500 लोगों की आबादी वाला गांव है दुनिया की सबसे ठंडी जगह, यहां सामान ही नहीं, इंसान भी जम जाता है
ओइमाकॉन गांव रूस की राजधानी मास्को से पूर्व की तरफ 3000 मील दूर स्थित है. बर्फ की चादर ओढ़े इस गांव में दूर-दूर तक कहीं हरा मैदान नहीं दिखता
ठंड होते ही हम अपने लाइफस्टाइल में थोड़ा बदलाव कर लेते हैं. घर से कहीं बाहर जाते वक्त तो हमें लगता है कि जितने ज्यादा गर्म कपड़े पहनकर खुद को ठंड से बचाया जाए, लेकिन हमें फिर भी ठंड महसूस होती रहती है.
दुनिया में एक गांव ऐसा भी है, जो चाहे ठंड से निपटने के लिए कितने भी जतन क्यों न कर ले लेकिन वहां लोगों की पलकें और बाल ठंड में जम ही जाते हैं.
क्या सामान के साथ इंसान भी जम जाते हैं!
रूस के साइबेरिया में बर्फ की घाटी में बसा एक छोटा सा गांव और इस गांव का नाम है 'ओइमाकॉन' या Oymyakon. ये एक ऐसा गांव है जहां के स्टूडेंट्स तब तक स्कूल जा सकते हैं जब तक यहां का तापमान -52 डिग्री सेल्सियस (-62 डिग्री फ़ारेनहाइट) तक नहीं पहूंचता. दूर-दराज के इस साइबेरियन गांव को स्थायी रूप से दुनिया का सबसे ठंडा और बसा हुआ गांव माना जाता है. और सर्दी के इस मौसम में हाल ही में यहां के तापमान में -62 डिग्री सेल्सियस (-80 डिग्री फॉरेस्ट) तक की गिरावट आई है.
ओइमाकॉन गांव रूस की राजधानी मास्को से पूर्व की तरफ 3000 मील दूर स्थित है. बर्फ की चादर ओढ़े इस गांव में दूर-दूर तक कहीं हरा मैदान नहीं दिखता. अब आपको ये भी बता दें कि ओइमाकॉन का मतलब होता है, ऐसी जगह जहां पानी न जमता हो, मगर प्रकृति की लीला देखिये कि यहां पानी तो पानी, बल्कि आदमी भी जम जाए.
यहां पर इतनी ठंड होने की वजह से आजकल लोगों का रोजमर्रा का काम ठप्प पड़ा हुआ है.