जन्माष्टमी के मौके पर भारत की इन 5 जगहों पर देखने को मिलती है अलग ही रौनक
जन्माष्टमी के शुभ मौके पर भारत की इन जगहों को घूमने का बनाएं प्लान जहां देखने को मिलती है अलग ही रौनक।
भारत में भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव को बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। क्योंकि भगवान का जन्म आधी रात में हुआ था इसलिए इसकी धूम रात में देखने को मिलती है। जगह-जगह नाटक, नृत्य, संगीत के साथ भगवान के जन्मोत्सव का खुशियां मनाई जाती हैं। जन्माष्टमी का त्योहार देश में ही नहीं विदेशों में भी मनाया जाता है। तो अगर आपकी इस दिन छुट्टी है या आप ऐसी किसी जगह जाना जाता है जहां इसे एन्जॉय कर सकते हैं तो इन जगहों पर जानें का कर सकते हैं प्लान।
मथुरा
मथुरा में भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था और यहीं से 15 किमी की दूरी पर बसा है वृंदावन। यहां जन्माष्टमी का त्योहार होली, दिवाली से कम नहीं होता। गोविंद देव मंदिर में बहुत ही धूमधाम से इसे मनाया जाता है। ऐसे ही जंगलों के बीच बसा निधि वन में भी इस फेस्टिवल को आकर एन्जॉय किया जा सकता है। लोग एक दूसरे को हल्दी और दही लगाकर इसे सेलिब्रेट करते हैं।
द्वारका
द्वारका वो जगह है जहां श्रीकृष्ण में अपने मामा कंस का वध किया था। जन्माष्टमी के दौरान यहां रात भर डांस, गान और नाटक का मंचन होता है और मिठाईयां बांटी जाती हैं। मेला लगता है जिसमें आप भगवान श्रीकृष्ण की मूर्तियां और भी दूसरे तरह के खिलौने और सजावट का सामान खरीद सकते हैं। जन्माष्टमी के दिन यहां स्थित सभी मंदिरों को सजाया जाता है। भगवान के जन्म से लेकर कंस के वध तक की गाथा की नाटक के रूप में प्रस्तुति सबसे खास होती है।
पुरी
पुरी आकर भी आप कृष्ण जन्माष्टमी की धूम देख सकते हैं। रात को भगवान के बालरूप की पूजा होती है। फूलों से सजे झूले पर उन्हें झुलाया जाता है। यहां जन्माष्टमी के बाद भी 17 दिनों तक इसकी रौनक देखने को मिलती है। बच्चे श्रीकृष्ण का रूप धारण कर नाटक की प्रस्तुति करते हैं।
मुंबई
जन्माष्टमी के दौरान दही हांडी का ट्रेंड खासतौर से मुंबई में ही देखने को मिलता है। जिसमें ऊंचाई पर हांडी में दही रखी होती है और बहुत सारे लोग पिरामिड बनाते हैं और कोई एक उस हांडी तक पहुंच कर उसे फोड़ता है। पूरी प्रक्रिया को देखना बहुत ही मजेदार होता है।
झुंझुनू
जयपुर से लगभग 200 किमी की दूरी पर बसा है झुंझुनू। जहां पिछले 300-400 सालों से जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जा रहा है। तीन दिनों तक मनाए जाने वाला इस उत्सव में शामिल होने दूर-दूर से पर्यटक आते हैं। जन्माष्टमी के दिन यहां खाने-पीने से लेकर खिलौने और भी कई चीज़ों के ढेरों दुकानें होती हैं। देर रात तक डांस-गाने का कार्यक्रम चलता है।