प्रकृति का अनोखा नज़ारा देखने को मिलता है नाग-टिब्बा ट्रैकेिंग के दौरान
उत्तराखंड में नाग टिब्बा ट्रैक ऐसी ही एक जगह है जहां आप एडवेंचर से लेकर नेचर हर एक चीज़ का ले सकते हैं भरपूर मजा। इस जगह को अच्छे से एक्सप्लोर करने के लिए 4 से 5 दिन का समय लेकर आएं।
मसूरी के नज़दीक नाग टिब्बा समुद्र तल से 3022 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। देहरादून से लगभग 6 घंटे का सफर तय करके पैंतीवरी गांव पहुंचा जा सकता है जहां से होती है इस ट्रैकिंग की शुरूआत। आसपास की जगहों पर ट्रैकिंग का एक्सपीरियंस लेना चाहते हैं तो ये जगह है एकदम बेस्ट। ऊंचाई पर पहुंचकर केदारनाथ की बर्फ से ढ़की पहाड़ियों को आसानी से देखा जा सकता है। रास्ते में स्वागत करते हुए चीड़ और देवदार से भरे जंगल में वाइल्ड लाइफ का भी एक्सपीरियंस लेना खास होगा। कहा जा सकता है कि नाग टिब्बा की यात्रा ट्रैकर्स से लेकर एडवेंचर और नेचर लवर्स हर किसी के लिए यादगार साबित होती है।
ये तस्वीर नाग टिब्बा ट्रैक के दौरान ली गई है, जब हमने पंतवाड़ी से पहाड़ पर चढ़ना शुरू किया था, तेज धूप और ठंडी हवाओं के साथ हम चलते जा रहे थे, एक तरफ पहाड़ तो दूसरी ओर गहरी खाई, सूरज की रोशनी राह दिखाती रही, झरनों को छूकर आती ठंडी हवाएं मन में उत्साह भरती रही कि रुकना नहीं है, बढ़ते चले जाना है..दिन धीरे-धीरे ढलता जा रहा था, आसमान का रंग स्याह होने लगा, हरे-भरे पहाड़ जैसे सोने लगे थे, धीरे से चांद ने अपना चेहरा दिखाया..ओह कितना खूबसूरत है ये चांद दिल ने कहा, अभी ओर नजदीक से देख लूं, ठहरो कैमरे में कैद कर लूं, अभी चांद रिझाने लगा ही था कि तेज हवाओं ने रुख बदला, पलट कर देखा अरे यह क्या! पहाड़ के दूसरी तरफ तो अच्छा खासा उजाला था, सूरज की किरणें अपनी लालिमा छोड़ती लुप्त होती जा रही थी, यूं लगा जैसे कोई प्रेमी अपनी प्रेमिका को किसी और को निहारते देख उदास होता चला जा रहा है, अब दिल भी डूबने लगा, मन ने कहा कि रोक लूं सूरज को ढलने से, लेकिन यह तो प्रकृति के अपने नियम हैं, कभी धूप कभी छांव ,मैंने तस्वीर ली और वादा किया सुनो तुमसे बेहतर कोई नहीं है, तुम हो तो जिंदगी रोशन है, कल सुबह जल्दी आना मैं तुम्हें पूरी ऊंचाई से चारों दिशाओं में प्रकाशमान देखना चाहती हूं..।
सुनीता शानू