलाई को गृह प्रवेश था। गृह प्रवेश के बाद 10 जुलाई को ड्यूटी पर गए थे। आनंद कुमार के पिता मधुकर सनगही ने बताया कि तीन माह पहले आनंद लेफ्टिनेंट से प्रमोशन पाकर कैप्टन बने थे। जनवरी 2023 में उनकी शादी होती। जिसकी तैयारी चल रही थी। शादी से पहले उपनयन होता।

नयागांव शिरोमणि टोला के रिश्ते में आनंद के चाचा संजीव कुमार कहते हैं- आनंद बड़ा होनहार था। लेकिन ईश्वर को कुछ और ही मंजूर था। आनंद चला गया, लेकिन उनकी यादें सदैव सजीव रहेगी। वे हमलोगों के दिलों में सदैव जिंदा रहेंगे। आज नयागांव शिरोमणि टोला कहा रहा है- देश के लिए मर मिटने वाले अमर बलिदानी आनंद को सौ-सौ सलाम!

परबत्ता के शहीदों को नमन

आनंद से पहले भी परबत्ता के तीन लाल ने देश की खातिर अपना बलिदान देकर परबत्ता और खगड़िया का नाम ऊंचा किया है। माधवपुर पंचायत के मुरादपुर गांव निवासी थल सेना के जवान अरविंद कुमार झा ने भारत मां की रक्षा के लिए 31 दिसंबर 2001 को अपना बलिदान दिया था। उन्होंने भी जम्मू-कश्मीर में ही पाक सेना से लड़ते हुए अपने प्राण देश के लिए त्यागे थे। पांच जनवरी 2002 को जब उनका पार्थिव शरीर मुरादपुर पहुंचा था, तो उनके अंतिम दर्शन को भीड़ उमड़ पड़ी।

31 दिसंबर 2005 को मध्य विद्यालय मुरादपुर के प्रांगण में बलिदानी अरविंद झा की प्रतिमा का अनावरण किया गया। उस समय उनके पिता 80 वर्षीय रामेश्वर झा (अब स्वर्गीय) खुद चलकर अपने पुत्र की प्रतिमा पर माल्यार्पण किए थे। जिले वासियों को अरविंद की बलिदान पर गर्व है। परबत्ता प्रखंड के ही कुल्हडिय़ा गांव के लांस नायक इरशाद अली 12 जनवरी 2002 को राजस्थान में भारत-पाकिस्तान सरहद पर चौकसी के दौरान बारुदी सुरंग विस्फोट में बलिदान हो गए थे।

जबकि महद्दीपुर पंचायत के झंझरा गांव निवासी सीआरपीएफ के जवान दिवाकर कुमार 18 जुलाई 2016 को औरंगाबाद जिले के सीमावर्ती इलाके में नक्सलियों के साथ मुठभेड़ में बलिदान हुए थे।

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