बिजली बिल की बढ़ोतरी : व्यवस्था अधूरी, वसूली पूरी

बिजली के दाम में अचानक भारी बढ़ोतरी की सिफारिश से लोगों में नाराजगी साफ है ।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 26 Mar 2017 03:03 AM (IST) Updated:Sun, 26 Mar 2017 03:03 AM (IST)
बिजली बिल की बढ़ोतरी : व्यवस्था अधूरी, वसूली पूरी
बिजली बिल की बढ़ोतरी : व्यवस्था अधूरी, वसूली पूरी

बेगूसराय सदर । बिजली के दाम में अचानक भारी बढ़ोतरी की सिफारिश से लोगों में नाराजगी साफ नजर आ रही है। लोग इसे व्यवस्था से अधिक आम जन पर भार की नजर से देख रहे हैं। हर किसी के जुबान पर यह शब्द सुनाई दे रहा है कि अगर व्यवस्था और बिजली सप्लाई बेहतर ढंग से हो तो फिर दामों में वृद्धि समझ में आती है। परंतु, बिजली की लचर व्यवस्था और 24 में से चंद घंटे बिजली की आपूर्ति पर इस तरह कीमत बढ़ाने की सलाह उचित नहीं है। बिजली विभाग एक ऐसा विभाग है जिससे हर किसी का सीधा संबंध होता है। ऐसे में बिजली से जुड़ी छोटी-बड़ी हर सूचना हर किसी को प्रभावित कर रही है।

बिजली के दर में वृद्धि पर आम लोगों की राय

प्रियंका कुमारी ,बरौनी प्रखंड ,महना गांव:

बिजली के दाम कुछ सोच समझ कर ही बढ़ाए गए होंगे। परंतु, इसे बढ़ाने से पहले इसकी व्यवस्थाओं में व्यापक सुधार किया जाना चाहिए। हर चीज महंगी हो रही है, स्वभाविक है कि बिजली भी इससे अछूता नहीं रह सकती। मगर बात वहीं आकर अटक जाती है कि जबतक बेहतर सुविधाएं न मिले सिर्फ कीमते नहीं बढ़ाई जानी चाहिए।

उपेंद्र चौधरी,डुमरी :

बिजली की कीमत बहुत अधिक बढ़ा दी गई है। किसी भी चीज की कीमत में जब वृद्धि होती है तो उसके लिए एक पैमाना होता है। अचानक बिजली के दर में हुई वृद्धि हर किसी को स्वभाविक रूप से परेशान करने वाली है। सरकार को इस दिशा में बेहतर कदम उठाने की आवश्यकता है।

रेशमा कुमारी , बलिया:

बिजली दर में बढ़ोत्तरी की जो सिफारिश कमेटी के द्वारा की गई है, वह बिजली व्यवस्था सुधरने के बाद लागू की जानी चाहिए। एक साथ 55 प्रतिशत दाम बढ़ाना किसी भी नजरिए से दुरुस्त नहीं है। हालांकि बाद में उसे 28 प्रतिशत बढ़ोत्तरी करने की खबर भी सामने आ रही है। पूरा मामला सामने आने के बाद बेहतर सुझाव दिए जा सकते हैं।

रंधीर कुमार, नूरपुर , बरौनी :

महंगाई की मार से पहले ही टूट चुकी जनता पर और अधिक बोझ डालने का निर्णय संवेदनहीनता को दर्शाता है। जनता सरकारें अपनी बेहतर सुविधा के लिए बनाती हैं। परंतु, लचर सरकारी व्यवस्था के कारण से जनता ही त्रस्त रहती है। सरकारें कोई भी हो, आमदनी के स्त्रोत बढ़ाने के लिए उद्योग का सहारा ले, और जनता को अधिक से अधिक लाभ पहुंचाए। न कि उसे कमर तोड़ महंगाई का हिस्सा बनाए रहे।

मो. इरफान , तेघड़ा :

इसमें कोई शक नहीं है कि बिजली व्यवस्था में काफी हद तक सुधार हुई है। परंतु, अभी भी अपेक्षाओं के अनुरूप व्यवस्था बेहतर नहीं हो पाई है। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की व्यवस्था जस की तस बनी हुई है। इनका मानना है कि बिजली विभाग की लचर व्यवस्था के पीछे आर्थिक संकट एक बड़ा कारण है। वे कहते हैं कि अगर उपभोक्ता पूरी ईमानदारी से अपने बिजली बिल का भुगतान सुनिश्चित करें तो मुझे लगता है विभाग बेहतर तरीके से अपना काम करेगा।

आनंद कुमार, केशावे, बरौनी : अभी तो सिर्फ दाम बढ़ाने की सिफारिश हुई है। अब देखना है कि सरकार इसमें क्या निर्णय लेती है। अगर जितने की सिफारिश हुई है उतनी दाम बढ़ाई जाती है तो यह उपभोक्ताओं के साथ ना इंसाफी होगी। सरकार बिजली दर में वृद्धि के लिए उचित सुझाव आमंत्रित करे। जानकारों की सुझावों के बाद ही दर में वृद्धि हो।

अन्नू कुमारी, बेगूसराय :

बिजली विभाग की लचर व्यवस्था के कारण अक्सर विभाग को ही भारी नुकसान उठाना पड़ता है। वे कहती हैं कि ग्रामीण क्षेत्र पर विभागीय अधिकारियों की नजर बहुत कम रहती हैं। जहां लोग पूरी ईमानदारी से बिजली बिल का भुगतान करते हैं। इनका भी कहना है कि पहल व्यवस्था में सुधार किया जाए, फिर दरों में वृद्धि पर विचार हो।

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