-जिउतिया पर्व को ले जिले में मची रही धूम

अररिया। जिउतिया या जितिया .., सीमांचल का एक ऐसा पर्व, जिसमें पर्यावरण के प्रति जागरुकता और संतान की

By Edited By: Publish:Mon, 05 Oct 2015 09:08 PM (IST) Updated:Mon, 05 Oct 2015 09:08 PM (IST)
-जिउतिया पर्व को ले जिले में मची रही धूम

अररिया। जिउतिया या जितिया .., सीमांचल का एक ऐसा पर्व, जिसमें पर्यावरण के प्रति जागरुकता और संतान की दीर्घायु कामना एक साथ झलकती है। सोमवार को इस अनूठे त्यौहार को लेकर संपूर्ण जिले में धूम मची रही। इस पर्व की प्रसिद्ध मिठाई खाजा एक बार फिर श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र बनी रही। सुबह होते ही खाजा की दुकानों पर लोगों की भारी भीड़ लग गयी और लोग अपनी जरूरत के मुताबिक खाजा व अन्य मिठाईयां एवं फल खरीदते देखे गए।

वहीं, महिलाओं का व्रत रविवार की रात से ही शुरू हो गया था। मंगलवार की सुबह व्रत संपन्न हो जाएगा और व्रती महिलाएं उसके बाद ही पारणा करेंगी। चूंकि इस पर्व में संतान की खैरियत का जज्बा जुड़ा है, इसीलिए महिलाएं इसे पूरे नियम धरम के साथ करती हैं।

जितिया पर्व को लेकर जिले में कई स्थानों पर तकरीबन दो हजार साल पहले हुए राजा जीमूतवाहन की प्रतिमा बना कर उनकी पूजा अर्चना भी की गयी तथा पूजा स्थल के इर्द गिर्द मेले का आयोजन किया गया। व्रती एवं श्रद्धालु महिलाएं श्रृंगार व चील आदि की कथा सुनती हैं। जानकारों की मानें तो यह शायद पर्यावरण के प्रति चेतना जागृत करने की सदियों पुरानी प्रथा है, जो हमें यह बताती है कि समाज में सबकी जरूरत है और जब सबों की एकजुटता होती है तो एक अच्छे व सुगंठित समाज का निर्माण होता है।

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