दो कमरे में संचालित हो रहीं पांच कक्षाएं

एक ओर सरकार सामान शिक्षा की बात करती है लेकिन जिस तरह से सरकारी विद्यालय की बदहाल व्यवस्था है उसे सामान शिक्षा की परिकल्पना महज दिव्य स्वप्न ही प्रतीत होता है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 28 Aug 2018 10:56 PM (IST) Updated:Tue, 28 Aug 2018 10:56 PM (IST)
दो कमरे में संचालित हो रहीं पांच कक्षाएं
दो कमरे में संचालित हो रहीं पांच कक्षाएं

अरवल । एक ओर सरकार सामान शिक्षा की बात करती है लेकिन जिस तरह से सरकारी विद्यालय की बदहाल व्यवस्था है उसे सामान शिक्षा की परिकल्पना महज दिव्य स्वप्न ही प्रतीत होता है। एक बानगी के तौर पर एक जिक्र करें प्रखंड क्षेत्र के राजकीय प्राथमिक विद्यालय कोईल भूपत का तो यहां पांच कक्षाएं संचालित होती हैं। इन पांच कक्षाओं का संचालन दो ही कमरे में होता है। यहां 149 छात्र-छात्राओं का नामांकन है जिन्हें पढ़ाने के लिए दो शिक्षक पदस्थापित हैं। स्वाभाविक है ऐसी स्थिति में एक कमरे में कई कक्षाओं के बच्चों को बैठाया जाता है। इस अव्यवस्था में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा यहां उपलब्ध नहीं हो पा रही है। एक कक्षा के बच्चों की जब पढ़ाई होती है तो दूसरे कक्षा के बच्चे किसी तरह बैठे रहते हैं। इस प्राथमिक विद्यालय में बुनियादी सुविधा के नाम पर दो चापाकल परिसर में लगे जरूर है, लेकिन उसमें से एक ही पानी उगलता है। हल्की बारिश होते ही विद्यालय परिसर में जल जमाव की स्थिति भी उत्पन्न हो जाती है। सरकार के सख्त निर्देश के बावजूद भी इस विद्यालय में खुले में ही मध्याह्न भोजन बन रहा है। यहां किचेन शेड की व्यवस्था अब तक नहीं हुई है। क्या कहते हैं बच्चे

एकही साथ कई कक्षा के बच्चे बैठते हैं जिसके कारण सभी की पढ़ाई एक साथ नहीं हो पाता है। कमरे की संख्या और अधिक होनी चाहिए थी।

समीक्षा कुमारी

फोटो-33 यहां मात्र दो शिक्षक ही हैं। कभी कभी तो एक शिक्षक ही रहते हैं। ऐसे में हमलोग पूरे दिन खेलते ही रह जाते हैं।

मोनिका कुमारी

फोटो-34 बैठने में काफी दिक्कत होती है। अधिक बच्चे रहने के कारण कक्षा में गर्मी भी बहुत ज्यादा लगता है। इस स्थिति में बैठकर पढ़ने का इच्छा नहीं करता है।

संगीता कुमारी

फोटो-35 शिक्षकों की संख्या कम रहने के कारण पढ़ाई ठीक से नहीं हो पा रही है। हमलोगों को कुछ लिखने का टास्क देकर शिक्षक दूसरे कक्षा में पढ़ाने चले जाते हैं।

सुमन कुमारी

फोटो-36 क्या कहते हैं प्रधानाध्यापक

भवन के साथ साथ शिक्षकों की कमी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने में बाधक बन रहा है। प्रधानाध्यापक होने के नाते कार्यालय का कार्य भी देखना पड़ता है। ऐसे में यहां एक ही शिक्षक रह जाते हैं। जिससे कक्षाएं खाली रहती है। हालांकि विभाग को सभी समस्याओं से अवगत करा दिया गया है। जो भी संसाधन है उसके आधार पर हमलोग बेहतर शिक्षा उपलब्ध कराने का प्रयास करते हैं।

राजेंद्र प्रसाद

फोटो-37

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