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World Girl Child Day: सेल्फ डिफेंस के कुछ ऐसे मूव्स, जो आ सकते हैं आपके बेहद काम

World Girl Child Day आज का दिन दुनियाभर में वर्ल्ड गर्ल चाइल्ड डे के तौर पर मनाया जाता है। इस दिन बालिकाओं की सुरक्षा समानता औऱ उनके अधिकारों के बारे में बात की जाती है। कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया जाता है.

By Priyanka SinghEdited By: Published: Mon, 11 Oct 2021 07:02 PM (IST)Updated: Mon, 11 Oct 2021 07:02 PM (IST)
World Girl Child Day: सेल्फ डिफेंस के कुछ ऐसे मूव्स, जो आ सकते हैं आपके बेहद काम
कलरीपायट्टू का अभ्यास करती हुई एक युवती

बालिकाओं क जागरूक करने के लिए कई तरह के प्रयास हर स्तर पर किए जा रहे हैं, फिर भी एक अहम मुद्दा सुरक्षा से संबंधित है। जिस पर अभी बहुत ज्यादा काम किए जाने की जरूरत है, जिसके लिए सोच में परिवर्तन की आवश्यकता है, क्योंकि जब भी महिलाओं व बालिकाओं के सम्मान, सुरक्षा या उनको स्वावलंबी बनाने की बात आती है तो सबसे पहले जो मन में विचार आता है, वो है उनकी सुरक्षा का। स्कूलों में जहां बच्चियों की सुरक्षा के लिए हेल्पलाइन नंबर्स मौजूद हैं तो वहीं वर्कप्लेस पर भी महिलाओं के लिए ऐसी सुविधाएं हैं लेकिन सिर्फ इतने से बात नहीं बनने वाली, उन्हें खुद से भी सेल्फ डिफेंस करने आना चाहिए। और ये बात सिर्फ कामकाजी महिलाओं और स्कूल जाने वाली बच्चियों पर ही लागू नहीं होती बल्कि हर एक महिला के लिए जरूरी है।

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जूडो, कराटे, रेसलिंग, किक-बॉक्सिंग ये सभी मार्शल आर्ट के ऐसे रूप हैं जिनमें अटैक और डिफेंस के तरीके बताए जाते हैं। लेकिन इनके इतर एक ऐसा मार्शल आर्ट है जिससे बहुत ज्यादा लोग वाकिफ नहीं, और वो है कलरीपायट्टू (Kalaripayattu), जिसमें आप सेल्फ डिफेंस के तरीके तो सीखते ही हैं साथ ही ये कला आपको शारीरिक और मानसिक तौर भी मजबूत बनाती है। 

क्या है कलरीपायट्टू

केरल का एक बहुत ही पुराना और प्रसिद्ध मार्शल आर्ट, जो केरल के मध्य, उत्तर भाग, कर्नाटक और तमिलनाडु के आसपास के क्षेत्रों में बहुत ज्यादा प्रचलित है। इस कला में हाथ-पैरों से लेकर लाठी, तलवार हर एक चीज़ के जरिए आपको सेल्फ डिफेंस के तरीके सिखाए जाते हैं। ऐसा मानते हैं इस कला को सीखने में सालों लग जाते हैं। तो अपनी बच्चियों को कोई न कोई मार्शल आर्ट जरूर सिखाएं।  

 

 

 

 

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Kalari Gurukul, KalariKendram, Delhi के गुरू शिंटो मैथ्यू से सेल्फ डिफेंस को लेकर बात हुई तो उन्होंने बताया कि, 'बच्चियों को किसी भी तरह की फाइटिंग यानी मार्शल आर्ट में एंट्री से पहले शारीरिक तौर पर भी ताकतवर होना जरूरी है। ताकत ही नहीं होगी तो न बचाव कर सकते हैं न ही अटैक। इसलिए कलरीपायट्टू में इस चीज़ पर पहले और सबसे ज्यादा फोकस किया जाता है। जिससे शरीर मजबूत बने, क्योंकि मार्शल आर्ट में आपका शरीर भी आंखों की तरह ही काम करता है।' 

तो आज हम यहां आपको कलरीपायट्टू के कुछ ऐसे मूव्स बताएंगे जो आसान होने के साथ ही आपके लिए मददगार भी साबित हो सकते हैं।

बचाव: अपने हाथों, बांहों को हमेशा एक शील्ड की तरह इस्तेमाल करें जो आपके चेहरे को बचाता है।  

अटैक: ऐसे जगह को टॉरगेट करें जहां चोट लगने की सबसे ज्यादा संभावना होती है। ग्रॉइन एरिया (प्राइवेट पार्ट्स) को लक्ष्य बनाएं। हमलावर और अपने बीच की दूरी का अंदाज़ा लगाकर पूरी ताक़त के साथ वहां वार करें।  

 

बचाव: अपने घुटनों को बाहर की ओर निकालें बैठने वाली पोजीशन में आएं। इससे एक साथ दो काम होंगे एक तो आप अपना डिफेंस कर पाएंगी और दूसरा पूरी ताकत लगाकर हमलावर को निशाना बना सकेंगी। 

अटैक: इस पोजीशन में हमलावर के चेहरे को टारगेट बनाएं और उसकी ठुड्डी या नाक के ब्रिज पर पूरी ताक़त लगाकर सीधा किक या पंच करें। इससे उसकी नाक से ख़ून बहने लगेगा।

बचाव: अपने हाथों की कोहनियों को सामने की ओर लाएं। ऐसा करने से आपका चेहरा भी सुरक्षित रहेगा और हमलावर को धकेलने में भी मदद मिलेगी।

अटैक: इसमें आप हमलावर के चिन, चेस्ट कहीं भी वार कर खुद को बचा सकती हैं। कुहनी से बहुत तेज प्रहार होता है।

Pic credit- kalariishoorgirl/Instagram 


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