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International Day Of Peace 2021: क्यों हर साल मनाया जाता है 'अंतरराष्ट्रीय शांति दिवस'?

International Day Of Peace 2021 संयुक्त राष्ट्र ने साल 1981 में पहली बार सितंबर के तीसरे मंगलवार को अंतरराष्ट्रीय शांति दिवस के रूप में नामित किया था। इसी दिन संयुक्त राष्ट्र महासभा अपना उद्घाटन सत्र का आयोजन भी करता था।

By Ruhee ParvezEdited By: Published: Tue, 21 Sep 2021 10:30 AM (IST)Updated: Tue, 21 Sep 2021 10:30 AM (IST)
International Day Of Peace 2021: क्यों हर साल मनाया जाता है 'अंतरराष्ट्रीय शांति दिवस'?
क्यों हर साल मनाया जाता है 'अंतरराष्ट्रीय शांति दिवस'?

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। International Day Of Peace 2021: शांति को एक मौका देना अंतरराष्ट्रीय शांति दिवस का अहम लक्ष्य है, जो हर साल 21 सितंबर को मनाया जाता है। यह दिन सभी जातियों और सभी राष्ट्रों के लोगों को सार्वभौमिक शांति के बारे में सोचने की याद दिलाने का प्रयास करता है। संयुक्त राष्ट्र ने साल 1981 में पहली बार सितंबर के तीसरे मंगलवार को अंतरराष्ट्रीय शांति दिवस के रूप में नामित किया था। इसी दिन संयुक्त राष्ट्र महासभा अपना उद्घाटन सत्र का आयोजन भी करता था।

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अंतरराष्ट्रीय शांति दिवस मनाने की तारीख अंततः साल 2002 में बदल कर 21 सितंबर कर दी गई थी। इस दिन का उद्देश्य यह भी है कि उन सभी देशों के सभी क्षेत्रों में जहां युद्ध जारी है, वहां 24 घंटे के लिए युद्धविराम का पालन किया जाए। इस साल की थीम है "recovering better for an equitable and sustainable world" है।

UN की वेबसाइट में कहा गया, "2021 में, कोविड-19 महामारी के क़हर से ठीक होने के ओर बढ़ चले हैं, इसी दौरान हम रचनात्मक और सामूहिक रूप से सोचने के लिए प्रेरित हुए हैं कि कैसे हम सभी लोगों को बेहतर तरीके से ठीक करने में मदद कर सकते हैं, कैसे लचीलापन लाया जा सकता है और हमारी दुनिया को कैसे बदला जाए कि वो अधिक समान, अधिक न्यायसंगत, समावेशी, दीर्घकालिक, और स्वस्थ हो जाए।"

"यह सब जानते हैं कि महामारी किस तरह वंचित और कम आमदनी वाले समूहों को सबसे ज़्यादा कठिन साबित होती है। अप्रैल 2021 तक, विश्व स्तर पर कोविड-19 वैक्सीन की 687 मिलियन से अधिक खुराक लग चुकी थीं, लेकिन 100 से ज़्यादा देश ऐसे हैं जहां के लोगों को एक भी खुराक नहीं मिली थी। जो देश युद्ध से गुज़र रहे हैं, वहां खासतौर पर हेल्थकेयर सिस्टम की कमी है।"

यूएन कहता है, "महामारी के साथ कलंक भी जुड़ गया, जो लोग कोविड से पीड़ित हुए उन्हें भेदभाव और घृणा का सामना करना पड़ा। जबकि स्वस्थ लोगों को उनकी मदद करनी चाहिए थी। यह वायरस सभी को अपना शिकार बना सकता है, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वे कहां से आए हैं और किस तरह के विचार रखते हैं। मानव जाति के इस दुश्मन का सामना करते हुए, हमें याद रखना चाहिए कि हम एक दूसरे के दुश्मन नहीं हैं। महामारी की तबाही से उबरने में सक्षम होने के लिए, हमें एक दूसरे के साथ शांति बनानी होगी।"


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