कैदियों में आने लगे बदलाव : बंदी करने लगे योग, पुस्तकों में भी रुचि Bhahalpur News

बंदी अब सुबह उठकर दैनिक क्रिया से निवृत्त होने के बाद योग-साधना व्यायाम और प्रार्थना कर रहे हैं। जेल में नवरात्र के दौरान एक दर्जन कलश स्थापित किए गए थे।

By Edited By: Publish:Sat, 19 Oct 2019 07:55 PM (IST) Updated:Sun, 20 Oct 2019 01:31 PM (IST)
कैदियों में आने लगे बदलाव : बंदी करने लगे योग, पुस्तकों में भी रुचि Bhahalpur News
कैदियों में आने लगे बदलाव : बंदी करने लगे योग, पुस्तकों में भी रुचि Bhahalpur News

भागलपुर [कौशल किशोर मिश्र]। जेल के बंदी अब योग करने लगे हैं, पुस्तकों में भी रुचि जाग गई है। उनमें आए इस सकारात्मक बदलाव से जेल प्रशासन भी उत्साहित है। जेल प्रशासन ने बंदियों के शारीरिक, मानसिक, मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य विकास और बदलाव के लिए कवायद शुरू की है। कारा महानिरीक्षक मिथिलेश मिश्र ने जेल अधीक्षकों को इस बाबत हाल में निर्देश दिया था कि वह जेलों में यह अनूठा प्रयोग करें। इस निर्देश पर भागलपुर के शहीद जुब्बा सहनी केंद्रीय कारा, महिला मंडल कारा और विशेष केंद्रीय कारा के बंदियों की दिनचर्या में योग साधना, व्यायाम और प्रार्थना शामिल हो गई है।

बंदी अब सुबह उठकर दैनिक क्रिया से निवृत्त होने के बाद योग-साधना, व्यायाम और प्रार्थना कर रहे हैं। जेल में नवरात्र के दौरान एक दर्जन कलश स्थापित किए गए थे। सवा सौ बंदियों ने नवरात्र का व्रत रखा।

योग साधना, व्यायाम और प्रार्थना के प्रति इस ललक का एक और सुखद परिणाम देखने को मिल रहा है कि उन्होंने जेल में खुद का म्युजिकल ग्रुप तैयार कर लिया है। गीत-संगीत और नृत्य के प्रति भी उनका लगाव बढ़ा है। घर-परिवार और बच्चों से दूर जेल में कई ऐसे बंदी थे, जो अवसाद से ग्रसित होने लगे थे। उनकी जीवनशैली में भी बदलाव नजर आने लगा है।

अब अकेले जेल की कोठरी में छत निहारने के बजाय कैदियों से घुलमिल गए हैं। जेल अधिकारियों का मानना है कि ऐसा कर जब बंदी जेल जीवन से मुक्ति बाद बाहर जाएं तो वह समाज की मुख्य धारा से जुड़ेंगे। अपराध जगत से उनका मोह भंग हो जाएगा।

पुस्तकालय में प्रेमचंद समेत कई नामवर लेखक की पुस्तकें

जेल में मौजूद पुस्तकालय में जिन बंदियों की रुचि नहीं हुआ करती थी, वे अब एक घंटे से अधिक समय वहां बिताने लगे हैं। जेल प्रशासन ने भी महात्मा गांधी समेत कई महापुरुषों की किताबें और प्रेमचंद समेत कई नामवर लेखकों की पुस्तकें उपलब्ध करा रखी हैं। अब कैदी महापुरुषों की पुस्तकें पढ़ने लगे हैं।

यह योग का ही प्रभाव है कि ताश, लूडो, खैनी आदि से नाता तोड़ कर इन जेलों के बंदी अब सुबह उठकर शौच जाने के बाद योग-साधना, व्यायाम और प्रार्थना करना शुरू कर देते हैं। पिछली नवरात्रा में सवा सौ बंदियों के नवरात्रा व्रत रखने के बाद भी उनकी योग साधना, व्यायाम और प्रार्थना बदस्तूर चलती रही थी। उनकी इस लगनशीलता का केंद्रीय जेल में एक सुखद परिणाम यह देखने को मिल रहा है कि वहां के बंदियों ने एक म्युजिकल ग्रुप भी तैयार कर लिया है। सत्संग, गीत, संगीत और नृत्य के प्रति भी उनका लगाव बढ़ा है। घर-परिवार और बच्चों से दूर इन जेलों में कई पुरुष व महिला बंदी अवसाद से ग्रसित होते जा रहे थे। लेकिन योग क्रियाएं करने के बाद से उनकी जीवन शैली में बदलाव नजर आने लगा है। अब एकांत में जेल की कोठरी की छत निहारने के बजाय वे कैदियों से घुलमिल कर बातचीत करते देखे जा रहे हैं।

जेल अधीक्षक संजय कुमार चौधरी ने कहा कि बंदियों में योग साधना, व्यायाम और प्रार्थना से बदलाव दिख रहा है। उनका एकाकीपन और अवसाद दूर होने लगा है। साथ ही आपसी वैमनस्यता में भी कमी आंकी गई है।

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