नेचर एंड वाइल्डलाइफ : जगदीश चंद्र बोस बॉटनिकल गार्डन में देखिए पेड-पौधों की 150 दुर्लभ प्रजातियां, गिनीज बुक में है दर्ज
इस बरगद की 2800 से अधिक जटाएं जड़ का रूप ले चुकी है.
अगर आप जीव-जंतु के साथ पौधों की अलग-अलग किस्में देखने के शौकीन हैं, तो आप जगदीश चंद्र बोस बॉटनिकल गार्डन (कोलकत्ता) में अपनी ट्रिप प्लान कर सकते हैं. यहां पर आपको 150 से ज्यादा दुर्लभ प्रजातियां देखने को मिलेगी. 150 पौधों की प्रजातियों के अलावा यहां पर 144400 वर्ग मीटर में फैला बरगद का पेड़ दुनिया भर में मशहूर है.
दूर से देखने में ये पेड़ एक जंगल की तरह नजर आता हैं. दरअसल, बरगद के पेड़ की शाखाओं से जटाएं पानी की तलाश में नीचे जमीन की और बढ़ती हैं. वे बाद में जड़ के रूप में पेड़ को पानी और सहारा देने लगती है. फिलहाल, इस बरगद की 2800 से अधिक जटाएं जड़ का रूप ले चुकी है.
19वीं शताब्दी में यहां आये 2 चक्रवाती तूफानों ने इसकी मूल जड़ को उखाड़ दिया था, जो बाद में फंगस लगने के कारण खराब हो गई थी. 1925 में इस जड़ को काटकर अलग कर दिया गया, पर तब तक कई दूसरी जटाएं जड़ का रूप ले चुकी थी. इस कारण ये पेड़ आज भी बढ़ता जा रहा है. इसे गिनीज बुक में भी इसे जगह मिली है,
आपको बता दें कि पश्चिम बंगाल राज्य में स्थित आचार्य जगदीश चंद्र बोस वनस्पति उद्यान को एशिया का सबसे ओल्ड बोटनिकल पार्क माना जाता है. यह विशाल पेड़ देश-विदेश से हजारों टूरिस्टों को यहां आने के लिए आकर्षित करता हैं.