डेस्टिनेशन : ये मंदिर बार-बार हो जाता है गायब! भारत के ऐसे ही 5 दिलचस्प मंदिर
कोलकाता के टांगरा में एक 60 साल पुराना चाइनीज काली मंदिर है. इस जगह को चाइनाटाउन भी कहते हैं.
दुनिया अजूबों से भरी हुई है. वहीं हम में से कई लोग ऐसे हैं, जो इन अजूबों का करीब से अनुभव लेकर इसे जानना चाहते हैं. भारत भी ऐसे कई अजूबों का गवाह रहा है. आज हम आपको ऐसे मंदिरों के बारे में बताने जा रहे हैं, जो बाकी मंदिरों से काफी अलग हैं. इसी वजह से लोग यहां दर्शन करने आते हैं.
चाइनीज काली मंदिर (कोलकाता)
कोलकाता के टांगरा में एक 60 साल पुराना चाइनीज काली मंदिर है. इस जगह को चाइनाटाउन भी कहते हैं. इस मंदिर में स्थानीय चीनी लोग पूजा करते हैं. यहीं नहीं दुर्गा पूजा के दौरान प्रवासी चीनी लोग भी इस मंदिर में दर्शन करने आते हैं. यहां आने वालों में ज्यादातर लोग या तो बौद्ध हैं या फिर ईसाई. इस मंदिर की खास बात यह है कि यहां आने वाले लोगों को प्रसाद में नूडल्स, चावल और सब्जियों से बनी करी परोसी जाती है.
स्तंभेश्वर महादेव मंदिर (कावी, गुजरात)
आप यह कल्पना नहीं कर सकते लेकिन यह बात सच है कि यह मंदिर पल भर के लिए ओझल हो जाता है और फिर थोड़ी देर बाद अपने उसी जगह वापिस भी जाता है. यह मंदिर अरब सागर के बिल्कुल सामने है और वडोदरा से 40 मील की दूरी पर है. खास बात यह है कि आप इस मंदिर की यात्रा तभी कर सकते हैं जब समुद्र में ज्वार कम हो. ज्वार के समय शिवलिंग पूरी तरह से जलमग्न हो जाता है.
करनी माता का मंदिर (राजस्थान)
बीकानेर से 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित देशनोक शहर में करनी माता का मंदिर है. यहां पहुंचने पर आपको इंसानों से ज्यादा शायद आपको चूहे नजर आएंगे. ये चूहे मंदिर में स्थित करनी माता की संतानें और वंशज हैं. कथाओं के अनुसार करनी माता, देवी दुर्गा की अवतार मानी जाती हैं जो बचपन से ही लोक कल्याण करने लगी थीं इसलिए उनका नाम करनी माता पड़ गया.
हडिंबा देवी मंदिर (हिमाचल प्रदेश)
मनाली में हडिंबा देवी मंदिर, भारत के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है. इस मंदिर का आकर्षण इसकी संरचना है जिसे जापान की एक शैली ‘पगोडा’ से लिया गया है. यह पूरा मंदिर लकड़ी से बनाया गया है. पुरातत्वविदों की मानें, तो इस मंदिर का निर्माण 1553 में किया था.
ब्रह्मा मंदिर (पुष्कर, राजस्थान)
यह भगवान ब्रह्मा का एकमात्र ऐसा मंदिर है जिसे पूरे विश्व में जाना जाता है. कहा जाता है कि मुगल शासक औरंगजेब के शासन काल में मंदिरों को नष्ट करने के आदेश के बाद जो एकमात्र मंदिर बचा था वह यही है. इस मंदिर का निर्माण 14वीं शताब्दी में किया गया था. इसके निर्माण को लेकर कई रोचक कथाएं कही जाती हैं. मंदिर के बगल में ही एक मनोहर झील है जिसे पुष्कर झील के नाम से जाना जाता है.