गुलगुलहा भजिया और ठेठरी का स्वाद लिए बगैर अधूरा है बिलासपुर का सफर
घूमने-फिरने के लिहाज से आएं या बिजनेस ट्रिप पर बिलासपुर के जायकों का स्वाद लेना बिल्कुल भी मिस न करें। एक नहीं कई शहरों का स्वाद मिलेगा यहां।
बिलासपुर आकर घूमने-फिरने के साथ-साथ यहां के कल्चर से तो रूबरू होने का मौका मिलता ही है। इसके अलावा अगर आप खाने-पीने का भी शौक रखते हैं तो यह शहर आपको आकर्षित करने का कोई मौका नहीं छोड़ेगा। बिलासपुर में आप भारत के अलग-अलग शहरों की मशहूर डिशेज़ का स्वाद चख सकते हैं लेकिन कुछ एक चीजें जो यहां की खासियत हैं उन्हें चखना बिल्कुल भी मिस न करें।
चावल आटे से बना चटपटा चीला
इसे टमाटर की चटनी या चाय के साथ भी लिया जा सकता है। चीला का जलवा ऐसा है कि यहां होटलों में भी इसे परोसा जाता है। कहा जाता है कि दिल का रास्ता स्वाद से होकर जाता है तो यहां लोग चीले को खाकर यही बताते हैं। उनके अनुसार, यहां कई प्रकार के चीले बनते हैं।
सबसे खास है गुड़हा चीला
छत्तीसगढ़ का प्रमुख त्योहार है हरेली। इसमें किसान कृषि कार्य संपन्न होने के बाद अपने कृषि यंत्रों की साफ-सफाई कर उसकी पूजा-अर्चना कर गुड़हा चीले का भोग लगाते हैं। गुड़हा चीला गेहूं के आटे और गुड़ के घोल से तैयार होता है।
गुलगुलहा भजिया
यह गुलगुलहा भजिया गेहूं या जौ के आटे में गुड़ मिलाकर भजिया की तरह ही बनाया जाता है। इसे हरेली, बहुरा चौथ पर्व पर विशेषकर बनाया जाता है। बहुरा चौथ में जौ आटे का गुलगुलहा भजिया भैंस के घी में तैयार किया जाता है जो बहुत ही स्वादिष्ट होता है। बिलासपुर आकर आप यहां बना फरा भी चख सकते हैं। यह पकवान चावल के आटे का रोल होता है जिसे भाप में पकाया जाता है। इसके बाद उसे सरसों, जीरा व तिल आदि से तड़का लगाया जाता है। स्वादानुसार नमक-मिर्च से बहुत ही स्वादिष्ट बनता है। यह प्राय: धान की नई फसल आने के समय नए चावल के आटे से बनाया जाता है। यह सफेद रंग का होता है।
हडफोड़वा
यह भी नए चावल के आटे का घोल होता है जिसे इडली जैसे मगर इडली से बड़े आकार का बिना तेल के भाप में पकाया जाता है। स्वादानुसारनमक मिलाकर घोल तैयार किया जाता है। बनने के बाद मोटे आकार में छेद नुमा रहता है। ग्रामीण अंचल का यह मुख्य व्यंजन है। यह भी सफेद रंग का होता है। चीला हर घर में एक समय प्रतिदिन बनता ही है।
बिलासपुर आए और ठेठरी न खाया तो क्या खाया
यह बेसन में अजवाइन और नमक मिलाकर अच्छी तरह से गूंथा जाता है। फिर उसका लंबा-लंबा रस्सी की तरह रोलकर एक विशेष आकार बनाकर तेल में अच्छी तरह से छाना जाता है। देहरौरी नामक एक और पकवान है जो कि चावल और गेंहू को एक साथ दरदरा पीसकर इसमें थोड़ी सी दही और स्वादानुसार गुड़ डालकर लोई बनाकर मनचाहा आकार देकर तेल में छाना जाता है।
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