सोनपुर में लगता है एशिया का सबसे बड़ा पशु मेला
बिहार के सारण और वैशाली जिले की सीमा पर गंगा और गंडक नदी के मिलन स्थल पर लगने वाला विश्व प्रसिद्ध सोनपुर पशु मेला विदेशी सैलानियों के लिए खास आकर्षण है। कार्तिक पूर्णिमा से शुरू होकर अगले एक महीने तक चलने वाले सोनपुर मेले को देश-दुनिया में एशिया के सबसे बड़े पशु मेले के तौर पर जाना जाता है।
बिहार के सारण और वैशाली जिले की सीमा पर गंगा और गंडक नदी के मिलन स्थल पर लगने वाला विश्व प्रसिद्ध सोनपुर पशु मेला विदेशी सैलानियों के लिए खास आकर्षण है। कार्तिक पूर्णिमा से शुरू होकर अगले एक महीने तक चलने वाले सोनपुर मेले को देश-दुनिया में एशिया के सबसे बड़े पशु मेले के तौर पर जाना जाता है।
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सोनपुर जगह से जुड़ी पौराणिक कथा इस मेले के साथ पौराणिक आख्यान जुड़ा हुआ है। ऐसी मान्यता है कि भगवान के दो भक्त हाथी (गज) और मगरमच्छ (ग्राह) के रूप में धरती पर उत्पन्न हुए। बिहार के कोणहारा घाट पर जब गज पानी पीने आया तो ग्राह ने उसे ग्रस (मुंह में पकड़) लिया। गज ग्राह से छुटकारा पाने के लिए लगातार लड़ता रहा। पानी में रहने के बाद भी ग्राह उसे पानी के अंदर नहीं खींच पाया। गज और ग्राह का यह युद्ध इतना रोमांचकारी हो गया था कि समस्त देवता इस युद्ध को देखने के लिए वहां उपस्थित हो गए। इस युद्ध में गज कमजोर पड़ रहा था। उसने भगवान विष्णु से अपनी जान बचाने की प्रार्थना की। बाद में कार्तिक पूर्णिमा के दिन विष्णु भगवान ने सुदर्शन चक्त्र चलाकर दोनों के युद्ध को रोका। गज और ग्राह में कौन विजयी हुआ और कौन हारा यह आज तक ज्ञात नहीं है। कौन हारा के चलते ही उस स्थान का नाम कोणहारा घाट है। उसी स्थान पर हरि (विष्णु) और हर (शिव) का मंदिर है। इसलिए उस स्थान को हरिहर क्षेत्र भी कहते हैं।
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कुछ लोगों का कहना है कि हरिहरनाथ मंदिर का निर्माण भगवान राम ने सीता स्वयंवर के लए जाते समय अपने हाथों से किया था। इसकी मरम्मत राजा मानसिंह ने कराई थी। मुगलकाल में राजा रामनारायण ने इस मंदिर को एक व्यापक रूप दिया। सोनपुर मेले का आकर्षण एक महीने तक चलने वाले सोनपुर मेले में पशुओं की खरीद फरोख्त देखते ही बनती है। देश भर के प्रमुख पशु विक्त्रेता अपने-अपने पशुओं को लेकर इस मेले में पहुंचते हैं। हर साल इस मेले में हजारों पशु खरीदे और बेचे जाते हैं। इसके अतिरिक्त मिट्टी के बर्तन और खिलौने, हस्तकला की वस्तुएं, हस्त निर्मित वस्त्र और आभूषण इस मेले के प्रमुख आकर्षण हैं।
यह जगह दुधारू मवेशी मसलन गाय और भैंस हों या शान की सवारी समझे जाने वाले हाथी, घोड़ा या ऊंट जैसे पशुओं के लिए उपयुक्त है। प्राचीन काल से ही मध्य एशिया से व्यापारी पर्शियन नस्ल के घोड़ों, हाथी, अच्छी किस्म के ऊंट और दुधारू मवेशियों के लिए यहां तका आते थे। सोनपुर मेले की एक विशेषता यहां पर हाथी, घोड़े और गाय की बिक्री को लेकर भी है। सोनपुर मेला भारत का एकमात्र मेला है, जहां इन पशुओं की बिक्री इतनी अधिक संख्या में होती है। बिक्री के लिए इन पशुओं को बहुत ही बारीकी से सजाकर खड़ा किया जाता है। इन पशुओं के विक्रेता आम से लेकर खास लोगभी होते हैं।
इसके अलावा इस मेलेमें बिहार सरकार द्वारा कई प्रदर्शनियां भी लगाई जाती हैं। इसके माध्यम से लोगों को उनके स्वास्थ्य, शिक्षा इत्यादि की जानकारी दी जाती है। इन प्रदर्शनियों में किसानों के हित में किए जा रहे कार्य, किसानों के लिए विभिन्न संगठनों द्वारा निर्मित अत्याधुनिक कृषि उपकरणों की भी प्रदर्शनी लगाई जाती है। वैसे यहां आने वाले पर्यटकों के लिए मनोरंजन की भी व्यवस्था की जाती है। नौटंकी, पारंपरिक संगीत नाटक, मैजिक शो, सर्कस आदि ये कुछ ऐसे मनोरंजन के साधन हैं जिन्हें देखकर पर्यटक अपना मन बहलाते हैं।
कैसे पहुंचें सोनपुर बिहार की राजधानी पटना से लगभग 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। वहां पहुंचने के लिए आपको सबसे पहले पटना जाना पड़ेगा। कोलकाता, मुंबई और दिल्ली से पटना के लिए सीधी फ्लाइट है। पटना उत्तर भारत का एक बहुत ही बड़ा रेलवे जंक्शन है इसलिए आप ट्रेन के जरिए भी सोनपुर पहुंच सकते हैं। सोनपुर पहुंचने के लिए सड़क का जरिया भी अपना सकते हैं। सोनपुर में ठहरने के लिए टूरिस्ट विलेज बने हुए हैं जो आपको उचित कीमत पर उपलब्ध होंगे।