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करना चाहते हैं स्वर्ग की सैर, तो एक बार जरूर जाएं शत्रुंजय पहाड़ी

यह पहाड़ी गुजरात राज्य के ऐतिहासिक शहर पालीताना के समीप है। इस शहर के नजदीक पांच पहाड़ियां हैं। इनमें सबसे पवित्र शत्रुंजय पहाड़ी है। इस पहाड़ी पर सैकड़ों जैन मंदिर हैं। यह स्थल समुद्र तल से 164 फ़ीट ऊंचाई पर स्थित है।

By Umanath SinghEdited By: Published: Sat, 06 Feb 2021 05:47 PM (IST)Updated: Sun, 07 Feb 2021 10:11 AM (IST)
करना चाहते हैं स्वर्ग की सैर, तो एक बार जरूर जाएं शत्रुंजय पहाड़ी
यह पहाड़ी गुजरात राज्य के ऐतिहासिक शहर पालीताना के समीप है।

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। आधुनिक लोग में तनाव भरी ज़िंदगी जीने के आदी हो गए हैं। इससे मानसिक और शारीरिक सेहत पर बुरा असर पड़ता है। विशेषज्ञों की मानें तो तनाव से बचने के लिए लोगों को ध्यान योग करना चाहिए। साथ ही जीवनशैली में सुधार करना चाहिए। इसके अतिरिक्त प्रकृति के साथ थोड़ा समय बिताना चाहिए। इसके लिए चिकित्सक लोगों को अध्यात्म केंद्र जाने की सलाह देते हैं। अगर आप भी मानसिक शांति के लिए घूमने का प्लान बना रहे हैं, तो शत्रुंजय पहाड़ी की यात्रा कर सकते हैं। यह पहाड़ी स्वर्ग के सुख की अनुभूति से कम नहीं है, जो अध्यात्म और शांति के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है। अगर आपको इस पहाड़ी के बारे में नहीं पता है, तो आइए जानते हैं-

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शत्रुंजय पहाड़ी कहां है

यह पहाड़ी गुजरात राज्य के ऐतिहासिक शहर पालीताना के समीप है। इस शहर के नजदीक पांच पहाड़ियां हैं। इनमें सबसे पवित्र शत्रुंजय पहाड़ी है। इस पहाड़ी पर सैकड़ों जैन मंदिर हैं। यह स्थल समुद्र तल से 164 फ़ीट ऊंचाई पर स्थित है। इस पहाड़ी पर एक दो नहीं, बल्कि 865 मंदिर हैं और पहाड़ी पर पहुंचने के लिए पत्थरों की 375 सीढ़ियां हैं। शंत्रुजय का शाब्दिक अर्थ विजय होता है।

ऐसा कहा जाता है कि मंदिरों का निर्माण 900 सौ साल पहले करवाया गया था। कार्तिक पूर्णिमा के दिन काफी संख्या में लोग शत्रुंजय पहाड़ी पर इकठ्ठा होते हैं जो नवंबर और दिसंबर महीने में पड़ता है। ऐसी मान्यता है कि जैन धर्म के संस्थापक आदिनाथ ने शिखर पर स्थित वृक्ष के नीचे कठिन तपस्या की थी। इस स्थल पर आज आदिनाथ का मंदिर है। मंदिर परिसर में मुस्लिम संत अंगार पीर का मजार भी है। इन्होंने मुगलों से शंत्रुजय पहाड़ी की रक्षा की थी। इसके लिए संत अंगार पीर को मानने वाले मुस्लिम लोग भी शत्रुंजय पहाड़ी आते हैं और मजार पर मत्था टेकते हैं। अतः जब भी मौका मिले, तो एक बार शत्रुंजय पहाड़ी जरूर जाएं।


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