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कई सांस्कृतिक धरोहरों को समेटे हुए मध्य प्रदेश की ये जगह है पर्यटन के लिहाज से बहुत ही खास

घने जंगल हरे-भरे पेड़ पहाड़ और नदियों की वजह से रियासत काल में ग्वालियर के सिंधिया राजवंश ने शिवपुरी को अपनी ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाया। जानेंगे और किन वजहों से ये जगह है खास।

By Priyanka SinghEdited By: Published: Tue, 27 Aug 2019 04:04 PM (IST)Updated: Wed, 28 Aug 2019 08:00 AM (IST)
कई सांस्कृतिक धरोहरों को समेटे हुए मध्य प्रदेश की ये जगह है पर्यटन के लिहाज से बहुत ही खास
कई सांस्कृतिक धरोहरों को समेटे हुए मध्य प्रदेश की ये जगह है पर्यटन के लिहाज से बहुत ही खास

राजस्थान की सीमा पर बसा है मध्यप्रदेश का जिला शिवपुरी। मध्य प्रदेश के दो जिले शिवपुरी और श्योपुर पर्यटन के लिहाज से अपने आप में कई धरोहरें समेटे हुए हैं। घने जंगल, हरे-भरे पेड़, पहाड़ और नदियों की वजह से रियासत काल में ग्वालियर के सिंधिया राजवंश ने शिवपुरी को अपनी ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाया। यहां के जंगलों में भगवान शिव को चढ़ाए जाने वाले बेल पत्र के पेड़ों की भरमार है, जो शायद ही कहीं आपको मिले। शिवपुरी से 20 किमी दूर सुरवाया की गढ़ी स्थित भगवान शिव का मंदिर सदियों पुराना है और देखने लायक है। इसके अलावा और किन जगहों की यहां आकर कर सकते हैं सैर, जानेंगे।

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भदैया कुंड: सदाबहार झरना

भदैया कुंड एक प्राकृतिक झरना है और इसका निर्माण सिंधिया राजवंश के द्वारा कराया गया था। यहां गौमुख से पानी बारह महीने निकलता है। यहां ऊपर से बारिश के दिनों में झरना बहता है, जो यहां आने वाले पर्यटकों का मन मोह लेता है। इसके अलावा पवा, सुल्तानगढ़ के झरने और टुण्डा भरका खो सहित अन्य जलप्रपात हैं, जो बारिश के दिनों में मिलते हैं और इन झरनों को देखने के लिए बारिश के दिनों में यहां कई सैलानी भी आते हैं।

अजब शैली में बना है यह जलमंदिर

शहर से करीब 35 किमी दूर पोहरी में बना प्राचीन जल मंदिर अनूठा और पर्यटकों के बीच खासा लोकप्रिय है। मंदिर का निर्माण 1811 में हुआ था। मंदिर राजपूत और मुगल निर्माण शैली पर आधारित है। मंदिर में भगवान शंकर और गणेश की प्रतिमा स्थापित हैं। मंदिर के चारों ओर बनी दो मंजिलें आकर्षक दालानों के बीच पानी का एक कुंड भी है। मंदिर घनी बस्ती से घिरा है। यहां फिल्म डाकू हसीना के कई दृश्य भी फिल्माए गए। बरसात में नीचे की दोनों मंजिल जलमग्न रहती हैं। मंदिर की खास बात यह भी है कि कुंड के ऊपर दिखती मंदिर की तीन मंजिलों के नीचे भी एक मंदिर है, जो सदैव पानी में डूबा रहता है।

एक संगम यहां भी

श्योपुर से 40 किमी दूर चंबल, बनास और सीप नदी का संगम है। इस त्रिवेणी संगम पर महात्मा गांधी की अस्थियों का विसर्जन हुआ था। हर सोमवती अमावस्या को यहां लाखों लोग Fान के लिए आते हैं। त्रिवेणी किनारे भगवान चतुर्भुजनाथ का भव्य मंदिर है। श्योपुर-शिवपुरी के बीच विजयपुर में छिमछिमा हनुमान मंदिर है। इस चमत्कारिक धाम में मोहम्मद गौरी जैसे हमलावर भी हथियार डाल चुके हैं।


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