Move to Jagran APP

दक्षिण भारत का बनारस है रामेश्वरम, नेचर लवर्स जरूर घूमें यहां

तमिलनाडु के मदुरै से रामेश्वरम की दूरी करीब 169 किलोमीटर है। इसे 'दक्षिण भारत का बनारस' कहा जाता है यानी बनारस की तर्ज पर आप यहां जगह-जगह मंदिर और 'तीर्थम' यानी पानी के कुंड, कुएं देख सकते हैं।

By Pratima JaiswalEdited By: Published: Thu, 05 Jul 2018 05:56 PM (IST)Updated: Thu, 05 Jul 2018 05:57 PM (IST)
दक्षिण भारत का बनारस है रामेश्वरम, नेचर लवर्स जरूर घूमें यहां
दक्षिण भारत का बनारस है रामेश्वरम, नेचर लवर्स जरूर घूमें यहां

हम में से बहुत से लोग ऐसे हैं, जो शहर की भीड़-भाड़ से दूर ऐसी जगह पर जाना चाहते हैं, जहां उन्हें प्रकृति के करीब जाने का मौका मिले और साथ ही उन्हें कुछ दिलचस्प जगहों पर घूमने का मौका मिल सके। आज हम आपको सैर करवाएंगे रामेश्वरम की, जिसे दक्षिण भारत का बनारस भी कहा जाता है। 

loksabha election banner

तमिलनाडु के मदुरै से रामेश्वरम की दूरी करीब 169 किलोमीटर है। इसे 'दक्षिण भारत का बनारस' कहा जाता है यानी बनारस की तर्ज पर आप यहां जगह-जगह मंदिर और 'तीर्थम' यानी पानी के कुंड, कुएं देख सकते हैं। हर छोटे-बड़े मंदिर के प्रांगण में और घरों के बाहर इन कुंओं पर पानी भरते और नहाते, आते-जाते लोग नजर आ जाते हैं। 67 स्क्वॉयर किलोमीटर में फैले इस छोटे से द्वीप पर बड़ी-बड़ी विचित्रताएं छुपी हैं।

रामेश्वरम बीच फोटोग्राफी के साथ लीजिए वाटर स्पोर्ट्स का मजा 

यहां सबसे महत्वपूर्ण तीर्थ अग्नितीर्थम है। बंगाल की खाड़ी के किनारे स्थित इस समुद्र तट पर बड़ी संख्या में लोग स्नान करने आते हैं। यह स्थान मंदिर परिसर से 200 मीटर दूर स्थित है। कहा जाता है कि भगवान राम ने रावण हत्या का पाप धोने के लिए यहीं स्नाैन किया था। वहीं वाटर स्पो‌र्ट्स के लिए आदर्श रामेश्वनरम बीच है। रामेश्वटरम आज भी किसी रहस्यमय टापू की तरह है। ज्यादातर इसे धार्मिक पर्यटन के रूप में ही देखते हैं। पर घुमक्कड़ स्वभाव के लोगों के लिए यह किसी स्वर्ग से कम नहीं। जो यहां आए हैं और भारत के दक्षिणी छोर पर स्थित इस शांत समुद्र वाले बीच पर गए हैं, उन्हें पता होगा कि ये बीच भारत के अन्य लोकप्रिय बीच से काफी अलग हैं। यहां के बीच न केवल वाटर स्पो‌र्ट्स गतिविधियों के लिए आदर्श लोकेशन उपलब्ध कराते हैं बल्कि सुकून से घंटों बैठने और ध्यान के लिए उपयुक्त माहौल भी देते हैं। रामेश्वेरम बीच की सबसे खास बात यह है कि यह भारत की एकमात्र ऐसी जगह है, जिसके बीच उत्तर और दक्षिण मुखी हैं। भारत के दूसरे बीच या तो पश्चिमी या फिर पूर्वी मुखी हैं।

 

समुद्र की अनोखी दुनिया 

यहां के समंदर का पानी बेहद साफ है। पारदर्शी समंदर के फर्श पर तैरती नावों को देखना किसी काल्पनिक दुनिया में खोने जैसा अनुभव देता है। कोई शोर-शराबा, भीड़भाड़ नहीं, जल्दबाजी नहीं। रंग-बिरंगे कोरल रीफ और शांत पानी के समुद्री जीव-जंतुओं मछलियों को यहां वहां आराम से टहलते-दौड़ते देख सकते हैं। चलते-चलते ही कौतूहल पैदा करने वाले समुद्री जीवों को देखना एकबारगी डरा सकता है पर यह रोमांच भी खुश कर देने वाला है। ऐंजल फिश, स्टारफिश, ऑक्टोपस आदि आपके पीछे-पीछे दौड़ते आ जाएं तो आपको बहुत ही खुशनुमा एहसास होगा। समुद्र के भीतर की अनोखी दुनिया का रोमांच यहां बाहर बीच पर रहकर ही महसूस किया जा सकता है।

देवदार और नारियल के पेड़ों वाली जगह धनुषकोडि 

देवदार और नारियल के ऊंचे-घने पेड़ों से पटे जंगल, दूर-दूर फैला सफेद रेगिस्तान, सड़क के दोनों ओर समुद्र और अचानक नजर आता है एक उजाड़ नगर, ये है धनुषकोडि जिसकी पहचान 'भुतहा' शहर के रूप में की जाती है। रामेश्व रम के पुराने इतिहास, मिथ, रहस्य-रोमांच का सम्मिश्रण मिलता है यहां। शहर से तरकीबन 15 किलोमीटर की दूरी है पर इस पूरी यात्रा के दौरान टूटी-फूटी इमारतें, रेलवे लाइन, दुकानें, पोस्ट ऑफिस, चर्च के उजड़े खंडहरों को देखना अतीत में गुम हो जाने सा अनुभव है।

बहरहाल, आपको यहां छोटे-छोटे गांव भी मिल जाएंगे। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.