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Vishaka Guidelines: एक महिला जिसने दूसरी महिलाओं के लिए खोले इंसाफ के दरवाजे, पढ़ें भंवरी देवी की दास्तां

Vishaka Guidelines एक महिला को अक्सर यौन-उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है। खासतौर पर ऑफिस या वर्कप्लेस में इसके मामले लगातार सामने आते रहते हैं। ऐसे में महिलाओं को इससे बचाने के लिए विशाखा गाइडलाइंस जारी की थी। जानते हैं क्या है यह कानून-

By Harshita SaxenaEdited By: Harshita SaxenaMon, 12 Jun 2023 12:28 PM (IST)
Vishaka Guidelines: एक महिला जिसने दूसरी महिलाओं के लिए खोले इंसाफ के दरवाजे, पढ़ें भंवरी देवी की दास्तां
जानें क्या है विशाखा गाइडलाइंस और कैसे हुई इसकी शुरुआत

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Vishaka Guidelines: कई महिलाओं को अपनी जिंदगी में यौन-उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है। हांलाकि कई बार महिलाएं अपने साथ होने वाली घटनाओं के बारे में बात करने में सहज महसूस नहीं करती हैं, लेकिन इस बीच कई महिलाएं ऐसी भी हैं, जिन्होंने यौन उत्पीड़न मामलों पर हमेशा खुलकर बात की है। घर, स्कूल-कॉलेज, कोई पब्लिक ट्रांसपोर्ट या फिर ऑफिस में महिलाओं को अक्सर घूरती नजरों और अनचाहे स्पर्श का सामना करना पड़ता है।

खासतौर पर अपने कार्यस्थल पर उनके साथ ऐसी घटनाएं होती रहती हैं। लेकिन शर्म या डर की वजह से वह इस बारे में कई बार खुलकर बात नहीं कर पातीं। ऐसे में वर्क प्लेस पर महिलाओं के साथ होने वाली इन घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने साल 2013 में 'विशाखा गाइडलाइंस' जारी की थी। हालांकि, आज भी कई महिलाएं इस गाइडलाइंस से अनजान हैं, जिसकी वजह से वह इसका लाभ नहीं उठा पाती हैं। तो अगर आप भी एक कामकाजी महिला हैं और अभी तक इस गाइडलाइंस से अनजान हैं, तो हम आपको बता रहे हैं 'विशाखा गाइडलाइंस' से जुड़ी सभी जरूरी बातें-

क्या है 'विशाखा गाइडलाइंस'?

कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ होने वाले यौन उत्पीड़न के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने साल 1997 में कुछ दिशा निर्देश जारी किए थे। सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी किए गए निर्देशों को ही ‘'विशाखा गाइडलाइंस'’ के नाम से जाना जाता है। इस गाइडलाइंस के तहत महिलाएं तुरंत शिकायत दर्ज करवा सकती हैं। इस गाइडलाइन को विशाखा और अन्य बनाम राजस्थान सरकार और भारत सरकार मामले की तौर पर भी जाना जाता है।

कैसे हुई 'विशाखा गाइडलाइंस' की शुरुआत

'विशाखा गाइडलाइंस' के अस्तित्व की कहानी सामाजिक कार्यकर्ता भंवरी देवी से जुड़ी हुई है। राजस्थान के जयपुर में भातेरी गांव में रहने वाली भंवरी देवी की इस पूरी गाइडलाइंस का केंद्र बिंदु रहीं। दरअसल, भंवरी देवी राज्य सरकार की महिला विकास कार्यक्रम के तहत कार्य करती थीं। इसी दौरान एक बाल विवाह को रोकने की कोशिश करते हुए उनकी कुछ लोगों से दुश्मनी हो गई। इस दुश्मनी का बदला लेने के लिए उन लोगों ने भंवरी देवी के साथ दुष्कर्म किया। अपने साथ हुए इस दुर्व्यवहार के खिलाफ भंवरी देवी ने लंबी लड़ाई लड़ी।

सुप्रीम कोर्ट में दर्ज हुई याचिका

उन्हें न्याय दिलाने के लिए कुछ गैर-सरकारी संस्थाओं ने साथ मिलकर साल 1997 में विशाखा नाम से सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की। इस याचिका में भंवरी देवी के लिए न्याय और कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ होने वाले यौन उत्पीड़न के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई। इस याचिका के तहत सुप्रीम कोर्ट ने यौन उत्पीड़न को परिभाषित करते हुए कुछ दिशानिर्देश जारी किए, जिसे 'विशाखा गाइडलाइंस' का नाम दिया गया।

सुप्रीम कोर्ट ने दिए ये दिशा-निर्देश

सुप्रीम कोर्ट की इन गाइडलाइंस के तहत किसी भी कार्यस्थल के मालिक को यह जिम्मेदारी दी गई कि वह अपने यहां कार्यरत महिला को बंधक जैसा महसूस न होने दें और न ही कोई उसे काम के दौरान धमकाएं। साल 1997 से साल 2013 तक इन्हीं गाइडलाइंस के आधार पर ऑफिस या कार्यस्थल पर होने वाले यौन उत्पीड़न के मामलों पर कार्रवाई की जाती थी। लेकिन फिर साल 2013 में संसद में इसके खिलाफ ‘सेक्सुअल हैरेसमेंट ऑफ विमेन एट वर्कप्लेस एक्ट’ नाम का कानून पारित हुआ।

'विशाखा गाइडलाइंस' से जुड़ी मुख्य बातें

इस गाइडलाइन के तहत महिला को गलत तरीके से छूना, छूने की कोशिश करना, गलत तरीके से देखना या घूरना, यौन संबंध बनाने के लिए कहना, अश्लील टिप्पणी या गंदे इशारे करना, अश्लील चुटकुले भेजना या सुनाना, एडल्ट फिल्में दिखाना आदि सभी को यौन उत्पीड़न के दायरे में रखा गया।

  • इस गाइडलाइन के तहत 10 या उससे ज्यादा एंप्लॉय वाली हर कंपनी में इंटरनल कंप्लेंट्स कमिटी (आईसीसी) बनाना अनिवार्य किया गया।
  • गाइडलाइन में यह भी कहा गया कि इस कमेटी के अध्यक्ष महिला होंगी और कमेटी में आधी से ज्यादा सदस्य भी महिलाएं ही होंगी।
  • इसके अलावा यौन शोषण के मुद्दे पर काम कर रहे एनजीओ की एक महिला प्रतिनिधि भी इस कमेटी का हिस्सा होना जरूरी है।
  • यौन उत्पीड़न के मामले में जांच के दौरान अगर कमेटी किसी व्यक्ति को आरोपी पाती है, तो उसके तहत आईपीसी की धाराओं के तहत कार्रवाई की जाएगी।
  • साथ ही इस गाइडलाइंस में यह भी साफ किया गया कि संस्थान न तो शिकायत करने वाली महिला या कमेटी के किसी सदस्य पर दबाव बना सकता है।
  • इस गाइडलाइन में यह भी स्पष्ट किया गया कि अगर कोई महिला कमेटी के फैसले से संतुष्ट नहीं है, तो वह पुलिस में शिकायत भी दर्ज करा सकती है।