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Lohri 2020 Interesting Facts: ईरान में मनाते हैं लोहड़ी जैसा त्योहार, जानें इससे जुड़ी 10 दिलचस्प बातें

Lohri 2020 Interesting Facts इस दिन बड़े प्रेम से बहन और बेटियों को घर बुलाया जाता है। जिस घर में नई शादी हुई हो या बच्चा हुआ हो उन्हें विशेष तौर पर बधाई दी जाती है।

By Ruhee ParvezEdited By: Published: Fri, 10 Jan 2020 03:29 PM (IST)Updated: Mon, 13 Jan 2020 10:01 AM (IST)
Lohri 2020 Interesting Facts: ईरान में मनाते हैं लोहड़ी जैसा त्योहार, जानें इससे जुड़ी 10 दिलचस्प बातें

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Lohri 2020 Interesting Facts: भारत के उत्तरी क्षेत्र में हर साल 13 जनवरी को लोहड़ी का त्योहार मनाया जाता है। पंजाबियों के लिए लोहड़ी उत्सव खास महत्व रखता है। जिस घर में नई शादी हुई हो या बच्चा हुआ हो उन्हें विशेष तौर पर बधाई दी जाती है। घर में नव वधू या बच्चे की पहली लोहड़ी बहुत विशेष होती है।

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इस दिन बड़े प्रेम से बहन और बेटियों को घर बुलाया जाता है। आधुनिकता के चलते लोहड़ी मनाने का तरीका बदल गया है। अब लोहड़ी में पारंपरिक पहनावे और पकवानों की जगह आधुनिक पहनावे और पकवानों को शामिल कर लिया गया है। लोग भी अब इस उत्सव में कम ही भाग लेते हैं।

आइए जानते हैं लोहड़ी के बारे में 10 दिलस्प तथ्य:

1. लोहड़ी को पहले तिलोड़ी कहा जाता था। यह शब्द तिल और रोड़ी (गुड़ की रोड़ी) शब्दों को मिलाकर बना है, जो समय के साथ बदल कर लोहड़ी के नाम से जाने जाते हैं। मकर संक्रांति के दिन भी तिल-गुड़ खाने और बांटने का महत्व है। पंजाब के कई इलाकों में इसे लोही या लोई भी कहा जाता है।

2. इसे विशेष रूप से पंजाब और हरयाणा में मनाया जाता है। लोहड़ी शब्द इसकी पूजा में इस्तेमाल होने वाली वस्तुओं से मिलकर बना है। इसमें ल (लकड़ी) +ओह (गोहा = सूखे उपले) +ड़ी (रेवड़ी) = 'लोहड़ी' के प्रतीक हैं।

3. साल की सभी ऋतुओं पतझड़, सावन और बसंत में कई तरह के छोटे-बड़े त्योहार मनाए जाते हैं, जिनमें से एक प्रमुख त्योहार लोहड़ी भी है जो बसंत के आगमन के साथ 13 जनवरी, पौष महीने की आखिरी रात को मनाया जाता है। इसके अगले दिन माघ महीने की संक्रांति को माघी के रूप में मनाया जाता है।

4. लोहड़ी के दिन पहले सभी घरों से लड़की इकट्ठा की जाती थी, लेकिन आजकल बाज़ार से लाकर शाम को जलाई जाती है। लोग अपने घरों के आसपास खुली जगह पर लकड़ी जलाकर अग्नि के चारों ओर चक्कर काटते हुए नाचते-गाते हैं और आग में रेवड़ी, मूंगफली, खील, मक्की के दानों की आहुति देते हैं। साथ ही अग्नि की परिक्रमा भी करते हैं। इस दौरान रेवड़ी, खील, गज्जक, मक्का खाने का मज़ा भी लेते हैं।

5. वैसाखी त्योहार की तरह लोहड़ी का सबंध भी पंजाब के गांव, फसल और मौसम से है। इस दिन से मूली और गन्ने की फसल बोई जाती है। इससे पहले रबी की फसल काटकर घर में रख ली जाती है। खेतों में सरसों के फूल लहराते दिखाई देते हैं।

6. भारत के अलग-अलग राज्यों में मकर संक्रांति के दिन या आसपास कई त्योहार मनाएं जाते हैं, जो कि मकर संक्रांति के ही दूसरे रूप हैं। जैसे दक्षिण भारत में पोंगल, असम में बिहू और ऐसे ही पंजाब में लोहड़ी मनाई जाती है। 

7. लोहड़ी से ऐतिहासिक गाथाएं भी जुड़ी हुई हैं। दक्ष प्रजापति की पुत्री सती के योगाग्नि-दहन की याद में ही यह अग्नि जलाई जाती है। पौराणिक मान्यता के अनुसार सती के त्याग के रूप में यह त्योहार मनाया जाता है। कथानुसार जब प्रजापति दक्ष के यज्ञ की आग में कूदकर शिव की पत्नीं सती ने आत्मदाह कर लिया था। उसी दिन की याद में यह पर्व मनाया जाता है।

8. यह भी कहा जाता है कि संत कबीर की पत्नी लोई की याद में यह पर्व मनाया जाता है। यह भी मान्यता है कि सुंदरी और मुंदरी नाम की लड़कियों को राजा से बचाकर एक दुल्ला भट्टी नामक डाकू ने किसी अच्छे लड़कों से उनकी शा‍दी करवा दी थी।

9. लोहड़ी के दिन खास पकवान बनते हैं जिसमें गजक, रेवड़ी, मुंगफली, तिल-गुड़ के लड्डू, मक्के की रोटी और सरसों का साग प्रमुख होते हैं। लोहड़ी से कुछ दिन पहले से ही छोटे बच्चे लोहड़ी के गीत गाकर लोहड़ी के लिए लकड़ियां, मेवे, रेवडियां, मूंगफली इकट्ठा करने लग जाते हैं।

10. ईरान में भी आग जलाकर मेवे अर्पित किए जाते हैं। यानी पंजाब, हरियाणा और दिल्ली में मनाई जाने वाली लोहड़ी और ईरान का चहार-शंबे सूरी बिल्कुल एक जैसे त्योहार हैं। इसे ईरानी पारसियों या प्राचीन ईरान का उत्सव मानते हैं। गीत और उल्लास जब सरहदें लांघते हैं, तो अपने बाहरी स्वरूप में ज़रा सा बदलाव लाकर त्योहार में तब्दील हो जाते हैं। ख़त्म होते साल के आख़िरी मंगलवार की रात लोग अपने घरों के आगे अलाव जलाकर उसके ऊपर से कूदते हैं और अग्नि को पवित्र मानकर उसमें तिल, शक्कर और सूखे मेवे अर्पित करते हुए यह गीत गाते हैं- 'ऐ आतिश-ए-मुक़द्दस! ज़रदी-ए-मन अज़ तू सुर्ख़ी-ए-तू अज़ मन।'


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