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परिवार में नवजात शिशु के जन्म से बड़े बच्चों में पनपने वाली असुरक्षा की भावना को ऐसे कर सकते हैं दूर

परिवार में नवजात शिशु का आगमन बड़े भाई या बहन के मन में असुरक्षा की भावना बढ़ा देता है। ऐसी समस्या को किस तरह सुलझाया जाए यहां बता रही हैं चाइल्ड काउंसलर गगनदीप कौर।

By Priyanka SinghEdited By: Published: Wed, 15 Jul 2020 03:35 PM (IST)Updated: Wed, 15 Jul 2020 03:35 PM (IST)
परिवार में नवजात शिशु के जन्म से बड़े बच्चों में पनपने वाली असुरक्षा की भावना को ऐसे कर सकते हैं दूर
परिवार में नवजात शिशु के जन्म से बड़े बच्चों में पनपने वाली असुरक्षा की भावना को ऐसे कर सकते हैं दूर

घर में किसी नन्हें मेहमान के आने पर जहां लोगों में उत्साह का माहौल होता है वहीं बड़े बच्चों में असुरक्षा की भावना पैदा होने लगती है। जिस वजह से वो नवजात शिशु के लिए अपना प्रेम जाहिर करने की जगह उनसे नफरत करने लगते हैं। तो इस स्थिति में क्या करना रहेगा सही और कैसे करें इसे हैंडल, जानेंगे इस बारे में। 

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स्वाभाविक है यह

जी हां, ऐसा होना बहुत ही स्वभाविक है। तो इस स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहें। पहले घर में सिर्फ एक बच्चा था तो दादी-नानी से लेकर हर किसी का प्यार उसके लिए ही होता है लेकिन अब ऐसा नहीं होगा तो ऐसे में बड़े बच्चे के गुस्साने, झल्लाने पर आपको अपना आपा नहीं खोना बल्कि शांति से उन्हें समझाना होगा। अगर कभी बच्चा इस बात को लेकर कोई शिकायत करें है तो उसे बोलने से रोकें नहीं, बल्कि उसे खुलकर अपनी भावनाओं का इज़हार करने दें। बेशक नवजात शिशु की देखभाल के लिए मां को उसके साथ ज्य़ादा वक्त बिताने की ज़रूरत होती है। फिर भी जब वह सो जाए तो उस दौरान आप अपने बड़े बच्चे के साथ खेलें, उसे पढ़ाएं, उससे बातचीत करें, उसे अपने हाथों से खाना खिलाएं। ऐसी छोटी-छोटी कोशिशों से उसे स्पेशल फील करवाएं। परिवार के अन्य सदस्यों को भी यही समझाएं कि वे भी बच्चे से प्यार भरी बातचीत के लिए समय निकालें, जब भी वे उसके छोटे बच्चे के लिए नए कपड़े लाते हैं तो उसके साथ बड़े बच्चे के लिए भी कोई न कोई गिफ्ट ज़रूर लेकर आएं। छोटे भाई/बहन की देखभाल से जुड़े हर काम में उसे भी शामिल करें। कुछ ही देर के लिए ही सही पर कभी-कभी दोनों बच्चों को गोद में साथ बिठा लें।

पिता की जि़म्मेदारी

छोटे बच्चे की देखभाल की वजह से मां के पास अपनी बेटी के लिए ज्य़ादा समय नहीं होता, ऐसे में पिता की यह जि़म्म्मेदारी बनती है कि वह अपनी बड़े बच्चों को खिलाने, उसे स्कूल छोडऩे, उसका होमवर्क कराने जैसे कार्य खुद ही करें। उसके साथ बातचीत करने और उसे कहानियां सुनाने के लिए समय ज़रूर निकालें। उसके हर अच्छे कार्य पर शाबाशी दें। अगर कभी वह छोटे बच्चे के प्रति नाराज़गी ज़ाहिर करे तो भी उसे डांटें नहीं,  बल्कि प्यार से समझाएं कि तुम्हारा भाई/बहन अभी बहुत छोटा है, वह खुद अपनी देखभाल नहीं कर सकता,  इसीलिए मम्मी उसे अपने अपनी गोद में रखती हैं। यकीन मानिए इन कोशिशों से आप इस बहुत बड़ी सी नजर आने वाली समस्या को आसानी से दूर कर सकती हैं।

इन बातों का भी रखें ख्याल

अगर परिवार में दो बच्चे हों तो आपस में उनकी तुलना कभी न करें। दोनों बच्चे आपकी बातें समझने लग जाएं तो बड़े को उसकी जि़म्मेदारी का एहसास दिलाएं कि तुम्हें अपने छोटे भाई/बहन का ध्यान रखना चाहिए। छोटे बच्चे को भी यह सिखाना बहुत ज़रूरी है कि उसे अपने बड़े भाई या बहन का कहना मानना चाहिए। अपने बच्चों के बीच किसी तरह का भेदभाव न करें।


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