भागलपुर के बाद मुजफ्फरपुर में महिला शिक्षक अभ्यर्थी की जिदंगी में आया तूफान, सुन लीजिए पिता की करुण पुकार
छठे चरण के तहत चल रही शिक्षक नियोजन की प्रक्रिया अब तक पूरी नहीं हो पाई है। काउंसलिंग में हुई गड़बड़ी के बाद कई जगहों पर काउंसलिंग रद कर दी गई। दूसरी तरफ तीसरे चरण की काउंसलिंग कब से शुरू होगी इस बारे में भी शिक्षक अभ्यर्थियों को नहीं पता।
आनलाइन डेस्क, भागलपुर। बिहार में बड़े पैमाने पर शिक्षक नियोजन की प्रक्रिया लंबे समय से चल रही है। दो चरणों की काउंसलिंग के बाद एक बार फिर इसपर ब्रेक लगा हुआ है। ऐसे में शिक्षक अभ्यर्थी लगातार शिक्षा विभाग से नियुक्ति पत्र और शेष बचे अभ्यर्थियों की काउंसलिंग के लिए मांग कर रहे हैं। उधर भागलपुर के बाद मुजफ्फरपुर से एक ऐसा मामला सामने आया है, जहां महिला शिक्षक अभ्यर्थी की जीवन में तूफान आ गया है। पिता अपनी बिटिया के बसने वाले घर को बचाने के लिए गुहार रहा है।
शिक्षक बनने के ख्वाब देख रहे हजारों परिवारों के बेटे-बेटियां आज परेशान हैं। भागलपुर में जहां एसटीईटी रिजल्ट आने के बाद एक पुरुष शिक्षक अभ्यर्थी के जीवन में उथल-पुथल मच गया था। उसकी शादी के बाद ससुराल वाले नाट इन मेरिट लिस्ट के चलते नाराज हो रहे थे। वहीं अब मुजफ्फरपुर से भी एक ऐसी ही वाकया सामने आया है। यहां मंगलवार को विद्या बिहार स्थित नियोजन कोषांग मोतीपुर पहुंचे पिता ने रुंधे गले जो कहा वो उस दर्द को बयां करने लगा, जिसके लिए एक पिता अपनी बेटी के लिए उम्रभर तपता है।
पिता ने कहा कि बेटी की शादी टूटन के कगार पर आ गई है। वजह काउंसलिंग रद होना है। इतना कहते कहते वे रोने लगते हैं। उन्होंने आगे कहा कि बड़ी मेहनत के बाद बच्ची यहां तक पहुंची। खूब पढ़ाई की, उसका सपना टीचर बनने का था लेकिन बिहार में लंबे समय से नियोजन प्रक्रिया पूरी नहीं हो पा रही है। उन्होंने कहा कि हाल में काउंसलिंग शुरू हुई तो लगा बिटिया टीचर बन जाएगी, इसी आधार पर शादी भी तय हो गई। लेकिन अब...
5 सितंबर: शिक्षक दिवस के दिन पटना में प्रदर्शन
बता दें कि मुजफ्फरपुर के जहांगीर पंचायत में 16 जुलाई को हुई काउंसलिंग को रद करने की अनुशंसा की गई है। ऐसे में पिता ने अपना दर्द बयां किया। बिहार के शिक्षक अभ्यर्थियों की मानें तो ये नियोजन प्रक्रिया ऐतिहासिक होती जा रही है। न जाने कितने आंदोलन-धरना प्रदर्शन और आनलाइन माध्यम से अपनी आवाज उठा चुके अभ्यर्थी राहुल, सौरव, कृष्ण और इमरान कहते हैं कि विभाग की ओर से 'जल्द ही' शब्द का प्रयोग कर हमें सालों से आश्वासन मिल रहा है लेकिन इसपर आखिरी मुहर कब लगेगी ये पता नहीं।
भागलपुर की पूनम, स्मिता जैसी तमाम महिला अभ्यर्थियों का कहना है कि काउंसलिंग के बाद प्रमाण पत्र जमा करा लिए गए हैं। ऐसे में हम किसी प्राइवेट स्कूल में पढ़ाने या कोई और काम भी नहीं देख सकते क्योंकि सभी जगह प्रमाण पत्र जांच की जाती है। हाथों में मेहंदी लगा, घर पर व्रत रख हमने इंटरनेट मीडिया पर सरकार से मांग की लेकिन अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
दिव्यांग छोटू: बीएड पास कर कितने साल हो गए?
ऐसी ही कई तस्वीरें सामने हर रोज सामने आ रहीं हैं। तस्वीरें दिव्यांग छोटू की भी हैं, जिनकी मां उन्हें एग्जाम दिलाने गोद में लेकर गई कि बेटा शिक्षक बनेगा, पात्र छोटू की काउंसलिंग भी हो चुकी है। लेकिन उन्हें कब तक नियोजन पत्र मिलेगा, इस बाबत वो टकटकी लगाकर सरकार की ओर देख रहे हैं। जनवरी में उनकी मां इसी मांग को लेकर छोटू को गोद में लेकर पटना पहुंची थीं।
शिक्षक अभ्यर्थियों की मानें तो कोरोना काल में जहां स्कूल कालेज बंद हुए, उसके बाद से आर्थिक तंगी और बढ़ गई, प्राइवेट ट्यूशन और कोचिंग से पहले गुजारा चल भी रहा था लेकिन अब ऐसा नहीं है। सरकार की ओर से मिले अश्वासन के बाद हमने सोचा कि अब बिहार के नौनिहालों को पढ़ाने का मौका मिलेगा लेकिन कब? ये अभी भी सवाल बना हुआ है। इनमें से कई शादीशुदा भी हैं, जिनके जीवन में संघर्षों का नया दौर शुरू है। जानकारी मुताबिक, बिहार में तकरीबन 3.15 लाख शिक्षकों के पद रिक्त हैं।
छठे चरण के तहत 2019 में 1.25 लाख पदों पर भर्ती निकाली गई थी। कई कारणों के चलते ये भर्ती प्रक्रिया पहले कोर्ट में लंबित रही, वहां से हरी झंडी मिलने के बाद काउंसलिंग शुरू कराई गई। कहा गया था कि 15 अगस्त तक इसे पूरा करा दिया जाएगा लेकिन ऐसा हुआ नहीं। बहरहाल, शिक्षा विभाग की मानें तो इसी साल के अंत तक ये भर्ती प्रक्रिया पूरी होगी फिर सातवें चरण की प्रक्रिया शुरू करने की कवायद की जाएगी। छठे चरण की प्रक्रिया के लिए विभाग का ये भी कहना है कि इसमें फर्जीवाड़ा न हो और पूरी तरह से पारदर्शिता रहे। इन सबको ध्यान में रखकर विभाग कदम बढ़ा रहा है।