National Endangered Species Day 2020: हर 20 मिनट पर विलुप्त हो रही हैं जीव जंतुओं की एक प्रजाति...
National Endangered Species Day 2020 आईयूसीएन की रेड सूची के अनुसार गंभीर रूप से लुप्तप्राय प्रजातियों के विलुप्त होने का सबसे ज़्यादा ख़तरा है।
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। National Endangered Species Day 2020: पृथ्वी पर हर 20 मिनट पर इंसानों की आबादी में 3500 का इज़ाफा हो रहा है तो वहीं दूसरी ओर जीव जंतुओं की एक प्रजाति लुप्त हो रही है। हालात ऐसे ही रहे तो अगले 30 सालों में धरती की 20 फीसदी प्रजातियां हमेशा के लिए ख़त्म हो जाएंगी।
भारत वन्य जीवों जैसे कि बंगाल टाइगर, हिरण, भेड़िया, अजगर, भारतीय शेर, भालू, सांप, बंदर, कई प्रकार के जंगली बैल, एशियाई हाथी और हिरण प्रजातियों वाला देश है। भारत दुनिया के सत्रह विशाल विविधता वाले देशों में से एक है। भारत सहित, यह सत्रह बड़े विविध देश, दुनिया के जैव विविधता के लगभग 60-70% के निवास स्थल हैं। पश्चिमी घाट, पूर्वी हिमालय और भारत-बर्मा पूरे विश्व में कुल 34 में से तीन जैव विविधता वाले आकर्षण केंद्र हैं।
भारत के पास दुनिया की कुल 6 वन्य जीव प्रजातियों में से 5% हैं, एक रिपोर्ट के मुताबिक जिसे संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा ड्रग्स एंड क्राइम (यूएनओडीसी) द्वारा प्रकाशित किया गया था जिसमें सभी स्तन धारियों के 7.6% और सभी पक्षी प्रजातियों के 12.6% शामिल हैं।
इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंज़र्वेशन ऑफ नेचर (आईयूसीएन) रेडलिस्ट द्वारा 2014 में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार,पक्षियों की 15 प्रजातियां, स्तन धारियों की 12 प्रजातियां और सरीसृप व उभयचर की 18 प्रजातियां गंभीर रूप से लुप्त प्राय सूची में शामिल हो गई हैं।
लुप्तप्राय संकटग्रस्त क्यों?
आईयूसीएन की रेड सूची के अनुसार गंभीर रूप से लुप्तप्राय प्रजातियों के विलुप्त होने का सबसे ज़्यादा ख़तरा है। विशिष्ट प्रजातियां लुप्तप्राय हैं या नहीं यह निर्धारित करने के मूलरूप से पांच तरीके हैं।
- जब प्रजातियों की एक सीमित भौगोलिक सीमा होती है।
- 50 से कम वयस्क प्रजाति की बहुत सीमित या छोटी आबादी।
- क्या पिछली तीन पीढ़ियों या 10 वर्षों के लिए आबादी में 80% से अधिक की कमी आई या कमी होगी।
- अगर प्रजाति की आबादी 250 से कम है और पिछली एक पीढ़ी या तीन साल के लिए लगातार 25% कम हो रही है।
इन वन्य जीवों के विलुप्त होने की एक उच्च संभावना
- भारतीय हाथी
- बंगाल टाइगर
- भारतीय शेर
- भारतीय गेंडा
- गौर
- शेर जैसी पूंछ वाला अफ्रीकी लंगूर
- तिब्बती हिरन
- गंगा नदी डॉल्फिन
- नील गिरि तहर
- हिम तेंदुए
- काली बत्तख
- महान भारतीय बस्टर्ड
- जंगली उल्लू
- सफेद पंख वाली बत्तख
ख़तरे की वजह
- प्रजातियों के ख़तरे के लिए प्राथमिक कारणों में से एक आवास की कमी। आज, प्राकृतिक परिदृश्य के विनाश में मानव हस्तक्षेप एक प्रमुख वजह है। असंख्य प्रजातियों के लिए भोजन और आश्रय प्रदान करने वाले पेड़ों का काटना, खनन और कृषि जैसी मानवीय गतिविधियां।
- शिकार और अवैध शिकार करने से दुनिया भर में जानवरों और मछलियों की संख्या पर एक बहुत ही विनाशकारी और विपत्ति पूर्ण प्रभाव पड़ता है।
- प्रदूषण जैसे वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण और अपशिष्ट प्रदूषण, विशेष रूप से प्लास्टिक के रूप में पशु प्रजातियों के लिए ख़तरे में एक प्रमुख भूमिका निभाता है। प्रदूषण न सिर्फ मनुष्यों के लिए स्वास्थ्य संबंधी ख़तरों का कारण है, बल्कि यह जानवरों को भी प्रभावित करता है।
राष्ट्रीय विलुप्त प्रजाती दिवस पर भाषण के विषय
1. क्या है राष्ट्रीय विलुप्त प्रजाती दिवस?
2. क्यों और हर साल कब मनाया जाता है राष्ट्रीय विलुप्त प्रजाती दिवस?
3. विलुप्त प्रजाती एक्ट क्यों ज़रूरी है?
4. 2019 की लुप्तप्राय प्रजातियां कौन-सी हैं?
5. लुप्तप्राय प्रजातियों को बचाने के लिए अहम कदम।