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लड्डू फेक होली से शुरू होता है मथुरा और वृंदावन में रंगोत्सव, देखने दुनियाभर से पहुंचते हैं लोग

ब्रज के लड्डूमार होली को खेलने विदेशों से भी श्रद्धालु आते हैं। यहां 8 दिनों तक होली का उत्सव मनाया जाता है। जानेंगे यहां मनाई जाने वाली अलग-अलग तरह के होली के बारे में।

By Priyanka SinghEdited By: Published: Wed, 04 Mar 2020 08:07 AM (IST)Updated: Wed, 04 Mar 2020 01:24 PM (IST)
लड्डू फेक होली से शुरू होता है मथुरा और वृंदावन में रंगोत्सव, देखने दुनियाभर से पहुंचते हैं लोग

मथुरा, वृंदावन में होली के उत्सव की शुरुआत बसंत पंचमी से ही हो जाती है। बरसाने में लट्ठ, लड्डू और फूलों से भी होली खेली जाती है। लड्डू मार-मारकर होली खेलने की यह परंपरा काफी अनोखी होती है। होली तक यानि पूरे आठ दिनों तक ब्रज, मथुरा और वृंदावन में होली खेली जाती है। ब्रज में बसंत पंचमी पर होली का डंडा गड़ने के साथ ही ब्रज के सभी मंदिरों और गांव में होली महोत्सव की शुरुआत हो जाती है। यह 40 दिनों तक चलता है।खासतौर से यहां होली महोत्सव फाल्गुन शुक्लपक्ष अष्टमी से यानि लड्डू फेक होली से शुरू होती है। होली के त्योहार को गोकुल, वृंदावन और मथुरा में बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है। यहां रंग वाली होली से पहले लड्डू, फूल और छड़ी वाली होली भी मनाई जाती है। ब्रज की होली में शामिल होने के लिए देश और दुनियाभर से श्रद्धालु आते हैं।

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द्वापर युग से हुई शुरुआत

लड्डू होली की परंपरा के पीछे एक पौराणिक कथा है कि द्वापर युग में बरसाने की होली खेलने का निमंत्रण लेकर सखियों को नंदगांव भेजा गया था। राधारानी के पिता बृषभानजी के न्यौते को कान्हा के पिता नंद बाबा ने स्वीकार कर लिया और स्वीकृति का पत्र एक पुरोहित जिसे पंडा कहते हैं उनके हाथों बरसाना भेजा। बरसाने में बृषभानजी ने नंदगांव से आए पंडे का स्वागत किया और थाल में लड्डू खाने को दिया। इस बीच बरसाने की गोपियों ने पंडे को गुलाल लगा दिया। फिर क्या था पंडे ने भी गोपियों को लड्डूओं से मारना शुरु कर दिया।

कब क्या होना है

- 6 मार्च को वृंदावन में फूलों की होली खेली जाएगी।

- इस होली में बांके बिहारी मंदिर के कपाट खुलते ही पुजारी भक्तों पर फूलों की वर्षा करते हैं।

- 7 मार्च को गोकुल की छड़ीमार होली खेली जाएगी।

- गोकुल बालकृष्ण की नगरी है। यहां उनके बालस्वरूप को ज्यादा महत्व दिया जाता है।

- 8 मार्च यानि चर्तुदशी से 3 दिन तक रंग वाली होली खेली जाती है।

क्या होता है लट्ठमार होली में?

- 4 और 5 मार्च को लट्ठमार होली बरसाने और वृंदावन में खेली जाएगी।

- नंदगांव से आए सखा पर बरसाने की गोपियां उन पर लाठियां बरसाती हैं।

- बरसाना के अलावा मथुरा, वंदावन, नंदगांव में लठमार होली खेली जाती है।

- बरसाने की गोपियां सखाओं को प्रेम से लाठियों से पीटती हैं और सखा बचने की कोशिश करते हैं।

- खासियत ये है कि दूसरे गांव से आए लोगों पर ही लाठियां बरसती हैं। अपने गांव वालों पर लाठियां नहीं चलाई जाती।


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