गौरवशाली इतिहास और धार्मिक मान्यता के साथ ये जगह है बहुत ही खास
जमशेदपुर पर्यटन के लिहाज से बहुत ही अच्छी जगह है। खूबसूरती जगहों को घूमने के अलावा ऐसी भी जगहें हैं जिनमें बसता है इतिहास। ऐसी ही एक जगह है भीमखंदा।
जमशेदपुर में आप बिहार, उत्तर प्रदेश, पंजाब, गुजरात से लेकर दक्षिण भारत के तमिलनाडु, केरल तक के लोगों और उनकी संस्कृति देख सकते हैं। जमशेदपुर शहर के अलावा आसपास की कई जगह भी अपनी खूबसूरती की वजह से सैलानियों को लुभाते रहे हैं। जानेंगे यहां की ऐसी ही एक खास जगह के बारे में।
भीमखंदा का गौरवशाली इतिहास
कोल्हान की माटी, यहां की संस्कृति और यहां का इतिहास काफी गौरवशाली रहा है। यहां महाभारत काल का विस्तृत उल्लेख मिलता है। चाईबासा-जमशेदपुर मार्ग पर राजनगर से करीब 15 किमी. दूरी पर स्थित है भीमखंदा। मान्यता है कि अज्ञातवास के दौरान पांडव द्रौपदी के साथ एक दिन सरायकेला-खरसावां जिला के गेगेरुली पंचायत में मुंडाकाटी गांव में रुके थे। यहां पत्थरों पर भीम के पैरों के निशान के कारण जगह का नाम भीमखंदा पड़ा। भीमखंदा खुद में कई गहन रहस्यों को समेटे हुए है। गांव के बुजुर्ग और स्थानीय लोग इस स्थान पर पांडवों के ठहरने के कई पौराणिक साक्ष्य उपलब्ध होने का दावा करते हैं। भीमखंदा में पत्थरों के बीच बना छोटा चूल्हा, भीम के पांव के निशान और शिलालेख लोगों का कौतूहल बढ़ाते हैं। हालांकि, पत्थरों पर किस लिपि में लिखा गया है, कोई इसे पढ़ नहीं पाया। रख-रखाव के अभाव में पत्थरों पर लिखे शब्द धीरे-धीरे मिटते जा रहे हैं। यहां एक पेड़ है, जिसे अर्जुन वृक्ष कहा जाता है। लोगों के मुताबिक, इसमें सालों से कोई परिवर्तन नहीं हुआ। वृक्ष में एक डाली से पांच टहनियां निकली हैं, जिन्हें पांडवों का प्रतीक माना जाता है। यहां एक जामुन का वृक्ष भी है। उसे भी काफी पुराना माना जाता है। भीमखंदा में जमशेदपुर व आसपास के लोग काफी संख्या में पिकनिक मनाने के लिए पहुंचते हैं। झारखंड सरकार इस स्थान को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित कर रही है।