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राधे-राधे के जाप से गूंज उठती है मथुरा नगरी

आगरा से 58 किलोमीटर की दूरी पर यमुना नदी के पश्चिम किनारे पर बसा मथुरा शहर हिंदुओं के लिए एक पवित्र स्थल है। यह भगवान श्री कृष्ण की जन्मस्थली और भारत की परम प्राचीन तथा जगद्-विख्यात नगरी है जिसकी व्याख्या शास्त्रों में युगों-युगों से की जा रही है। यह स्थान हमेशा से ही पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा है। साल का कोई महीना हो यहां देश और विदेश से आए पर्यटकों का जमघट लगा रहता है। त्यौहारों के समय तो इसकी छटा देखते ही बनती है। पौराणिक साहित्य में मथुरा क

By Edited By: Published: Fri, 16 Aug 2013 08:34 PM (IST)Updated: Mon, 30 Mar 2015 06:40 PM (IST)
राधे-राधे के जाप से गूंज उठती है मथुरा नगरी
राधे-राधे के जाप से गूंज उठती है मथुरा नगरी

मथुरा। आगरा से 58 किलोमीटर की दूरी पर यमुना नदी के पश्चिम किनारे पर बसा मथुरा शहर हिंदुओं के लिए एक पवित्र स्थल है। यह भगवान श्री कृष्ण की जन्मस्थली और भारत की परम प्राचीन तथा जगद्-विख्यात नगरी है जिसकी व्याख्या शास्त्रों में युगों-युगों से की जा रही है। यह स्थान हमेशा से ही पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा है। साल का कोई महीना हो यहां देश और विदेश से आए पर्यटकों का जमघट लगा रहता है। त्यौहारों के समय तो इसकी छटा देखते ही बनती है। पौराणिक साहित्य में मथुरा को अनेक नामों से संबोधित किया गया है जैसे- मधुपुरी, मधुनगरी, मधुरा, शूरसेन नगरी, आदि।

मथुरा का इतिहास

इतिहास में मथुरा का नाम भगवान श्री कृष्ण के साथ जोड़ा गया है। इस जगह को हिंदुओं के पवित्र स्थलों में से एक माना गया है। कहा जाता है कि मथुरा की स्थापना श्रावण के महीने में हुई इसलिए यहां इस माह में उत्सव आदि करने की परंपरा है। हिंदुओं के अलावा यह जगह जैन और बौद्ध अनुयायियों के लिए भी पूजनीय है।
मथुरा नगर जिस जगह बसा है उसके दोनों ओर तब के मुस्लिम शासकों ने राजधानी दिल्ली और आगरा को बसाया था। उस समय मुस्लिम शासकों ने कई बार इस नगर पर कहर बरपाया। माना जाता है कि इस नगर पर पहली बार 1018 में गजनी ने हमला किया था। इसके बाद औरंगजेब ने भी इस जगह को काफी नुकसान पहुंचाया। अहमदशाह अब्दाली के सैनिकों ने तो मथुरा में खून की होली खेल शहर के बड़े भाग को जला दिया।

मथुरा का खास महत्व

3800 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैली मथुरा नगरी भगवान विष्णु के आठवें अवतार श्री कृष्ण की जन्मस्थली है। भगवान श्री कृष्ण की जन्मभूमि होने के कारण यह नगर धार्मिक दृष्टिकोण से हिंदू धर्मावलम्बियों के लिए श्रद्धेय एवं आदरणीय है। ऐसी मान्यता थी कि इस जगह आने वाले लोग पापरहित हो जाते हैं और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। भगवान श्री कृष्ण के प्रति श्रद्धा भक्ति रखने वाला प्रत्येक व्यक्ति इस पवित्र भूमि का दर्शन करके पुण्य लाभ पाना चाहता है। मथुरा में श्री भगवान कृष्ण और राधा से संबंधित कई दर्शनीय स्थल हैं जैसे वृन्दावन, गोवर्धन, बरसाना, गोकुल, नंदगांव, महावन आदि जहां पहुंचकर आपको सानिध्य एवं भक्ति रस का आनंद मिलता है।

कैसे जाएं

उत्तर प्रदेश का यह पवित्र नगर देश के बड़े शहरों से जुड़ा हुआ है। आप बिना किसी समस्या के रेल, रोड और हवाई मार्ग के द्वारा इस जगह की यात्रा कर सकते हैं। मथुरा राजधानी दिल्ली से 150 किलोमीटर की दूरी पर है।

हवाई यात्रा : अगर फ्लाइट के जरिए आप मथुरा पहुंचना चाहते हैं तो आगरा का खेरिया गांव यहां का सबसे नजदीकी एयरपोर्ट है। सभी बड़ी निजी और सार्वजनिक एयरलाइन्स इस शहर तक पहुंचने के लिए कई ऑफर दे रही हैं। दिल्ली के अलावा यह शहर मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, बैंग्लोर और अहमदाबाद से हवाई मार्ग के जरिए जुड़ा हुआ है।
रेल के जरिए : मथुरा जंक्शन मध्य और पश्चिम रेलवे का प्रमुख जंक्शन है। यहां के रेलवे स्टेशन पर अधिकांश रेलें रुकती हैं। लोकल के अलावा यहां के लिए एक्सप्रेस और सुपर फास्ट ट्रेनें भी चलाई जाती हैं। यह जगह उत्तर प्रदेश और भारत के अन्य शहरों से जुड़ा हुआ है।
बस के जरिए : मथुरा शहर उत्तर प्रदेश के अलावा देश के अन्य हिस्सों से राजमार्ग से जुड़ा हुआ है। दिल्ली, आगरा, कानपुर, लखनऊ, अलीगढ़, ग्वालियर से मथुरा के लिए बस सेवा भी उपलब्ध है।

मथुरा में शॉपिंग
मथुरा में शॉपिंग करना एक आनन्ददायक अनुभव है। यहां के अधिकतर बाजार मंदिर के नजदीक हैं इसलिए आप एक पंथ दो काज भी कर सकते हैं अर्थात आप मंदिर में जाकर भगवान के दर्शन भी कर सकते हैं और पास में बाजार से शॉपिंग भी। मथुरा के दो बाजार बंगाली घाट और छत्ता बाजार काफी चर्चित हैं। यहां से आप पूजा पाठ के लिए कई अनोखे बर्तन तथा पीतल की प्रतिमा खरीद सकते हैं और अपने घर को मंदिर की तरह सजा सकते हैं।
वैसे दूध से बने पदार्थो के लिए भी यह शहर काफी लोकप्रिय है। पूरा मथुरा शहर विभिन्न तरह की मिठाइयों खासकर पेड़े से भरा हुआ है। यहां के पेड़े विश्व प्रसिद्ध हैं जो इस शहर को एक अलग तरह की पहचान देता है। यहां का केसरिया पेड़ा अपको बार-बार मथुरा आने के लिए प्रेरित करेगा।


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