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महाशिवरात्रि के मौके पर इन जगहों का बनाएं प्लान, जहां देखने को मिलती है अलग ही रौनक

महाशिवरात्रि के मौके पर भारत की कुछ जगहों पर अलग ही रौनक देखने को मिलती है। तो क्यों न इस बार इन जगहों पर जाने का बनाएं प्लान और बना दें शिवरात्रि को यादगार।

By Priyanka SinghEdited By: Published: Thu, 20 Feb 2020 10:50 AM (IST)Updated: Thu, 20 Feb 2020 12:07 PM (IST)
महाशिवरात्रि के मौके पर इन जगहों का बनाएं प्लान, जहां देखने को मिलती है अलग ही रौनक
महाशिवरात्रि के मौके पर इन जगहों का बनाएं प्लान, जहां देखने को मिलती है अलग ही रौनक

21 फरवरी को शिवरात्रि है। जिस दिन भक्तगण महाकाल के लिए उपवास रखते हैं और पूरे भक्तिभाव से उनकी पूजा-अर्चना करते हैं।  इस साल महा​शिवरात्रि के दिन अद्भुत संयोग बन रहा है, ​जो भगवान शिव और पार्वती की पूजा-अर्चना के लिए बहुत ही उत्तम है। साथ ही घूमने-फिरने के लिहाज से भी यह दिन उपयुक्त है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि शुक्रवार के दिन शिवरात्रि है, जब ज्यादातर जगहों पर छुट्टी होती है। तो अगर आपकी शनिवार और रविवार को छुट्टी है तो आप आराम से आसपास की जगहों की सैर की प्लानिंग कर सकते हैं। शिवरात्रि के मौके पर कई जगहों पर मेले और कई तरह के कार्यक्रमों का आयोजन भी होता है। तो क्यों न इस बार कुछ अलग तरह से मनाएं शिवरात्रि- 

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शिवरात्रि पर इन जगहों की सैर रहेगी यादगार

गोकर्ण, कर्नाटक

महाबलेश्र्वर मंदिर: दक्षिण का काशी शिव को समर्पित इस मंदिर में दूर दूर से श्रद्धालु आते हैं। इस मंदिर को कर्नाटक के प्राचीनतम मंदिरों में से एक होने का गौरव प्राप्त है। रामायण और महाभारत जैसे पौराणिक महाकाव्यों में भी इस मंदिर का जिक्र मिलता है। उन ग्रन्थों में इस मंदिर के महत्व के कारण ही गोकर्ण को 'दक्षिण का काशी' कहा गया । महाबलेश्र्वर को शिव का ही एक रूप माना जाता है। शैव संप्रदाय के लोग इनकी उपासना करते हैं। श्रद्धालु महाशिवरात्रि पर बड़ी संख्या में यहां आकर पूजा अर्चना करते हैं। ग्रेनाइट पत्थर से द्रविड़ शैली में बने इस प्राचीन मंदिर की दीवारें पुरातत्व और स्थापत्य के रसिकों के लिए बड़ा आकर्षण है।शिवसागर, असम

शिव दोल: शिवसागर में स्थित शिव दोल भारत के पवित्र तीर्थ स्थलों में एक माना जाता है। इसे पूर्वोत्तर भारत का सबसे ऊंचा शिव मंदिर माना जाता है। इसकी ऊंचाई 104 फीट तथा परिसीमा 195 फीट है। इस भव्य मंदिर से सटे दो अन्य मंदिर भी हैं- देवी दोल और विष्णु दोल, जिनमें देवी दुर्गा और भगवान विष्णु की प्रतिमाएं हैं। मंदिर की दीवारों और खंभों पर अनेक हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां खुदी हुई हैं। यहां का प्रमुख उत्सव महाशिवरात्रि है। विश्र्व भर के पर्यटक इस पुण्य स्थल की यात्रा पर बड़ी संख्या में आते हैं।

वाराणसी

काशी विश्वनाथ मंदिर: भारत में वैसे तो बहुत सारे भगवान शिव के मंदिर है लेकिन काशी विश्वनाथ मंदिर उनमें सबसे खास है जिससे इस शहर की पहचान है। शिवरात्रि के मौके पर यहां अलग ही धूम देखने को मिलती है। भारत के अलग-अलग जगहों से शिवभक्त यहां दर्शन और पूजा-अर्चना के लिए पहुंचते हैं। कई जगहों पर शिव जी की बारात भी निकालती है जिसमें लोग अलग-अलग देवी-देवताओं का रूप धारण किए नजर आते हैं। जिसकी चहल-पहल सुबह से ही शुरु हो जाती हैं।

हरिद्वार

धार्मिक नगरी हरिद्वार आकर भी शिवरात्रि की धूम देख सकते हैं। यहां भी भगवान शिव को समर्पित कई सारे मंदिर हैं जिनमें सुबह से ही भक्तों का आवागमन शुरु हो जाता है। ऐसा माना जाता है कि हर की पौड़ी में डुबकी लगाने से सारे पाप मिट जाते हैं।

ऋषिकेश

हरिद्वार से कुछ किलोमीटर का और सफर तय करके आप पहुंच सकते हे ऋषिकेश। धार्मिक नगरी के अलावा यह शहर अपने एडवेंचर स्पोर्ट्स के लिए भी पर्यटकों के बीच मशहूर है। यहां थोड़ी-थोड़ी दूर पर मंदिर बने हुए हैं। अगर आप महाशिवरात्रि का रॉयल सेलिब्रेशन देखना चाहते हैं तो हरिद्वार और ऋषिकेश काफी अच्छी जगहें हैं।मंडी

भूतनाथ मंदिर: हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के भूतनाथ मंदिर में शिवरात्रि का अलग ही नजारा देखने को मिलता है। मंडी के शाही परिवार ने तकरीबन 500 साल पहले इसकी शुरुआत की थी जो अब इतनी मशहूर हो चुकी है कि इसमें शामिल होने देश ही नहीं विदेशों से भी पर्यटक आते हैं। शिवरात्रि के मौके पर एक हफ्ते तक चलने वाला मेला यहां का खास आकर्षण होता है। इस मौके पर यहां शोभा यात्रा भी निकाली जाती है।श्रीकालहष्टी, आंध्र प्रदेश

शिवरात्रि की धूम इन जगहों के अलावा आंध्र प्रदेश में भी देखने को मिलती है। श्रीकालहष्टी में श्री कालहष्टेश्वर मंदिर में सुबह से ही भक्तों का भीड़ जुटनी शुरु हो जाती है। लोग इसदिन व्रत रखते हैं और साथ ही बेलपत्र, बेर आदि से भगवान की पूजा-अर्चना करते हैं।


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