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बारिश का खुशनुमा मौसम है माउंट आबू की सैर के लिए बेहतरीन

बारिश के इस मौसम में जब नदियां उफान पर और झीलें लबालब हैं ऐसे में कुछ जगहों का नजारा बहुत ही खूबसूरत होता है। ऐसे में राजस्थान के एकमात्र हिल स्टेशन माउंट आबू का कर सकते हैं प्लान

By Priyanka SinghEdited By: Published: Mon, 26 Aug 2019 09:52 AM (IST)Updated: Mon, 26 Aug 2019 09:52 AM (IST)
बारिश का खुशनुमा मौसम है माउंट आबू की सैर के लिए बेहतरीन

दिल्ली और अहमदाबाद के बीच स्थित आबू रोड रेलवे स्टेशन पर उतरते ही शीतल हवा और हल्की फुहारें जब आपका स्वागत करती हैं, तो वह सिर्फ तन को ही नहीं, मन को भी अंदर तक भिगो देती हैं। लगता है जैसे सब हल्का हो गया। जी हां, कुछ ऐसा ही एहसास होता है राजस्थान के एकमात्र हिल स्टेशन माउंट आबू आने पर। जानेंगे यहां आसपास घूमने वाली मशहूर जगहों के बारे में।

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पहाड़ों के बीच नक्की झील: माउंट आबू पहुंचने पर सबसे पहला पड़ाव नक्की झील होता है। अद्भुत होता है यहां का दृश्य। पहाड़ों की छांव और अरावली की हरियाली के मध्य बहती इस बेहद रमणीक झील की सुंदरता बारिश में और भी निखर आती है। कौतूहल भी होता है कि 11000 मीटर की ऊंचाई पर ढाई किलोमीटर लंबी है यह झील।

संगमरमर-सा चमकता दिलवाड़ा जैन मंदिर: माउंट आबू हिंदू और जैन धर्मावलंबियों का पवित्र तीर्थस्थल है। कहते हैं, जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर माउंट आबू आए थे, जिसके बाद से यह जैन अनुयायियों का विशेष स्थान बन गया। जैन वास्तुकला का सर्वोत्कृष्ट उदाहरण है यहां स्थित दिलवाड़ा जैन मंदिर। इसके अलावा, 22वें तीर्थंकर नेमिनाथ को समर्पित लुन वासाही मंदिर भी दर्शनीय है।

रघुनाथ मंदिर में अकेले विराजे राम के दर्शन: माउंट आबू का सर्वेश्र्वर रघुनाथ मंदिर, जो दुनिया में ऐसा इकलौता मंदिर है, जहां राम बिल्कुल अकेले हैं। जी हां, हममें से किसी ने माता सीता और छोटे भाई लक्ष्मण के बिना भगवान राम की मूर्ति की कल्पना नहीं की थी, लेकिन इस मंदिर में 5500 साल पुरानी भगवान राम की स्वयंभू मूर्ति है, जिसे 700 साल पहले जगद्गुरु रामानंदाचार्य ने स्थापित किया था। 

ऋषि वशिष्ठ की तपोभूमि में जिज्ञासु हुआ मन: माउंट आबू का प्राचीन नाम अर्बुदांचल है। पुराणों में इसका उल्लेख अर्बुदारण्य (अर्थात अर्बुदा के वन) के नाम से भी मिलता है। बाद में यही आबू में परिवर्तित हो गया। ऐसी मान्यता है कि जब वशिष्ठ ऋ षि का विश्र्वामित्र से मतभेद हो गया था, तब वे माउंट आबू के दक्षिणी भाग में आकर बस गए थे। 

ढलते सूरज को देखने का रोमांच: नक्की झील के ऊपर सनसेट प्वाइंट नए-नवेले जोड़ों का लोकप्रिय डेस्टिनेशन है। आसपास का नजारा भी कम मनोरम नहीं था, जहां से पल-पल रंग बदलते आकाश एवं बादलों की ओट में छिपते-ढलते सूर्य के विस्मयकारी दृश्य को देखा जा सकता था। 

कैसे जाएं?

हवाई मार्ग: माउंट आबू का सबसे निकटतम हवाई अड्डा उदयपुर 185 किलोमीटर, जबकि अहमदाबाद 235 किलोमीटर दूर है।

रेल मार्ग: सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन आबू रोड 28 किलोमीटर की दूरी पर है, जो अहमदाबाद, दिल्ली, जयपुर और जोधपुर से जुड़ा है।

सड़क मार्ग: यह सड़क मार्ग से देश के सभी प्रमुख शहरों से जुड़ा है। दिल्ली के कश्मीरी गेट बस अड्डे से माउंट आबू के लिए सीधी बस सेवा है। राजस्थान राज्य सड़क परिवहन निगम की बसें दिल्ली के अलावा अनेक शहरों से माउंट आबू के लिए संचालित की जाती हैं। 


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