Move to Jagran APP

चलते हैं बापू से जुड़े उन ठिकानों की सैर पर, जहां उनसे जुड़ी यादों को कर सकते हैं महसूस

महात्मा गांधी से जुड़े स्थलों पर जाकर आपको उनकी जीवनशैली को करीब से जानने-समझने का मौका मिलता है। तो आइए चलते हैं ऐसी ही जगहों की सैर पर..

By Priyanka SinghEdited By: Published: Thu, 30 Jan 2020 07:00 AM (IST)Updated: Thu, 30 Jan 2020 07:40 AM (IST)
चलते हैं बापू से जुड़े उन ठिकानों की सैर पर, जहां उनसे जुड़ी यादों को कर सकते हैं महसूस
चलते हैं बापू से जुड़े उन ठिकानों की सैर पर, जहां उनसे जुड़ी यादों को कर सकते हैं महसूस

वैसे, भारतीय करंसी पर गांधी की उसी ट्रेडमार्क शैली वाली मुस्कान को देखकर हम-आप रोजाना गांधी से जुड़े रहते हैं पर उनकी प्रमुख कर्मस्थलियों पर जाने के बाद आप बापू की जीवंत यादों से मुलाकात कर सकेंगे। एक सामान्य जीवन जीने वाला इंसान, आज देश-दुनिया में 'महामानव' के रूप में कैसे जाना जाता है, गांधी कैसे बन गए महात्मा?  नीरव शांति से भरे उन सुरम्य स्थलों पर टहलते हुए ये सवाल-जिज्ञासाएं भी आपके साथ-साथ चलने लगेंगी। जैसे ही आप बाहर आते हैं, आपकी झोली भर जाती है रोमांचक अनुभुतियों और प्रेरणा से भरी रोचक सौगातों से।

loksabha election banner

साबरमती के संत

1. साबरमती आश्रम, गुजरात

दक्षिण अफ्रीका से गांधी 9 जनवरी, 1915 को स्वदेश लौटे तो उनके साथ था एक मजबूत हथियार-सत्याग्रह। उनका स्वदेश में उनका पहला कदम जहां पड़ा वह स्थान था अहमदाबाद। यहां किराए का बंग्ला लेकर उन्होंने एक आश्रम शुरू किया-'सत्याग्रह आश्रम' जो अब साबरमती या गांधी आश्रम के नाम से लोकप्रिय है। 17 जून, 1917 को आश्रम स्थानांतरित हुआ साबरमती और चंद्रभागा नदी के संगम वाली वीरान जमीन पर जहां आज पर्यटकों का तांता लगा रहता है। यहां गांधी 1917 से 1930 तक रहे और जब शहीद हुए तो साल 1951 में उनकी स्मृतियों को संजोए रखने का काम शुरू हुआ। इस मनोरम आश्रम का डिजाइन विश्व प्रसिद्ध आर्किटेक्ट चा‌र्ल्स कोरिया ने तैयार की है, जहां हर तरफ स्मृतियों का विशाल संसार नजर आता है। आप तीन अलग-अलग गैलरी में महात्मा की स्मृतियों को अलग-अलग रूप में देख सकते हैं। जैसे, तीन बंदरों की सीख, गांधी जब तक अहमदाबाद रहें, उन सभी घटनाक्रमों का विवरण जिन्हें कुल पांच ब्लॉक में किया गया है। यहां सालाना दस लाख से अधिक पर्यटक आते हैं। 

बापू के व्यक्तित्व का दर्पण

2. सेवाग्राम, वर्धा, महाराष्ट्र

वर्धा शहर से तकरीबन 8 किमी दूर तकरीबन 300 एकड़ भूमि पर बना है सेवाग्राम, जहां प्रवेश करना किसी मंदिर में प्रवेश करना सरीखा ही आत्मिक उजास से भरा अनुभव है। वर्धा आश्रम में गांधी की वही सादगी, जीवनचर्या, अनुशासन को आप महसूस कर सकते हैं। यहां उन्होंने जीवन के 12 वर्ष बिताए थे। आश्रम में मौजूद जिस अमरूद के पेड़ के नीचे आश्रय लिया था वहां कुटिया आदिनिवास बना है। यह कुटिया उन्होंने अपनी शर्तो पर बनवाई थी जिसमें उस समय महज 500 रुपये का खर्च आया था। आश्रम में बापू का कार्यालय, प्रार्थना क्षेत्र, चर्चा कक्ष, पुस्तकों का संग्रह, बेडरूम और यहां तक कि  स्नान कक्ष और टब और वे सभी जगह जहां बापू सक्रिय रहे उनसे संबंधित चीजें उसी रूप में रखी गई हैं। उनके कार्यालय के कमरे में उनका टेलीफोन और टाइपराइटर रखा हुआ है, जिनका वो उपयोग करते थे। देखा जाए तो यह आश्रम बापू के व्यक्तित्व को एक नजर में सामने रख देता है। यहां पर्यटकों के अलावा गांधी दर्शन से जुड़े शोधार्थियों और जिज्ञासुओं का आना-जाना लगा रहता है।

यहां बीते जीवन के आखिरी 144 दिन

3. गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति, दिल्ली

इसका प्रवेश द्वार ही आगंतुकों को मर्माहत कर देना वाला है। दरअसल, यह द्वार ऐतिहासिक महत्व का है क्योंकि इसी द्वार के शीर्ष से प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने दुनिया को बापू की मृत्यु हो जाने की सूचना दी थी '..हमारे जीवन से प्रकाश चला गया है और हर जगह अंधेरा छा गया है..।' 5, तीस जनवरी मार्ग, नई दिल्ली के पुराने बिड़ला भवन पर स्थित गांधी स्मृति वह पवित्र स्थल है जहां बापू ने अपने नश्र्वर शरीर का 30 जनवरी, 1948 को त्याग किया था। महात्मा गांधी इस घर में 9 सितंबर, 1947 से 30 जनवरी, 1948 तक रहे थे। इस भवन में उनके जीवन के उन अंतिम 144 दिनों की स्मृतियां संजोई हुई हैं। पुराने बिड़ला भवन को भारत सरकार ने 1971 में अधिग्रहित कर लिया और इसे राष्ट्रपिता के राष्ट्रीय स्मारक के रूप में परिवर्तित कर दिया जिसे 15 अगस्त 1973 को आम जनता के लिए खोला गया था। यहां गांधी का कमरा, प्रार्थना मैदान का दर्शन कर सकते हैं। इसी प्रार्थना मैदान में जहां आम जनसभा होती थी, बापू हत्यारे की गोलियों के शिकार हुए। जहां राष्ट्रपिता की हत्या हुई थी, वहां एक शहीद स्तंभ बनाया गया है। स्तंभ के निकट निचले मैदान पर गुरुदेव टैगोर के शब्द हैं, 'वह प्रत्येक झोपड़ी की देहरी पर रूके थे।' गांधी स्मृति में बापू के कमरे को ठीक उसी प्रकार रखा गया है जैसा यह उनकी हत्या के दिन था। उनकी सारी चीजें, उनका चश्मा, टहलने की छड़ी, एक चाकू, कांटा और चम्मच, वह खुरदुरा पत्थर जिसका इस्तेमाल वह साबुन की जगह करते थे, प्रदर्शन के लिए रखी गई हैं। उनका बिस्तर फर्श पर बिछी एक चटाई पर था जो सफेद और सादा था जिसकी बगल में लकड़ी की एक नीची तख्ती रखी रहती थी। भगवद् गीता की एक पुरानी और उनके द्वारा उपयोग में आ चुकी एक प्रति भी रखी हुई हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.