विदेशी सुरक्षा गार्डों की वर्दी पर सज रहे धोरैया के बैज, स्थानीय लोगों को मिल रहा रोजगार Banka News

फिलहाल अमेरिका की आरएल एजेंसी के सुरक्षाकर्मियों के लिए यहां बैज तैयार किए जा रहे हैं। प्रति मजदूर आठ से नौ हजार रुपये की आमदनी हर महीने इस काम से हो जाती है।

By Dilip ShuklaEdited By: Publish:Tue, 03 Mar 2020 11:01 AM (IST) Updated:Tue, 03 Mar 2020 11:01 AM (IST)
विदेशी सुरक्षा गार्डों की वर्दी पर सज रहे धोरैया के बैज, स्थानीय लोगों को मिल रहा रोजगार Banka News
विदेशी सुरक्षा गार्डों की वर्दी पर सज रहे धोरैया के बैज, स्थानीय लोगों को मिल रहा रोजगार Banka News

बांका [बोधनारायण तिवारी]। बांका जिले के धोरैया प्रखंड का एक छोटा सा गांव है कुरमा। यहां सुरक्षा गार्डों की वर्दी पर लगाए जाने वाले बैज बनाए जाते हैं। अमेरिका, जापान, आस्ट्रेलिया आदि देशों में यहां के बने बैज भेजे जा रहे हैं। एक माह पूर्व तत्कालीन जिलाधिकारी ने इसे लघु उद्योग का रूप देने के लिए उद्योग मंत्रालय को प्रस्ताव भी भेजा है।

10 साल पूर्व मो. शशि ने गोड्डा से कारीगर लाकर इस काम की शुरुआत की थी। बाद में स्थानीय लोगों ने काम सीखा और खुद बैज बनाने लगे। अभी लगभग तीन दर्जन लोग इस काम से जुड़े हुए हैं। फिलहाल अमेरिका की आरएल एजेंसी के सुरक्षाकर्मियों के लिए यहां बैज तैयार किए जा रहे हैं। प्रति मजदूर आठ से नौ हजार रुपये की आमदनी हर महीने इस काम से हो जाती है। एक माह पूर्व उद्योग विभाग को भेजे गए प्रस्ताव को लेकर कौशल विकास की टीम ने भी कारीगरों से बात की। अभी इसपर कोई योजना नहीं बन सकी है। कारीगरों का कहना है कि यदि प्रस्ताव को स्वीकृति मिलती है तो उनके दिन बहुरेंगे। काम का नेतृत्व कर रहे मो. हाशिम ने बताया कि दिल्ली के बड़े संवेदक धवन और मो. शफीक के जरिये यहां तैयार बैज विदेश भेजे जाते हैं। कच्चे माल की आपूर्ति भी संवेदक ही करते हैं। कारीगरों को प्रति बैज 35 रुपये दिए जाते है। गांव से करीब एक हजार बैच हर महीने तैयार कर दिल्ली भेजे जाते हैं। कारीगरों में मो. नसीम, मो. शौकत, मो. मन्नान व मो. अब्बास ने बताया कि पहले गांव में तीन जगहों पर बैज बनते थे, लेकिन अब एक ही जगह पर सभी कारीगर बैज बनाते हैं। देश के सुरक्षा गार्डों के लिए बैज बनाना कारीगरों की चाहत है। हेड कारीगर मो. सलीम ने बताया कि ब्रिटेन के लिए बनने वाले बैज पर वहां का झंडा, आस्ट्रेलिया के बैज पर कंगारू और अमेरिकी बैज पर आरएल अंकित किया जाता है। फिलहाल अमरेकी बैज का ऑर्डर प्राप्त हुआ है।

कुरमा के कारीगरों से नये जिलाधिकारी सुहर्ष भगत को अवगत कराया जाएगा। पहले इसके लिए उद्योग मंत्रालय को प्रस्ताव भेजा गया था, लेकिन अभी तक कोई रिपोर्ट नहीं आई है। - अभिनव भारती, बीडीओ, धोरैया

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