पत्नी से विमुख हो संत शिरोमणी बने तुलसी
औरंगाबाद । विद्या निकेतन परिसर में तुलसी जयंती मनायी गयी। छात्रों को उनके द्वारा रचित रामचरि
औरंगाबाद । विद्या निकेतन परिसर में तुलसी जयंती मनायी गयी। छात्रों को उनके द्वारा रचित रामचरित मानस का महत्व एवं प्रसंग बताया गया। संस्था के सीएमडी सुरेश कुमार गुप्ता ने कहा कि ऐसे संत के उपदेशों का पालन करना चाहिए। उन्होंने गोस्वामी तुलसीदास के जीवन को बताया। भगवान राम के विविध प्रसंगों को सामने लाया। कहा इससे समाज में शूचिता लाने में सफलता मिली। समाज को दिशा और दशा मिली। बताया कि तुलसीदास को अपनी पत्नी से काफी प्रेम था। जब उनसे वियोग हुआ तो पत्नी के अहंकार ने तुलसी बाबा को संत शिरोमणी बना दिया। सूरज पाडेय ने कहा कि जब जब देश में अधर्म, अत्याचार बढ़ा, तब तब ऐसे मार्ग दर्शक महात्मा का प्रादुर्भाव हुआ। तुलसी अपने समय के उपज थे। उन्होंने अथक प्रयास कर साहित्य साधना की। भारतीय जनमानस को तृप्त किया। सीइओ आनंद प्रकाश ने कहा कि भक्ति भावना से बच्चों के अंदर संस्कार और सदाचार जैसे गुण का विकास होता है। आचार्य गिरिजा ठाकुर ने रामचरित मानस के विविध प्रसंगों का व्याख्यान करते हुए दोहा, चौपाई, छंद के माध्यम से बच्चों को प्रेरित किया। संचालन आचार्य लालमोहन सिंह ने किया। शिक्षिका रमारानी जैन उपस्थित रहे।