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भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग में से सबसे पहला है सोमनाथ मंदिर, सावन माह में यहां होती है अलग ही रौनक

सोमनाथ मंदिर विश्व प्रसिद्ध धार्मिक व पर्यटन स्थल है। गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र के वेरावल बंदगाह में स्थित है यह मंदिर जिसकी गिनती 12 ज्योतिर्लिंगों में सर्वप्रथम ज्योतिर्लिंग के रूप में होती है। जानेंगे मंदिर के महत्व और इससे जुड़ी अन्य बातें।

By Priyanka SinghEdited By: Published: Mon, 26 Jul 2021 11:39 AM (IST)Updated: Mon, 26 Jul 2021 11:39 AM (IST)
भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग में से सबसे पहला है सोमनाथ मंदिर, सावन माह में यहां होती है अलग ही रौनक
गुजरात में बने सोनाथ मंदिर की तस्वीर

सावन महीने में भगवान शिव के पावन जगहों के दर्शन के बारे में सोच रहे हैं तो सोमनाथ मंदिर जाने का प्लान बना सकते हैं।जो एक महत्वपूर्ण हिंदू मंदिर है और इसकी गिनती 12 ज्योतिर्लिंगों में सबसे पहले ज्योतिर्लिंग के रूप में होती है। गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र के वेरावल बंदगाह में स्थित इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि इसे स्वयं चंद्रदेव ने बनाया था। जिसे कई बार तोड़ा और बनाया गया है।

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अभी जो भवन है  उसके पुनर्निर्माण की शुरुआत भारत की आजादी के बाद लौहपुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल ने करवाया था और पहली दिसंबर 1995 को भारत के राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद जी ने इसे राष्ट्र को समर्पित किया। सोमनाथ मंदिर धार्मिक होने के साथ ही साथ बहुत ही मशहूर पर्यटन स्थल भी है। दर्शन करने के अलावा अगर आप मंदिर के इतिहास से लेकर वर्तमान की जानकारी चाहते हं तो रात साढ़े सात से साढ़े आठ बजे तक एक घंटे का साउंड एंड लाइट शो चलता है उसे जरूर देखें। जिसमें सोमनाथ मंदिर के इतिहास की पूरी जानकारी दी जाती है। लोककथाओं के अनुसार यहीं श्रीकृष्ण ने देहत्याग किया था। 

सोमनाथ मंदिर की विशेषता

पूरे पांच साल लगे थे मंदिर के निर्माण में। मंदिर का शिखर 150 फीट ऊंचा है। मंदिर के शिखर पर एक कलश स्थित है जिसका वजन 10 टन है। पूरे 10 किलोमीटर में फैला हुआ है यह मंदिर और इसमें 42 और मंदिर भी हैं। मुख्य मंदिर के अंदर गर्भगृह, सभामंडपम और नृत्य मंडपम है। मंदिर के दक्षिण ओर समुद्र के किनारे एक स्तंभ है जिसे बाणस्तंभ के नाम से जाना जाता है।

कैसे पहुंचे

रेल मार्ग

यहां तक पहुंचने का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन वेरावल है। मुंबई, अहमदाबाद और गुजरात के अन्य दूसरे शहरों से भी ये रेलमार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है।

हवाई मार्ग

यहां तक पहुंचने का नजदीकी हवाई अड्डा राजकोट है जिसकी मंदिर से दूरी 63 किमी है। इसके बाद पोरबंदर हवाई अड्डा है जिसकी दूरी 120 किमी है और तीसरा हवाई अड्डा राजकोट है जिसकी दूरी 160 किमी है।


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