नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। आज सारा संसार जहाँ कोरोना महामारी के दौर से गुजर रहा है, वहीं प्रेम परिवर्तन, जिन्हें पूरी दुनिया पीपल बाबा के नाम से जानती है, वे अपने पर्यावरण संवर्धन अभियान में लगे हुए हैं। 1977 से पेड़ लगाओ अभियान की शुरुआत करने वाले पीपल बाबा का सफ़र निर्बाध रूप से जारी है। कोरोना जैसी महामारी में सभी लोग जहाँ पर खुद को अलग करते हुए अपने घरों की चार दीवारी में कैद हैं, वहीँ पीपल बाबा और उनकी टीम फिजिकल डिस्टैंसिंग को फॉलो करते हुए अपने पेड़ लगाओ अभियान में जुटी हुई है। पीपल बाबा के मुताबिक, पर्यावरण को बचाना हमारी जिम्मेदारी है। कोरोना से बचाव के लिए मास्क और ग्लव्स पहनकर कोरोना वर्ष में भी पीपल बाबा की टीम ने 1 लाख 11 हजार 780 पौधे लगाये!

पीपल बाबा कहते हैं कि जैसे कोरोना योद्धा डॉक्टर, सफाईकर्मी, पुलिस कर्मी, प्रशासन और सामाजिक व राजनीतिक संस्थाओं के लोग अपना योगदान दे रहे हैं, वैसे ही हमारे पर्यावरण योद्धा पेड़ लगाने का काम जारी रखेंगे।

पीपल बाबा कोरोना के संदर्भ में पेड़ों के उपयोगिता की बात करते हुए कहते हैं कि कोरोना से वह व्यक्ति आसानी से जीत सकता है, जिसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी हो और रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास शुद्ध वातावरण में ही होता है और शुद्ध वातावरण की परिकल्पना पेड़ों के बिना अधूरी है। पीपल बाबा बताते हैं कि पेड़ अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं  पेड़ लकड़ी, फल, फूल, औषधि, उधोगों के लिए कच्चे माल का जरिया हैं | इसके  साथ-साथ पेड़ अपने जीवन काल में  करोड़ों की ऑक्सीजन देते हैं, इसलिए हमारें लिए पेड़ लगाना बेहद जरुरी है। 

इस महामारी में हमें पहले खुद को सुरक्षित करना है, खुद को सुरक्षित रखते हुए देश को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी हर इंसान को निभानी है। धरती पर बढ़ रहे ग्लोबल वार्मिंग और प्रदूषण से बचने के लिए हमें पेड़ लगाने का अभियान जारी रखना है। इन्होने अपने स्वयंसेवकों के साथ कोरोना से बचनें के लिए सभी जरूरतों का पालन करते हुए काम को जारी रखा है | स्वच्छ भारत मिशन में स्वच्छ पर्यावरण की भी हिस्सेदारी होनी चाहिए और इसे पेड़ लगाकर ही सुनिश्चित किया जा सकता है| 

              Written By Shahina Noor

Edited By: Shilpa Srivastava