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अच्छी नौकरी पाने और उसमें बने रहने के लिए बहुत ही जरूरी हैं इन सॉफ्ट स्किल्स को डेवलप करना

आज के दौर में सफल करियर के लिए सिर्फ हार्ड स्किल्स ही नहीं सॉफ्ट स्किल्स भी जरूरी हैं। तरक्की की सीढिय़ां चढऩे के लिए कौन-सी सॉफ्ट स्किल्स खुद में डेवलप करनी चाहिए जानेंगे आज।

By Priyanka SinghEdited By: Published: Mon, 20 Jan 2020 03:36 PM (IST)Updated: Mon, 20 Jan 2020 03:36 PM (IST)
अच्छी नौकरी पाने और उसमें बने रहने के लिए बहुत ही जरूरी हैं इन सॉफ्ट स्किल्स को डेवलप करना
अच्छी नौकरी पाने और उसमें बने रहने के लिए बहुत ही जरूरी हैं इन सॉफ्ट स्किल्स को डेवलप करना

बदलते वक्त में सॉफ्ट स्किल्स न केवल नौकरी पाने बल्कि नौकरी में बने रहने के लिए ज़रूरी योग्यताओं में शुमार हो चुकी हैं। दरअसल, नियोक्ता मानते हैं कि कर्मचारियों की हार्ड स्किल्स में तो ट्रेनिंग के जरिए सुधार लाया जा सकता है, लेकिन सॉफ्ट स्किल्स संवारना कंपनी के वश की बात नहीं होती। हर व्यक्ति को खुद ही संवारना पड़ता है। इसलिए किसी भी करियर के लिए खुद को तैयार करते समय ज़रूरी सॉफ्ट स्किल्स पर भी ध्यान देना चाहिए। आज के दौर में एक योग्य पेशेवर को कौन-सी सॉफ्ट सिकल्स खुद में विकसित करनी चाहिए, जानिए यहां:

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कम्युनिकेशन स्किल

कम्युनिकेशन स्किल सिर्फ अपनी बात कहने की कला ही नहीं है, इसमें बात कहने के साथ-साथ दूसरों की बात ध्यान से सुनने, अपने विचार लिखने और उन पर दूसरों की सहमति हासिल करने का गुण भी शामिल होता है। अलग-अलग संस्कृतियों और विविधता भरे कार्यस्थलों के आज के दौर में यह सॉफ्ट स्किल करियर में सफलता हासिल करने के लिए बेहद ज़रूरी है। इसमें महारत हासिल करने के लिए प्रभावशाली ईमेल लिखने, क्लाइंट्स और कलीग्स से बात करने, बॉस के सामने अपनी बात रखने और आत्मविश्वास के साथ प्रेजेंटेशन देने का गुण विकसित करना चाहिए। 

टीम प्लेयर

टीम के सदस्यों के साथ सामंजस्य बैठाते हुए काम करने की क्षमता सब लोगों में नहीं होती। यूं भी जब टीम के सदस्य अलग-अलग विचार और सोच वाले हों, काम के प्रति उनका नज़रिया भिन्न हो तो कभी-कभार मतभेद होना स्वाभाविक है। ऐसे में कंपनी की बेहतरी के लिए सबका एकजुट होकर काम करना महत्वपूर्ण हो जाता है। इन दिनों उन लोगों की मांग ज़्यादा है, जो कभी टीम लीडर, तो कभी फॉलोअर के रूप में काम करने में सक्षम हैं। इसलिए टीम की ज़रूरत के मुताबिक खुद को ढालने की स्किल सीखना वक्त का तकाज़ा है। व्यवहार में लचीलापन अपना कर इसमें महारत हासिल की जा सकती है। 

फैसला लेना

मशीनें भले ही कितना भी काम करें, लेकिन वे सही-गलत का भेद करने और निर्णय लेने में सक्षम नहीं हैं। इसलिए पेशेवर दुनिया में फैसले लेने में सक्षम लोगों की मांग कम नहीं है। कॉरपोरेट में तो शीघ्र और उचित निर्णय लेने वाले लोगों की मांग दिनोंदिन बढ़ रही है। निर्णय लेने के लिए सबसे ज़रूरी गुण साहस है। इसके अलावा, व्यक्ति में तार्किक सोच, धैर्य, अच्छी अवलोकन शक्ति जैसे गुण भी होने चाहिए। 

रचनात्मकता

भले ही मशीनें तेज़ी से काम करने में मदद करती हैं लेकिन वे रचनात्मक नहीं हो सकतीं। इसलिए दुनियाभर में ऐसे कर्मचारियों की मांग हमेशा रहती है, जो रचनात्मक और नई सोच वाले हों, जिनमें रूटीन से अलग काम करने और नए विचारों को अपनाने की क्षमता हो। लीक से हटकर सोचने की आदत और प्रयोगधर्मिता व्यक्तित्व के रचनात्मक पक्ष को मजबूत कर सकती है।

इमोशनल इंटेलिज़ेंस

इमोशनल इंटेलिज़ेंस से आशय अपनी भावनाओं पर काबू पाने के साथ-साथ दूसरों की भावनाएं समझने और उन्हें नियंत्रित करने से है। वर्तमान में सफलता के लिए यह एक ज़रूरी स्किल है। इसमें महारत हासिल करने के लिए दूसरों से पहले अपनी भावनाओं को नियंत्रित करना सीखना होगा। जैसे अगर कोई लीडर टीम के किसी मेंबर को बात-बात पर उत्तेजित होने से रोकना चाहता है तो पहले उसे खुद को संयमित करना होगा। ऐसा नहीं हो सकता है कि टीम लीडर खुद को उत्तेजित होने से तो रोक नहीं पाए और टीम मेंबर्स से शांत-संयमित रहने की अपील करे।

कॉम्पलेक्स प्रॉब्लम सॉल्विंग

कंप्यूटर दिनोंदिन स्मार्ट हो रहे हैं, इसीलिए उन पर कंपनियों की निर्भरता भी बढ़ी है। बावजूद इसके वे अभी भी निर्णय लेने और जटिल समस्याएं सुलझाने में सक्षम नहीं हैं। इसलिए कॉम्पलेक्स प्रॉब्लम सॉल्विंग स्किल महत्वपूर्ण हो गई है। इस पर पकड़ बनाने का सबसे अच्छा तरीका समस्याओं का सामना करना और समाधान मिलने तक उनसे जूझते रहना है।

क्या हैं सॉफ्ट स्किल्स

सॉफ्ट स्किल्स वस्तुत: व्यक्तित्व का वह पहलू हैं, जो दूसरों के साथ सामंजस्य बैठाने और कठिन परिस्थितियों को गरिमापूर्ण ढंग से संभालने में किसी की मदद करते है। इनमें कम्युनिकेशन, क्रिएटिविटी, काम के प्रति ईमानदारी, भावनात्मक बुद्धिमत्ता, नेगोसिएशन, समस्याओं के समाधान सुझाना आदि तो प्रमुख हैं ही, सहनशीलता, लचीलापन, सहानुभूति, सहिष्णुता और कठिन परिस्थितियों में धैर्य रखना आदि गुण भी शामिल हैं। इनके अलावा खुद को अपग्रेड करने की क्षमता को भी सॉफ्ट स्किल्स में ही शामिल किया जाता है।

 
(डॉ. सुशील कुमार पारे, करियर काउंसलर, मुंबई और रचित जैन, सीईओ यूथ४वर्क से बातचीत पर आधारित)

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