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इन जगहों पर गए बगैर भारत भ्रमण पूरा नहीं हो सकता

भारत के लोगों के लिए अपना पूरा देश घूमना ही कई देशों की यात्रा करने के बराबर है। विभिन्न संस्कृतियों का समागम, भाषा, आभूषण, पहनावा लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करता है। गहरे सागरों के किनारे, झीलों बर्फों की वादियां, जंगल आदि जगह पर्यटन के केन्द्र हैं। पर्यटन को बढ़ावा

By Preeti jhaEdited By: Published: Mon, 19 Oct 2015 02:28 PM (IST)Updated: Mon, 19 Oct 2015 03:14 PM (IST)
इन जगहों पर गए बगैर भारत भ्रमण पूरा नहीं हो सकता
इन जगहों पर गए बगैर भारत भ्रमण पूरा नहीं हो सकता

भारत के लोगों के लिए अपना पूरा देश घूमना ही कई देशों की यात्रा करने के बराबर है। विभिन्न संस्कृतियों का समागम, भाषा, आभूषण, पहनावा लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करता है। गहरे सागरों के किनारे, झीलों बर्फों की वादियां, जंगल आदि जगह पर्यटन के केन्द्र हैं। पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार के साथ-साथ केंद्र सरकार भी कोशिश कर रही है। हर पर्यटन स्थल तक आसानी से पहुंचने के रास्ते तलाशे जा रहे हैं। यदि आप भारत घूमने की योजना बना रहे हैं तो इन सारे जगहों को न भूलें। इन जगहों पर गए बगैर भारत भ्रमण पूरा नहीं हो सकता है।

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गुवाहाटी सिक्किम को छोड अन्य सभी उत्तर पूर्वी राज्यों त्रिपुरा, मिजोरम अरुणाचल, प्रदेश, मणिपुर, मेघालय नगालैंड का प्रवेश द्वार है। लेकिन यहां से मेघालय की राजधानी शिलांग जितनी करीब है अन्य राज्यों की नहीं।शिलांग कभी वृहत्तर असम की राजधानी था, फिर मेघालय के केंद्र शासित प्रदेश बनने व 1972 के बाद से नए मेघालय राज्य की स्वाभाविक राजधानी बन गया।

गुवाहाटी रेलवे स्टेशन के एक ओर स्थित पल्टन बाजार ही वह स्थान है जहां से शिलोंग का सफर आरंभ होता है।यहां से दस किलोमीटर दूर जोरहाट राजमार्ग संख्या 37 जहां पूर्वी व दक्षिण पूर्व असम और आगे अरुणाचल प्रदेश , नगालैंड के लिए चला गया है तो यहीं से राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 40 शिलांग होते हुए असम के कछार क्षेत्र से मणिपुर, मिजोरम व त्रिपुरा के लिए निकलता है। गुवाहाटी से शिलांग तक की मात्र सौ किलोमीटर की दूरी तय करने पर इतना कुछ बदल जाता है कि यकीन नहीं आता। गुवाहाटी में आप जहां अपने को पहाडियों से घिरा पाते हैं तो शिलांग में पहाडियों के बीच। पहनावे, कुदरत के नजारे, जलवायु, इमारतों की शली, खानपान और भाषा सब बदल जाते है जो सब एक नएपन का अहसास दिलाते हैं।

उत्तर पूर्व की कठिन भौगोलिक परिस्थितियों के कारण इस क्षेत्र में रेल का कम विस्तार होने से परिवहन तंत्र सडक पर ही निर्भर है। मेघालय भी इसका अपवाद नहीं है इसलिए यहां का हर राजमार्ग वाहनों के दबाव से जूझता लगता है। शिलांग से गुजरने वाले दो लेन के राजमार्ग की स्थिति आज यह है कि कहीं बीच में कोई वाहन खराब या दुर्घटनाग्रस्त हुआ नहीं कि कई किमी लंबी कतार लग जाती हैं और घंटों तब जाम में फंसा रहना पड सकता है। यदि जाम न लगे तो सामान्य तौर पर बस या टैक्सी से शिलांग का सफर साढे तीन से चार घंटे में पूरा हो जाता है। हालांकि इसे चार लेन में परिवर्तित किया जा रहा है। जोरहाट से थोडा चलकर मेघालय की सीमा आरंभ हो जाती है और पहाडी मार्ग आरंभ हो जाता है। पहले बर्नीहाट और फिर बाद नोंगपो पडता है जो कि इस मार्ग का मध्य बिन्दु है. टेढे-मेढे पहाडी रास्तों के बाद लगभग ढाई से तीन घंटे की दूरी पर बरापानी आता है जहां से एक रास्ता स्थानीय हवाई अड्डे उमराई की ओर चला गया. यहां से 30 मिनट बाद आप शिलांग के केंद्र पुलिस बाजार में होते हैं।

मेघालय एक पहाडी राज्य है जिसके तीन ओर असम की सीमा व दक्षिण व दक्षिण पश्चिम में बांग्लादेश है. यह तीन अलग-अलग क्षेत्रों गारो, खासी, जन्तिया पहाडियों से मिल कर बना है. राज्य के दक्षिण पूर्व का वह भाग जो असम के कछार क्षेत्र से लगा है जन्तिया हिल्स कहलाता है। मध्य भाग खासी हिल्स व पश्चिमी क्षेत्र गारो हिल्स कहलाता है। एक राज्य होने के बावजूद इन क्षेत्रों की लोकपरंपराएं, भाषा व मान्यताएं भी भिन्न हैं। राज्य की 85 प्रतिशत आबादी जनजातीय है जिनमें से 70 फीसदी ईसाई धर्मावलंबी है किन्तु बावजूद इसके इनके समाजों की अपनी मूल परंपराएं भी बरकरार हैं।

इस क्षेत्र अधिपत्य करने के बाद अंग्रेजों ने चेरापूंजी को जिला मुख्यालय बनाया किंतु अत्यधिक वर्षा होने के कारण वे इसे 55 किमी. दूर शिलांग ले आए जो उनके स्काटलैंड जैसी बनावट लिए था। बाद में शिलांग को वृहत्तर असम की राजधानी बना दिया गया। आजाद भारत में असम में यह एक स्वायत्त क्षेत्र बना दिया गया. किन्तु लगातार मांग के बाद 1972 में जब मेघालय अलग राज्य बना तो शिलांग उसकी स्वाभाविक राजधानी बन गया. शिलांग खासी पहाडियों का दिल है. समुद्र तल से लगभग 1200 से 1900 मीटर के मध्य बसा शिलांग उनके लिए एक आदर्श स्थान है जो कुछ दिन सुकून के साथ बिताना चाहते हैं. स्वच्छ वातावरण, मनोरम नजारे, ठंडी जलवायु और शान्त माहौल आस-पास अनेक दर्शनीय स्थलों की उपलब्धता।जहां अन्य हिल स्टेशनों में वाहन योग्य मार्गों का अभाव है वहीं इस नगर में हर ओर जाने के लिए अच्छी सडकें हैं. इसलिए इसका चारों ओर विस्तार हुआ है। राज्य की राजधानी होने के कारण यहां पर हर आधुनिक सुविधा उपलब्ध है।


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