सावन में यहां बन सकते हैं हरियाली तीज उत्सव का हिस्सा
वैसे तो हरियाली तीज का महत्व जितना शादीशुदा महिलाओं के लिए होता है उतना ही अविवाहित औरतों के लिए भी। अच्छे पति की चाहत और उनकी लंबी उम्र के लिए ये उत्सव मनाया जाता है।
हर साल श्रावण महीने में मनाई जाने वाली हरियाली तीज खासतौर से देवी पार्वती को समर्पित है। इस दिन औरतें व्रत रखती हैं। शादीशुदा औरतें पति की लंबी आयु के लिए तो वहीं कुंवारी औरतें भगवान शिव जैसे पति की कामना में ये व्रत रखती हैं। उत्तर और पश्चिम भारत में इन उत्सव को बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है।
जैसा कि कहा जाता है कि जोड़ियां तो स्वर्ग में बनती हैं बस उनका मिलन यहां धरती पर होता है। तो शादी का ये पवित्र बंधन सालों-साल तक ऐसे ही बरकरार रहे उसकी कामना में हरियाली तीज मनाया जाता है।
तीज को अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग नामों से जानते हैं और साथ ही इसे मनाने का तरीका भी एक-दूसरे से थोड़ा अलग होता है। हरियाली तीज, अक्खा तीज, हरितालिका और कजरी तीज़ इसके ही अलग-अलग रूप हैं।
हरियाली तीज का महत्व
हरियाली तीज को सिंघारा तीज के नाम से भी जाना जाता है। हरियाली का मतलब होता है हरा-भरा। ऐसा माना जाता है कि सावन महीने में पूरी धरती हरी-भरी हो जाती है। नवविवाहिताओं के लिए तीज के खास मायने हैं। जिसे वो अपने मायके जाकर मनाती हैं। इस मौके पर उसे श्रृंगार का सामान जैसे बिंदी, सिंदूर, मेहंदी, चूड़ी और नए कपड़े भेंट करते हैं।
हरियाली तीज के मौके पर देवी पार्वती की पूजा की जाती है। डांस, लोकगीत और झूले इस उत्सव को और खास बनाते हैं। राजस्थान, उत्तर प्रदेश और उत्तर भारत के इलाकों में हरियाली तीज की रौनक अलग ही नज़र आती है।