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नेचर एंड वाइल्डलाइफ : केवलादेव नेशनल पार्क में पूरे साल रहती हैं 230 पक्षियों की प्रजातियां

सन् 1971 में इस पार्क को संरक्षित पार्क घोषित किया गया था. यह एक वेटलैंड है, जिसे भरतपुर क्षेत्र को अक्सर आने वाली बाढ़ से बचाने के लिए बनाया गया था.

By Pratima JaiswalEdited By: Published: Mon, 15 Jan 2018 04:23 PM (IST)Updated: Tue, 30 Jan 2018 01:09 PM (IST)
नेचर एंड वाइल्डलाइफ : केवलादेव नेशनल पार्क में पूरे साल रहती हैं 230 पक्षियों की प्रजातियां
नेचर एंड वाइल्डलाइफ : केवलादेव नेशनल पार्क में पूरे साल रहती हैं 230 पक्षियों की प्रजातियां

शहर में कई बार ऐसा होता है कि नई तरह का पक्षी देखकर हम उसकी खूबसूरती को निहारते रहते हैं. वैसे आजकल बदलते वक्त में शहर में सामान्य प्रजाति के पक्षी भी बड़ी मुश्किल से दिखाई देते हैं. अगर आपको भी पक्षियों की अलग-अलग प्रजातियां देखने का शौक है तो आप केवलादेव नेशनल पार्क में घूम सकते हैं. आइए, हम आपको बताते हैं आखिर क्या है यहां खास. 

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राजस्थान के भरतपुर में है केवलादेव नेशनल पार्क. इस सेंचुरी में यहां हजारों की संख्या में दुर्लभ और विलुप्त जाति के पक्षी पाए जाते हैं. सर्दियों के मौसम में यहां साईबेरिया से सारस आते हैं. यहां 230 प्रजाति के पक्षी पाए जाते हैं. इस अभयारण्य को 1971 में रिजर्व बर्ड सेंचुरी घोषित किया गया था और 1985 में इसे विश्व धरोहर घोषित किया गया है.

230 पक्षियों की प्रजातियां मिलती हैं यहां 

गर्मियों के मौसम में यह पक्षी अभयारण्य 230 से ज्यादा प्रजाति के हजारों पक्षियों के लिए एक घर है. इस पार्क को केवलादेव घाना राष्ट्रीय उद्यान के तौर पर भी जाना जाता है और बड़ी तादाद में पक्षी वैज्ञानिक सर्दियों के मौसम में इस ओर आकर्षित होते हैं. एक बहुत बड़ा पर्यटन आकर्षण होने के साथ ही यह जगह यूनेस्को द्वारा विश्व विरासत स्थल भी घोषित की गई है.

सन् 1971 में इस पार्क को संरक्षित पार्क घोषित किया गया था. यह एक वेटलैंड है, जिसे भरतपुर क्षेत्र को अक्सर आने वाली बाढ़ से बचाने के लिए बनाया गया था. पहले इस जगह का इस्तेमाल जल पक्षी के शिकार के लिए होता था और अब यह गांवों के मवेशियों के लिए चारागाह जमीन के तौर पर इस्तेमाल होता है. 

स्थानीय तौर पर इसे घाना कहा जाता है और 28 किलोमीटर वाले इस पार्क में वेटलैंड, सूखी घास के जंगल, जंगल और दलदल हैं. इस पार्क के विभिन्न पशु पक्षियों में 230 किस्मों के पक्षी, 50 प्रजाति की मछली, सात प्रजाति के उभयचर, 13 किस्मों के सांप, सात प्रजाति के कछुए, पांच प्रजाति की छिपकलियों के अलावा और भी प्रजातियां हैं. इसके अलावा 379 किस्मों के फूल केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में मिलते हैं.

 

कैसे पहुंचे

भरतपुर का नजदीकी एयरपोर्ट दिल्ली आगरा एवम जयपुर है. एयरपोर्ट से पर्यटक आसानी से टैक्सी द्वारा भरतपुर बर्ड सेंचुरी पहुंच सकते हैं. ट्रेन से जाने के लिए दिल्ली, मुंबई, जयपुर और आगरा जैसे सभी प्रमुख शहरों से जोड़ती हैं. भरतपुर रेलवे स्टेशन पार्क / पक्षी अभयारण्य से करीब 6 किमी दूर है.

कब जाएं 

आप केवलादेव घूमने जाना चाहते हैं तो इसके लिए अक्टूबर से फरवरी तक के महीने सबसे बेहतर हैं. इस समय यहां पर कई प्रकार के प्रवासी पक्षी डेरा डाल चुके होते हैं.

इन टिप्स को अपनाकर आएगा और भी मजा 

आप इस उद्यान की सैर विद्युत गाडियां और पैदल, साईकिल या साईकिल रिक्शे द्वारा कर सकते हैं.पर्यटक उद्यान अधिकारियों की अनुमति से किफायती दाम पर किराये की साईकिल ले सकते हैं. बर्ड वाचिंग के लिए पर्यटक दूरबीन आदि का भी इस्तेमाल कर सकते हैं.


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