प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण है यह जगह, पर्यटक इसी ताजगी, नयेपन को महसूस करने यहां आते
ऊटी प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण है। ऊटी आने वाले सभी पर्यटक हमेशा इसी ताजगी, नयेपन को महसूस करने यहां आते होंगे। पर्वत से 2240 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस सुंदर जगह के कण-कण में प्राकृतिक सौंदर्य बिखरा हुआ है। यह दक्षिण भारत का प्रमुख हिल स्टेशन है, जो हनीमून
ऊटी प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण है। ऊटी आने वाले सभी पर्यटक हमेशा इसी ताजगी, नयेपन को महसूस करने यहां आते होंगे। पर्वत से 2240 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस सुंदर जगह के कण-कण में प्राकृतिक सौंदर्य बिखरा हुआ है। यह दक्षिण भारत का प्रमुख हिल स्टेशन है, जो हनीमून हॉट स्पॉट के रूप में भी प्रसिद्ध है। यह रोमांचक खेलों के शौकीन सैलानियों के लिए भी पसंदीदा जगह है। यहां जाने के लिए सबसे उचित समय है अप्रैल से जून या फिर सितंबर-अक्टूबर का महीना। इन दिनों में यहां न तो ज्यादा सर्दी होती है और न ही ज्यादा गर्मी। ऐसे मौसम में घूमने का मजा ही कुछ और है।
ऊटी में यहां की घाटी, कंदराएं और हरियाली लोगो को बहुत भाती है। दक्षिण-भारत घूमने के लिए अक्सर सर्दियों का मौसम ही चुना जाता है। इसमें दिसंबर भी शामिल है। अगर आप ऊटी जाना चाहते हैं, तो यह वक्त बहुत सही रहेगा, क्योंकि मार्च-अप्रैल से वहां बहुत भीड़ होने लगेगी। नए साल के मौके पर भी जाने से बचें, वरना छुट्टियों में सुकून नहीं मिलेगा। अगर आपके पास थोड़ा ज्यादा समय हो, तो इसके पास के केरल के समुद्री किनारे बसे कुछ सुन्दर स्थल भी देख सकते हैं ।
पर्वतीय स्थलों की रानी ऊटी का वास्तविक नाम उदगमंडमल (उधागामंदालम) है। दक्षिण-भारत के राज्य तमिलनाडु में स्थित ऊटी दक्षिण भारत का सबसे प्रसिद्ध हिल स्टेशन है। पश्चिमी घाट पर स्थित ऊटी समुद्र तल से 2240 मीटर की ऊंचाई पर है। ऊटी नीलगिरी जिले का मुख्यालय भी है। यहां सदियों से ज्यादातर तोडा जनजाति के लोग रहते है। लेकिन ऊटी की वास्तविक खोज करने और उसके विकास का श्रेय अंग्रेजों को जाता है। सन 1822 में कोयंबटूर के तत्कालीन कलक्टर जॉन सुविलिअन ने यहां स्टोन हाउस का निर्माण करवाया था जो अब गवर्मेट आर्ट कॉलेज के प्रधानाचार्य का चैंबर है और ऊटी की पहचान भी। ब्रिटिश राज के दौरान ऊटी मद्रास प्रेसिडेंसी की ग्रीष्मकालीन राजधानी थी। आज यह भारत का एक मुख्य पर्यटक स्थल है ।
खिलौना रेल तो बहुत ही सुंदर है। बोटोनिकल गार्डेन, ऊटी क्लब, सबसे ऊंची चोटी दोड्डा बेटटा, चाय बागान और जिधर देखो छाई हरियाली मन को लुभाती तो है ही, साथ ही आंखों को बरबस शीतलता भी प्रदान करती है। ऊटी जाने में कोई दिक्कत भी नहीं है, चाहे हवाई जहाज से जाओ, ट्रेन से या फिर बस-टैक्सी से। ऊटी का नजदीकी एयरपोर्ट कोयंबटूर 89 किलोमीटर दूर है। मुंबई, कालीकट, चेन्नई व मदुरै के लिए यहां से नियमित उड़ानें हैं। चेन्नई व कोयंबटूर से ट्रेनें भी हैं। बस-टैक्सी लेकर मदुरै, तिरुअंनतपुरम, रामेश्वरम, कोच्चि, कोयंबटूर से यहां पहुंचा जा सकता है। तो ऊटी को ईडन गार्डेन भी कह सकते हैं जो भी सैलानी यहां आते होंगे, उन सभी को यह स्वर्गलोक जैसा लगता होगा। तभी तो यहां जो एक बार आता है, वह बार-बार आना चाहता है।
ऊटी प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण है। जब भी ऊटी जाओ, हर बार मुझे वहां कुछ नयापन नजर आता है। ऊटी आने वाले सभी पर्यटक हमेशा ताजगी, नयेपन को महसूस करने यहां आते होंगे।
हनीमून हॉट स्पॉट
ऊटी की हर जगह बेहद खुबसूरत है। पर्वत से 2240 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस सुंदर जगह के कण-कण में प्राकृतिक सौंदर्य बिखरा हुआ है। यह दक्षिण भारत का प्रमुख हिल स्टेशन है, जो हनीमून हॉट स्पॉट के रूप में भी प्रसिद्ध है। यह रोमांचक खेलों के शौकीन सैलानियों के लिए भी पसंदीदा जगह है। यहां की घाटी, कंदराएं और हरियाली बहुत मनभावन है। खिलौना रेल, बोटोनिकल गार्डेन, ऊटी क्लब, सबसे ऊंची चोटी दोड्डा बेटटा, चाय बागान और जिधर देखो छाई हरियाली मन को लुभाती तो है ही, साथ ही आंखों को बरबस शीतलता भी प्रदान करती है। ऊटी जाने में कोई दिक्कत भी नहीं है, चाहे हवाई जहाज से जाओ, ट्रेन से या फिर बस-टैक्सी से। ऊटी का नजदीकी एयरपोर्ट कोयंबटूर 89 किलोमीटर दूर है। मुंबई, कालीकट, चेन्नई व मदुरै के लिए यहां से नियमित उड़ानें हैं। चेन्नई व कोयंबटूर से ट्रेनें भी हैं। बस-टैक्सी लेकर मदुरै, तिरुअंनतपुरम, रामेश्वरम, कोच्चि, कोयंबटूर से यहां पहुंचा जा सकता है। जो भी सैलानी यहां आते होंगे, उन सभी को यह स्वर्गलोक जैसा लगता होगा। तभी तो यहां जो एक बार आता है, वह मेरी तरह बार-बार आना चाहता है।
ऊटी(उधागामंदालम) चाय, हाथ से बनी चॉकलेट, खुशबूदार तेल और मसालों के लिए प्रसिद्ध है। कमर्शियल रोड पर हाथ से बनी चॉकलेट कई तरह के स्वादों में मिल जाएगी। यहां हर दूसरी दुकान पर यह चॉकलेट मिलती है। हॉस्पिटल रोड की किंग स्टार कंफेक्शनरी इसके लिए बहुत प्रसिद्ध है। कमर्शियल रोड की बिग शॉप से विभिन्न आकार और डिजाइन के गहने खरीदे जा सकते हैं। यहां के कारीगर पारंपरिक तोडा शैली के चांदी के गहनों को सोने में बना देते हैं। तमिलनाडु सरकार के हस्तशिल्प केंद्र पुंपुहार में बड़ी संख्या में लोग हस्तशिल्प से बने सामान की खरीदारी करने आते हैं।
इस वनस्पति उद्यान की स्थापना सन 1847 में की गई थी। 22 हेक्टेयर में फैले इस खूबसूरत बाग की देखरख बागवानी विभाग करता है। यहां एक पेड़ के जीवाश्म संभाल कर रखे गए हैं जिसके बारे में माना जाता है कि यह 20 मिलियन वर्ष पुराना है। इसके अलावा यहां पेड़-पौधों की 650 से ज्यादा प्रजातियां देखने को मिलती है। प्रकृति प्रेमियों के बीच यह उद्यान बहुत लोकप्रिय है। मई के महीने में यहां ग्रीष्मोत्सव मनाया जाता है। इस महोत्सव में फूलों की प्रदर्शनी और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं जिसमें स्थानीय प्रसिद्ध कलाकार भाग लेते हैं।
ऊटी झील-
इस झील का निर्माण यहां के पहले कलक्टर जॉन सुविलिअन ने सन 1825 में करवाया था। यह झील 2.5 किमी. लंबी है। यहां आने वाले पर्यटक बोटिंग और मछली पकड़ने का आनंद ले सकते हैं। मछलियों के लिए चारा खरीदने से पहले आपके पास मछली पकड़ने की अनुमति होनी चाहिए। यहां एक बगीचा और जेट्टी भी है। इन्हीं विशेषताओं के कारण प्रतिवर्ष 12 लाख दर्शक यहां आते हैं।
बोटिंग का समय: सुबह 8 बजे-शाम 6 बजे तक
डोडाबेट्टा चोटी-
यह चोटी समुद्र तल से 2623 मीटर ऊपर है। यह जिले की सबसे ऊंची चोटी मानी जाती है। यह चोटी ऊटी से केवल 10 किमी. दूर है इसलिए यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है। यहां से घाटी का नजारा अद्धभुत दिखाई पड़ता है। लोगों का कहना है कि जब मौसम साफ होता है तब यहां से दूर के इलाके भी दिखाई देते हैं जिनमें कायंबटूर के मैदानी इलाके भी शामिल हैं ।
गर्मियों में ठण्डे पहाड़ी सैरगाहों की सूची में ऊटी का नाम ऊपर है। गर्मी शुरू होते ही दक्षिण से लेकर पश्चिमी भारत के पर्यटक ऊटी की तरफ रूख करते हैं। जिसके चलते पर्यटकों की भीड़ बढती रहती है ।