Bihar Assembly Elections 2020: कोसी की इन तीन पंचायतों के लोग नाव पर सवार होकर पहुंचते हैं वोट डालने

सुपौल की तीन पंचायत बड़हरा सिसोनी घोघररिया कोसी के बीच बसी है। इन पंचायतों के गांव के छह हजार मतदाता 9 मतदान केंद्रों पर वोट डालेंगे। कोसी प्रभावितों की जिंदगी ही नाव है। अब तक इन लोगों की किसी ने सुध नहीं ली है।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Publish:Mon, 19 Oct 2020 08:54 PM (IST) Updated:Mon, 19 Oct 2020 08:54 PM (IST)
Bihar Assembly Elections 2020: कोसी की इन तीन पंचायतों के लोग नाव पर सवार होकर पहुंचते हैं वोट डालने
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सुपौल [मनोज कुमार]। सुपौल विधानसभा क्षेत्र के मरौना प्रखंड के कोसी प्रभावितों की ङ्क्षजदगी ही नाव है। छह महीने तक तो इनका बसेरा भी नाव पर ही होता है। मझधार में बसे ये लोग तो प्रत्याशियों का बेड़ा पार लगाते रहे लेकिन इन्हें किनारा नहीं मिला है। इस चुनाव भी इस क्षेत्र के छह हजार मतदाता 9 मतदान केंद्रों पर वोट डालेंगे इनमें से लगभग दो हजार मतदाताओं को नाव से ही मतदान केंद्रों पर जाना पड़ेगा।

प्रखंड की तीन पंचायत बड़हरा, सिसोनी घोघररिया कोसी के बीच बसी है। इन पंचायतों के गांव के छह हजार मतदाता 9 मतदान केंद्रों पर वोट डालेंगे। इनमें से लगभग दो हजार मतदाताओं को मतदान करने के लिए मतदान केंद्र तक जाने के लिए दो किमी का सफर नाव से करना पड़ेगा। सिसोनी पंचायत के कोसी में बसे जोबहा, जोबहा खास केंद्र संख्या 27 प्राथमिक विद्यालय जोबहा में 625 मतदाता, केंद संख्या 26 एकडरा, सिसोनी छिट पर 965, बड़हरा पंचायत के मतदान केंद्र संख्या 37 उत्क्रमित मध्य विद्यालय पंचगछिया में 550 मतदाता, घोघररिया पंचायत के मतदान केंद्र 88 प्रथमिक विद्यालय बेला पर मेनहा बेला के 809, मतदान केंद्र 89 केंद्र मौजा मेनहा खाता संख्या 108 चलंत मतदान केंद्र नथुनी यादव घर से पश्चिम 389, केंद्र संख्या 93 उत्क्रमित मध्य विद्यालय खोखनहा अमीन टोला पर 806, मतदान केंद्र 94 पर 632, केंद्र 95 प्रथमिक विद्यालय खोखनहा में 998 तथा केंद्र संख्या 96 प्राथमिक विद्यालय लक्ष्मीनिया में 392 मतदाता अपना मत का प्रयोग करेंगे। कोसी नदी की बाढ़ के कारण अभी भी इस इलाके में लोग नाव की ही सवारी करते हैं। अधिकारियों को भी इस बीच के मतदान केंद्रों तक जाने के लिए नाव ही सहारा है। ऐसे में मतदान के दौरान महिला सहित अन्य मतदाताओं को मतदान करने के लिए दो किमी तक नाव की सवारी करनी पड़ती है। इन गांवों में सड़क की सुविधा नहीं है। नाव से ही लोगों को आवागमन करना पड़ता है।

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