गजब है: 150 सरकारी स्कूलों के पास नहीं खुद की जमीन, 132 का भवन निर्माण नहीं, सुपौल में कागज पर 282 प्राथमिक विद्यालय

गजब है ऐसा इसलिए कि स्कूलों की स्थापना को कई साल हो चुके हैं लेकिन धरातल पर ये स्कूल हैं ही नहीं। स्थिति बिहार के सुपौल जिले की है। जहां 282 प्राथमिक स्कूल हैं जिनमें से 150 के पास अपनी खुद की जमीन नहीं है...

By Shivam BajpaiEdited By: Publish:Tue, 18 Jan 2022 04:27 PM (IST) Updated:Tue, 18 Jan 2022 04:27 PM (IST)
गजब है: 150 सरकारी स्कूलों के पास नहीं खुद की जमीन, 132 का भवन निर्माण नहीं, सुपौल में कागज पर 282 प्राथमिक विद्यालय
बिहार की शिक्षा व्यवस्था पर एक नजर...

 जागरण संवाददाता, सुपौल: जिले में बदहाल प्रारंभिक शिक्षा व्यवस्था का खामियाजा बच्चों को भुगतना पड़ रहा है। विद्यालयों में शिक्षकों की कमी, बुनियादी सुविधाओं के अभाव के अलावा यहां सैकड़ों विद्यालय अपने लिए जमीन तलाश रहे हैं। इन सबके बीच जमीन तलाशते विद्यालयों में बच्चे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की खोज में जुटे हैं। नवसृजित 282 प्राथमिक विद्यालयों में 150 विद्यालय ऐसे हैं जिन्हें जमीन तक उपलब्ध नहीं हो पाई है जबकि इनकी स्थापना को कई वर्ष बीत चुके हैं। इन सबके बीच मजे की बात यह कि जिले में ऐसे 132 विद्यालय हैं जिन्हें जमीन तो उपलब्ध है परंतु राशि के अभाव में भवन नहीं बन पाया है। ऐसे भूमिहीन और भवनहीन विद्यालयों के बच्चे नजदीक के भवन वाले विद्यालयों में शिक्षा ग्रहण करने को मजबूर हैं।

13 वर्षों बाद भी नहीं बना भवन

जिले में जो 315 प्राथमिक विद्यालय सृजित किए गए। इनमें से 165 विद्यालय को जमीन तो उपलब्ध हो पाई परंतु 13 वर्ष बीतने के बाद भी सिर्फ 33 विद्यालयों का भवन बन पाया और 132 विद्यालय का भवन नहीं बन पाया है। विभाग कहना है कि 2014-15 के बाद सरकार द्वारा भवन निर्माण के लिए राशि ही उपलब्ध नहीं कराई गई है इसलिए 132 विद्यालयों का भवन नहीं बन सका। जिले में 150 ऐसे प्राथमिक नवसृजित विद्यालय हैं जिन्हें जमीन उपलब्ध नहीं हो पाई है।

बच्चों को हो रही परेशानी

बच्चों को प्रारंभिक शिक्षा के लिए घर से अधिक दूर नहीं जाना पड़े इसके लिए सरकार ने गांव टोले में नवसृजित विद्यालयों की स्थापना की। इन विद्यालयों में से अधिकांश को बुनियादी सुविधा तक उपलब्ध नहीं हो पाई है। तीन वर्ष पूर्व ऐसे विद्यालयों को नजदीक के विद्यालय में शिफ्ट कर जैसे तैसे पढ़ाई करवाई जा रही है। विद्यालय के घरों से दूर होने के कारण बच्चों को शिक्षा ग्रहण करने में कई तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।

'चालू वित्तीय वर्ष में 11 विद्यालयों के भवन निर्माण के लिए राशि मिली है। शेष के लिए भी राशि की मांग की गई है।'- सुभाष कुमार, जिला कार्यक्रम पदाधिकारी, प्राथमिक शिक्षा एवं सर्व शिक्षा अभियान।

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