Bihar News : जमुई में अकाल की काली छाया, किलो-दो किलो में भरना होगा पेट, देखें आंकड़ें

Bihar News बिहार के जमुई जिले में अकाल की काली छाया मंडरा रही है। किसानों के खेतों में फसलों की उपज हुई नहीं है। लिहाजा अब वे क्या बेचेंगे और क्या खाएंगे। इस बात को लेकर भी संकट के बादल मंडरा रहे हैं। पढ़ें पूरी रिपोर्ट...

By Shivam BajpaiEdited By: Publish:Fri, 19 Aug 2022 02:25 PM (IST) Updated:Fri, 19 Aug 2022 02:25 PM (IST)
Bihar News : जमुई में अकाल की काली छाया, किलो-दो किलो में भरना होगा पेट, देखें आंकड़ें
Bihar News : जमुई में किसानों के खेत में नहीं है फसल।

आशीष सिंह चिंटू, जमुई: मौसम की बेरुखी के कारण जिले में इस साल अकाल की काली छाया मंडरा रही है। किलो-दो किलो धान में लोगों को साल भर पेट भरना होगा। एक किसान के हिस्से भी तीस किलो धान ही पा आएगा। यह भी तब संभव होगा जब 17 अगस्त तक आच्छादित हुए धान की उपज सही से प्राप्त हो जाए वरना किलो-दो किलों के भी लाले पड़ जाएंगे। अब तक के हालात में जिले के चार प्रखंड में आबादी के हिसाब से हर व्यक्ति के हिस्से में अधिकतम तीन किलो, दो प्रखंड में चार किलो और दो में नौ किलो तथा दो प्रखंड में अधिकतम 23 किलो धान प्राप्त होगा।

जिले में इस साल औसत उत्पादन अनुमान और अब तक हुई रोपनी के रकवा का गणित का निष्कर्ष या प्रतिफल की डरावनी तस्वीर यही दर्शा रही है। अन्नदाता दाने-दाने के लिए तरस जाएंगे। लिहाजा, किसान भंडारित अनाज को बचाने की जुगत में लग गए हैं।

रोपनी के आधार की गई गणना

धान के संभावित उपज के गणित का आकलन कुछ पारामीटर के आधार पर किया गया है। सांख्यिकी विभाग की पिछले साल की रिपोर्ट से जिले में धान की औसत उत्पादकता और कृषि विभाग की इस साल की अब तक की आच्छादन रिपोर्ट, प्रखंडवार आबादी और निबंधित किसान की संख्या के पारामीटर के साथ कृषि विज्ञानी का मत भी शामिल किया गया है।

90 फीसद कम पैदा होगी उपज

आदर्श मानसून में जिले में 63 हजार 887 हेक्टेयर में धान की खेती होती है। इसमें औसतन 31 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की दर से जिले में 20 लाख 60 हजार 51 क्विंटल उपज प्राप्त होती थी। कृषि विज्ञान केंद्र के प्रमुख डा सुधीर कुमार ङ्क्षसह के अनुसार पानी के अभाव के कारण इस साल विलंब से रोपनी होने और कीट के प्रकोप की वजह से उत्पादकता में गिरावट आएगी। धान की उत्पादकता 32 क्विंटल से घटकर 22 क्विंटल रह जाएगी। इस साल अब तक 7019 हेक्टेयर में ही रोपनी हो पाई यानि 22 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की दर से महज एक लाख 54 हजार 438 क्विंटल उपज ही प्राप्त हो सकेगा। इस हिसाब से इस बार 18 लाख 51 हजार 613 क्विंटल धान की उपज अपेक्षाकृत कम प्राप्त होगी। इसमें भी पानी की कमी के कारण धान के खेत में दरार उभरी है।

खाने को पड़ेगें लाले, बेचना हुआ सपना

इस वर्ष अब तक महज 10.99 फीसद यानि 7019 हेक्टेयर में ही धान की रोपनी हो पाई है। सबकुछ ठीक ठाक रहा तब भी 22 क्विंटल यानी 2200 किलो प्रति हेक्टेयर के हिसाब से एक करोड़ 54 लाख 43 हजार 824 किलो ही धान प्राप्त होगा। जिले की आबादी लगभग 19 लाख है। लिहाजा उपज को आबादी से भाज्य करने पर 8.13 किलो प्रति व्यक्ति तथा जिले में निबंधित किसानों की संख्या पांच लाख 406 से उपज को भाज्य करने पर 30 किलो प्रति किसान पैदावार प्राप्त होगा। इस स्थिति में किसानों को खाने को लाले पड़ जाएंगे। बेचना उनके लिए सपना बन जाएगा।

'उत्पादन प्रभावित होने की संभावना के मद्देनजर वैकल्पिक फसल की सूची स्वीकृति के लिए मुख्यालय भेजी गई है।'-अविनाश चंद्र, जिला कृषि पदाधिकारी, जमुई। -आच्छादित फसल के उपज जाने के बाद होगी ऐसी स्थिति -नहीं उपजा तो किलो-दो किलो के भी पड़ जाएंगे लाले -मुट्ठी भर अनाज में साल भर भरना होगा पेट --63887 हेक्टेयर है धान खेती का लक्ष्य -7019 हेक्टेयर में ही हो पाई है रोपनी -31.40 क्विंटल प्रति हेक्टेयर आदर्श मानसून में धान का औसतन उत्पादन -22 क्विंटल प्रति हेक्टेयर इस बार औसत उत्पादन का अनुमान -18 लाख 51 हजार 613 क्विंटल धान की उपज अपेक्षाकृत कम होगी पैदा -20 लाख 60 हजार 51 क्विंटल आदर्श मानसून में औसतन प्राप्त होता है उपज -01 लाख 54 हजार 438 क्विंटल उपज ही अब तक स्थिति में प्राप्त हो सकेगा धान -पानी के अभाव में खेत में पड़ रहा दरार

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