ये 5 चीजें जरूर करें जब घूमने जाएं जैसलमेर के गोल्डन फोर्ट
जैसलमेर फोर्ट पीले पत्थरों के विशाल पत्थर के टुकड़ों से निर्मित है इसीलिए धूप में सोने की तरह चमकता है और उसका नाम पड़ गया गोल्डन फोर्ट।
यहां रहने वालों से मिल कर जाने दुर्ग की कहानी
जैसेलमेर किले का निर्माण 1156 में राव जैसल ने प्रारंभ कराया था पर अल्पायु में उनकी मृत्यु हो जाने के कारण उनके बाद के राजाओं ने इसे पूरा करवाया। जैसलमेर दुर्ग मुस्लिम शैली में होने के बावजूद मुगल स्थापत्य से काफी अलग है। यहां मुगलकालीन किलों की जैसी तड़क भड़क, बाग-बगीचे, नहरें-फव्वारे आदि देखने को नहीं मिलते। इसके विपरीत ये किला काफी हद तक चित्तौड़ के दुर्ग की तरह है जहां महल, मंदिर, प्रशासकों और जन-साधारण हेतु मकान बने हुए हैं। आज भी जैसेलमेर की आबादी का बड़ा हिस्सा किले के अंदर रहता है। इन लोगों लोंगों ने कई हिस्सो को अपनी प्राचीन शैली में ही रहने दिया है। अगर आप इस किले की कहानियां जानना चाहते हैं तो यहां रहने वालों से मिले और सुनें।
देखें म्यूजियम और प्राचीन विरासतों को
जैसलमेर का किला वहां के महाराजाओं का निवास रहा है। अब इस के अंदर एक संग्रहालय और विरासत केंद्र बना दिया गया है जहां उस दौर की कई चीजों के अवशेष और कलाकृतियों का एक बड़ा संग्रह रखा गया है। जो उस दौर में जैसललम की समृद्ध विरासत से रूबरू कराता है।
जैन मंदिर भी है खास
गोल्डन फोर्ट में जैन मंदिरों को भी निश्चित रूप से आपको देखना चाहिए। ये अपनी अति सुंदर वास्तुकला और डिजाइन के साथ मंत्रमुग्ध कर देता है। इस मंदिर को सफेद और पीले पत्थरों पर जटिल नक्काशी और कलाकृति करके बनाया गया है।
विजयी युद्धों की साक्षी तोप
किले के सबसे ऊपरी परकोटे पर उसकी कभी हार ना मानने वाली राजपूती शान की प्रतीक तोप भी जरूर देखनी चाहिए। ये तोप कई युद्धों का हिस्सा रही है। युद्ध की रणनीति के हिसाब से जिस स्थान पर ये तोप रखी गई है वहां से आप पूरे शहर का नजारा कर सकते हैं।
स्थानीय चीजों का बाजार
जैसे ही आप किले में प्रवेश करेंगे आपको इसके पूर्वी हिस्से में गोपा चौक पर एक बाजार मिलेगा। यहां पर राजस्थान की हस्तकला से बनी कई चीजें मिलेंगी। ये स्थान सनसेट व्यू प्वाइंट के तौर पर भी प्रसिद्ध है।